40 सप्ताह की गर्भावस्था: लक्षण, शारीरिक बदलाव और सावधानियां

40 सप्ताह की गर्भावस्था: लक्षण, शारीरिक बदलाव और सावधानियां 40 सप्ताह की गर्भावस्था: लक्षण, शारीरिक बदलाव और सावधानियां

४०वें हफ्ते की गर्भावस्था का मतलब है, कि अब किसी भी वक्त प्रसव हो सकता है। वैसे ३७ सप्ताह और ४२ सप्ताह के बीच जन्मा शिशु स्वस्थ होता हैं, लेकिन पारिभाषिक रूप में ३९ सप्ताह पूरा होने पर ही गर्भावस्था को फूल टर्म कहा जाता हैं। 

यही वजह है कि स्वस्थ गर्भावस्था में कम से कम ३९ सप्ताह तक प्रसव की प्रतीक्षा कि सलाह दी जाती है। चलिए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि ४०वें हफ्ते की गर्भावस्था के लक्षण क्या होते हैं, स्वस्थ प्रसव के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

गर्भावस्था के ४० सप्ताह की जानकारी

४०वें सप्ताह की गर्भावस्था मे महिला का शरीर प्रसव की तैयारी करता है। भावनात्मक रूप से ज्यादातर महिलाएं होने वाले बच्चे के जन्म के लिए उत्साह से तैयारी करती हैं। लेकिन कुछ महिलाये  प्रसव पीड़ा शुरू होने का इंतजार करते समय बहुत अधिक चिंतित, थकी हुई और अधीरता भी महसूस कर सकती हैं। 

इसके अलावा कुछ महिला अवसाद और अकेलापन भी महसूस कर सकती हैं। इसी वजह से महिला के शरीर मे कई परिवर्तन होते हैं और बच्चे कि स्तिथि मे भी परिवर्तन आता है।४० हफ्ते की गर्भावस्था में स्वस्थ बच्चे कि लंबाई लगभग  १९ से २१ इंच (४८.३ से ५३.३ सेंटीमीटर) के बीच होनी चाहिए और उसका वजन  करीबन ३ से ४.५ किलोग्राम के बीच होना चाहिए।

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४० सप्ताह गर्भावस्था मे शारीरिक परिवर्तन

गर्भावस्था के दौरान माँ के शरीर मे बहुत बदलाव आते हैं, और ४० हफ्ते की गर्भावस्था में निम्न परिवर्तन देखे जा सकते हैं, जिसकी वजह से लक्षण महसूस होते हैं: 

  1. वजन - ग्रभावस्था कि तीसरी तिमाही मे वजन बढ़ना और ४० वे सप्ताह में प्रसव से पहले वजन करीब १ किलो तक कम हो जाता है। ज्यादातर महिलाओं में सामान्य रूप से गर्भावस्था के दौरान ११.५ से १६ किलोग्राम तक वजन बढ़ जाता है, जिसको तालिका में विभाजित किया गया है। 

  2. एमनीऑटिक द्रव् का स्तर कम होना  -  ४० हफ्ते की गर्भावस्था में बच्चा माँ कि श्रोणि में नीचे की ओर चला जाता है, जिससे मूत्राशय पर दबाव डालता है और परिणामस्वरूप बार-बार पेशाब जाने की जरूरत पड़ती है। बार-बार पेशाब जाने कि वजह से शरीर से अतिरिक्त पानी  भी निकल जाता है, जिसकी वजह से वजन कम हो जाता है।

  3. ब्रेक्सटन हिक्स कान्ट्रैक्टशंस - इन्हे फाल्स प्रसव दर्द कि तरह भी संबोधित किया जाता है। पर यह प्रसव दर्द से अलग होते हैं। यह तब महसूस किए जाते हैं जब जब गर्भाशय में मांसपेशियों के तंतु कसते हैं और शिथिल हो जाते हैं।

    कभी-कभी गर्भावस्था के तीसरे तिमाही के अंत में या ४० वे हफ्ते में होने वाले ब्रेक्सटन हिक कान्ट्रैक्टशंस को वास्तविक प्रसव की शुरुआत मान ली जाती है।

  4. गर्भाशय ग्रीवा में बदलाव - ४० हफ्ते की गर्भावस्था में प्रसव की तैयारी के दौरान गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) नरम और पतली होकर खुलने लगती है। इसकि वजह से म्यूकस प्लग महिला कि योनि में आ सकता है।

४० सप्ताह की गर्भावस्था के लक्षण

४० हफ्तों की गर्भावस्था में महिला के शरीर मे शारीरिक परिवर्तनों कि वजह से विभिन्न लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है। ये निम्न संकेत और लक्षण इस बात कि पुष्टि करते हैं कि महिला का शरीर प्रसव की तैयारी कर रहा है:

  1. थकान - हार्मोनल परिवर्तन और शरीर की बढ़ती ऊर्जा मांगों के कारण असामान्य रूप से थकान महसूस होना।

  2. पेल्विक दबाव -४० हफ्ते की गर्भावस्था में जब बच्चा माँ की श्रोणि में नीचे की ओर  जाता है, इसकी वजह से पेल्विक दबाव बढ़ जाता है। इससे मूत्राशय पर दबाव डालता है और बार-बार पेशाब जाने की जरूरत पड़ती है।

  3. मतली और उल्टी - इसे अक्सर मॉर्निंग सिकनेस कहा जाता है, यह दिन के किसी भी समय हो सकती है।

  4. कब्ज - धीमी पाचन क्रिया और हार्मोनल परिवर्तन के कारण कब्ज हो सकता है।

  5. सीने में जलन - हार्मोन मांसपेशियों को आराम देते हैं जो आम तौर पर पेट के एसिड को बढ़ने से रोकते हैं, जिससे सीने में जलन होती है।

  6. भोजन की लालसा और घृणा - कुछ खाद्य पदार्थों की इच्छा जबकि कुछ अन्य खाद्य पदार्थों को अरुचिकर लगते हैं।

  7. मूड में बदलाव - हार्मोनल बदलाव से भावनात्मक उतार-चढ़ाव हो सकता है।

  8. सूजन - विशेष रूप से पैरों और टखनों में द्रव प्रतिधारण में वृद्धि के कारण।

  9. सांस की तकलीफ - जैसे-जैसे गर्भाशय फैलता है, यह डायाफ्राम पर दबाव डाल सकता है, जिससे सांस लेना कठिन हो जाता है।

  10. पीठ दर्द - बढ़ता पेट पीठ के निचले हिस्से पर दबाव डाल सकता है, जिससे असुविधा हो सकती है।

  11. नींद में खलल - आरामदायक नींद की स्थिति ढूँढना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

  12. शरीर के तापमान में वृद्धि - हार्मोनल परिवर्तन के कारण सामान्य से अधिक गर्मी महसूस हो सकती है।

  13. चक्कर आना या बेहोशी - रक्त परिसंचरण और दबाव में परिवर्तन इन संवेदनाओं का कारण बन सकता है।

  14. सिरदर्द - हार्मोनल परिवर्तन और बढ़ी हुई रक्त मात्रा सिरदर्द को ट्रिगर कर सकती है।

  15. वैरिकाज़ नसें - बढ़ी हुई और मुड़ी हुई नसें, अक्सर पैरों में।

  16. लिगामेंट में दर्द - लिगामेंट में खिंचाव से पेट के निचले हिस्से में तेज, तेज दर्द हो सकता है।

  17. योनि स्राव - पेल्विक क्षेत्र में रक्त के प्रवाह में वृद्धि के कारण गाढ़ा स्राव सामान्य है।

  18. स्तन परिवर्तन - स्तन कोमल, सूजे हुए और अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

  19. स्ट्रेच मार्क्स - पेट में खिंचाव के कारण त्वचा पर गुलाबी या बैंगनी रंग की रेखाएं पड़ जाती हैं।

  20. स्तनों से रिसाव - प्रसव के करीब, स्तनों से कोलोस्ट्रम नामक पीले रंग का तरल पदार्थ लीक हो सकता है।

  21. चलते समय परेशानी बढ़ना - जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, उसकी गतिशीलता प्रभावित हो सकती है।

  22. संतुलन की कमी - गुरुत्वाकर्षण के केंद्र में परिवर्तन संतुलन को प्रभावित कर सकता है।

  23. बाल और नाखून में बदलाव - कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान घने बाल और नाखून का अनुभव होता है।

गर्भावस्था के ४०वें सप्ताह के दौरान परहेज

प्रत्येक गर्भावस्था अद्वितीय होती है, इसलिए अपनी किसी भी विशिष्ट चिंता के बारे में अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। उनका मार्गदर्शन एक स्वस्थ और सुरक्षित गर्भावस्था यात्रा सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है। 

यह जानना जरूरी है कि गर्भावस्था के ४०वें सप्ताह के दौरान किस चीज से परहेज करना चाहिए। इसमें शामिल है:

  1. शराब से बचें - गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन विकासशील बच्चे के मस्तिष्क और अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।

  2. धूम्रपान न करें - धूम्रपान से समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन और विकासात्मक समस्याओं जैसी जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।

  3. अवैध दवाओं से दूर रहें - अवैध दवाएं बच्चे के विकास और स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं।

  4. कैफीन सीमित करें - अत्यधिक कैफीन के सेवन से गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए इसका सेवन सीमित करना सबसे अच्छा है।

  5. कुछ मछलियों से बचें - बच्चे के तंत्रिका तंत्र को पारा के संभावित नुकसान के कारण उच्च पारा वाली मछली जैसे शार्क, स्वोर्डफ़िश और किंग मैकेरल से बचना चाहिए।

  6. कच्चे या अधपके समुद्री भोजन, अंडे और मांस को छोड़ दें - इनमें हानिकारक बैक्टीरिया हो सकते हैं जो खाद्य जनित बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

  7. अपाश्चुरीकृत खाद्य पदार्थों से दूर रहें - अपाश्चुरीकृत दूध, पनीर और अन्य डेयरी उत्पादों में हानिकारक बैक्टीरिया हो सकते हैं।

  8. हॉट टब और सौना से बचें - अत्यधिक गर्मी विकासशील बच्चे के लिए हानिकारक हो सकती है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान इनसे बचना सबसे अच्छा है।

  9. भारी सामान उठाना सीमित करें - भारी सामान उठाने से खुद को तनाव देने से चोट या जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है।

  10. प्रसव पूर्व देखभाल की उपेक्षा न करें - आपके स्वास्थ्य और बच्चे के विकास दोनों की निगरानी के लिए नियमित प्रसव पूर्व जांच महत्वपूर्ण है।

  11. तनाव से बचें - तनाव का उच्च स्तर आपके स्वास्थ्य और बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता है, इसलिए तनाव को प्रबंधित करने के स्वस्थ तरीके खोजें।

  12. ओवर-द-काउंटर दवाएं छोड़ें - कुछ दवाएं, यहां तक ​​कि सामान्य भी, डॉक्टर की सलाह के बिना गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित नहीं हो सकती हैं।

  13. हानिकारक रसायनों के संपर्क से बचें - विषाक्त पदार्थों को साँस द्वारा अंदर लेने या अवशोषित करने से रोकने के लिए कुछ घरेलू क्लीनर और रसायनों से बचना चाहिए।

  14. उच्च प्रभाव वाली गतिविधियों को सीमित करें - आपको और बच्चे दोनों की सुरक्षा के लिए गिरने या चोट लगने के जोखिम वाली गतिविधियों को कम से कम किया जाना चाहिए।

  15. असुरक्षित यौन संबंध से बचें - हालांकि कुछ यौन गतिविधियां सुरक्षित हैं, लेकिन किसी भी जोखिम से बचने के लिए क्या उचित है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

  16. हाइड्रेशन न छोड़ें - हाइड्रेटेड रहना आपके स्वास्थ्य और बच्चे के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

  17. लंबे समय तक खड़े रहना सीमित करें - लंबे समय तक खड़े रहने से असुविधा हो सकती है और संभावित रूप से रक्त परिसंचरण प्रभावित हो सकता है।

  18. बिल्ली के कूड़े के संपर्क से बचें - बिल्ली के मल में परजीवी हो सकता है जो गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक है, इसलिए यदि संभव हो तो कूड़े के डिब्बे की जिम्मेदारी सौंपें।

निष्कर्ष

४० हफ्ते की गर्भावस्था का मतलब है, बच्चे के इंतज़ार कि घड़ी अब समाप्त हुई और प्रसव किसी भी समय हो सकता है। चिंता मत कीजिए ! डॉक्टर की दी हुई सलाह का पूरा पालन कीजिये। 

अगर आपके मन में कोई प्रश्न है या कोई तकलीफ है, तो देर न करे, आज ही  HexaHealth की पर्सनल केयर टीम से संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपके सभी प्रश्नों को हल करेंगे।

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अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

क्या ४० सप्ताह को फुल टर्म माना जाता है?

गर्भावस्था का पूर्ण सामान्य पाठ्यक्रम लगभग ४० सप्ताह होता है। जब गर्भावस्था का यह क्रम जारी रहता है, तो इसे टर्म गर्भावस्था या पूर्ण-कालिक गर्भावस्था कहा जाता है।

४० सप्ताह की गर्भावस्था में शारीरिक परिवर्तन क्या होते हैं?

४० हफ्ते की गर्भावस्था में प्रसव की तैयारी के दौरान निम्न परिवर्तन होते हैं: 

  1. गर्भाशय ग्रीवा नरम होकर खुलने लगती है, साथ ही बचे का सिर श्रोणि मे नीचे आने लगता है। 

  2. इसके बाद  महिला की योनि के खुले भाग से शिशु का सिर दिखाई देने लगता है।

डिलीवरी कितने वीक में होती है?

पारिभाषिक रूप में ३९ सप्ताह पूरा होने पर ही गर्भावस्था को फूल टर्म कहा जाता हैं। अगर गर्भावस्था  का ४०वा हफ्ता चल रहा है तो कभी भी महिला की डेलीवेरी हो सकती है।

९वें महीने में डिलीवरी कब होती है?

९ वे महीने के समाप्त होने पर डिलीवरी होती है। इसके अलावा ४० हफ्ते की गर्भावस्था मे कभी भी डेलीवेरी हो सकती है।

क्या ३८ वीक में डिलीवरी हो सकती है?

जी हाँ, ३८ वीक में डिलीवरी हो सकती है। ज्यादातर स्थितियों मे यह पाया गया है कि ३७ सप्ताह और ४२ सप्ताह के बीच जन्मा शिशु पूर्ण रूप से स्वस्थ होता हैं।

४१ सप्ताह की गर्भावस्था में शारीरिक परिवर्तन क्या होते हैं?

४१  सप्ताह की गर्भावस्था मे वही शारीरिक परिवर्तन देखे जाते हैं जो ४० वे हफ्ते की गर्भावस्था मे होते हैं जैसे

  1. ग्रीवा नरम होकर खुलने लगती है

  2. बच्चे का सिर श्रोणि मे नीचे आने लगता है और फिर योनि के खुले भाग से शिशु का सिर दिखाई देने लगता है।

४० वीक प्रेग्नेंसी के लक्षण क्या हैं?

४० वे हफ्ते की गर्भावस्था में निम्न लक्षण हो सकते हैं: 

  1. ब्रेक्सटन हिक्स कान्ट्रैक्टशंस

  2. इसके अलावा ऐंठन का एहसास होता है जैसी मासिक मे दर्द की तरह महसूस होती है 

  3. कमर दर्द

  4. दस्त 

  5. योनि में म्यूकस प्लग का निकलना होता है।

क्या गर्भावस्था के ४०वें हफ्ते में लेबर पेन शुरू हो जाता है?

हाँ, ४० हफ्ते की गर्भावस्था मे कभी भी लेबर पेन शुरू हो सकता है। ३९ सप्ताह के पूरे होने को फूल टर्म कहा जाता है, और ऐसी स्थिति मे प्रसव कभी भी हो सकता है।

गर्भावस्था के ४०वें हफ्ते में क्या सावधानियां और सावधानी बरतनी चाहिए?

४० वे हफ्ते की गर्भावस्था में निम्न सावधानी बरतनी चाइए: 

  1. सीधा सोने के बजाए, अपनी साइड पर सोये, यह लाभदायक होता है। 

  2. अच्छा पौष्टिक आहार का सेवन करे, खूब तरल पदार्थ और पानी पिए। 

  3. अपने एंटी नेटल अपपोइनटमेंट्स कभी भी न छोड़े, नियमित रूप से डॉक्टर से संपर्क बनाए रखे। 

  4. प्रसव होने के संकेतों पर नजर रखें।

४० सप्ताह की गर्भावस्था में शिशु की हलचल क्या होती है?

४० वे हफ्ते की गर्भावस्था में एक घंटे में दस हरकतें (किक, फड़फड़ाहट या लुढ़कना) शिशु की हलचल मानी जाती है। अगर इतनी हलचल नहीं है, तो मान सकते हैं कि बच्चा तनाव ग्रस्त है।

गर्भावस्था के ४०वें सप्ताह में शिशु का विकास कितना होता है

४० हफ्ते की गर्भावस्था में बच्चे का पूरा विकास हो जाता है। स्वस्थ बच्चे का वजन  करीबन ३ से ४.५  किलोग्राम के बीच होना चाहिए।

गर्भावस्था के ४०वें हफ्ते में क्या आहार लेना चाहिए?

गर्भावस्था के ४० वे हफ्ते में निम्न आहार का सेवन करना चाहिए: 

  1. फल

  2. सब्जियां

  3. साबुत अनाज की ब्रेड

  4. कम वसा वाले डेयरी खाद्य पदार्थ

  5. बीन्स

  6. लीन मीट

  7. मछली

  8. साथ में खूब पानी और तरल पदार्थों का सेवन करें।

गर्भावस्था के ४०वें हफ्ते में कौन-कौन से टेस्ट कराने चाहिए?

गर्भावस्था के ४०वें हफ्ते में प्रसव पूर्व मुलाकात के दौरान निम्नलिखित परीक्षणों कराने चाहिए:

  1. नॉन स्ट्रेस परीक्षण

  2. एमनियोटिक द्रव सूचकांक

  3. अल्ट्रसाउन्ड

गर्भावस्था के ४०वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड क्या दर्शाता है?

गर्भावस्था के ४०वें हफ्ते में अल्ट्रासाउंड स्कैन के माध्यम से बच्चे के आकार और बच्चे के चारों ओर एमनियोटिक द्रव की मात्रा की जांच  कि जा सकती है।

प्रसव पीड़ा शुरू करने के लिए क्या करें?

प्रसव प्रक्रिया को कृत्रिम रूप से शुरू करने की कोशिश करने के लिए हार्मोन या अन्य तरीकों जैसे  उनके निपल्स को उत्तेजित करना, संभोग करना, या कैस्टर तेल का उपयोग करके किया जाता है।

Updated on : Saturday, 23 September 2023

References

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Reviewer

Dr. Monika Dubey

MBBS, MS Obstetrics & Gynaecology
21 years experience

Author

Sangeeta Sharma

BSc. Biochemistry I MSc. Biochemistry (Oxford College Bangalore)
6 years experience

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