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कोलोनोस्कोपी प्रक्रिया: कीमत, प्रक्रिया, लक्षण, तैयारी व सावधानियां

Colonoscopy in Hindi

Test Duration

clock

20 Minutes

------ To ------

60 Minutes

Test Cost

rupee

4,000

------ To ------

10,000

Colonoscopy in Hindi
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पेट दर्द वैसे तो सुनने में आम लगता है। कभी कभी होनेवाला दर्द कोई चिंता का विषय नहीं है। लेकिन बार बार होनेवाली पीड़ा आम बात नही है। यह वेदना केवल परेशान नहीं करती पर आपके दिनचर्या को भी प्रभावित कर सकता है। 

ऐसी तकलीफ का कारण अंदरूनी अंगों से जुड़ी बीमारी हो सकती है। हमारे शरीर के ऐसे अंदरुनी अंग जैसे बड़ी आंत और मलाशय का परिक्षण कोलोनोस्कोपी से किया जाता है। कोलोनोस्कोपी क्या है, इसे विस्तार से जानने के लिए पढ़ना जारी रखिए।

वैकल्पिक नाम

कोलोनोस्कोपी स्क्रीनिंग, एसोफैगोगैस्ट्रोडोडेनोस्कोपी, सिग्मोइडोस्कोपी

आवश्यकताएं

आहार का नियोजन चिकित्सक के सलाह अनुसार

परीक्षण कौन करता है

गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट या कोलोरेक्टल सर्जन

पैरामीटर 

आंतों की स्थिति की जांच

रिपोर्ट करने का समय

तुरंत परीक्षण के बाद या २४ घंटो के अंदर

कोलोनोस्कोपी का मतलब

कोलोनोस्कोपी का मतलब बड़ी आंत की अंदरूनी जांच है। इसमें बड़ी आंत, मलाशय और गुदा का परीक्षण किया जाता हैं। कोलोनोस्कोपी एक प्रकार की एंडोस्कोपी है। इसमें गुहांतदर्शी का उपयोग किया जाता है। 

गुहांतदर्शी एक लचीली ट्यूब होती है जिसके अंत में एक रोशनी वाला कैमरा होता है, जो शरीर गुदद्वार से अंदर डाला जाता है।कोलोनोस्कोपी में, गुहांतदर्शी गुदा और मलाशय से होकर बड़े आंतों तक जाता है। फिर यह बड़ी आंत के अंदर के चित्र को एक संगणक पटल पर भेजता है।

कोलोनोस्कोपी की अवश्यकता

कोलोनोस्कोपी टेस्ट का उद्देश्य किसी रोग का निवारण, रोग का निदान और किसी बीमारी की चिकित्सा हो सकती है।

रोग निदान 

कुछ लोगों में कोलोनोस्कोपी ऐसे रोग लक्षण के लिए कराई जाती है जिनकी ज्यादा बारीकी से जांच करने की जरूरत होती है। इसके अलावा कोलोनोस्कोपी कुछ बीमारियों का निदान भी करती है। कोलोनोस्कोपी की आवश्यकता इन लक्षणों और बीमारियों के निदान में हो सकती है:

  1. रक्तस्राव - जब मलाशय से रक्तस्राव हो रहा जो और जिसका कारण अस्पष्ट हो, तब चिकित्सक इस परीक्षण की सलाह देते है।
  2. अनियमित मलत्याग - आपके में मलत्याग के दिनचर्या में अस्पष्टीकृत बदलाव, जैसे दस्त, कब्ज या अनियमितता हो रही हो तो भी इस परीक्षण की मांग की जाती है।
  3. पेट दर्द - आपको लगातार पेट दर्द होता हो जिसका कारण अस्पष्ट हो, यह भी कोलोनोस्कोपी करवाने की एक वजह है।
  4. वजन में बदलाव - बिना कारण वजन कम हो रहा या वजन न बढ़ रहा हो, खास कर बच्चो में यह कर्क रोग का संकेत हो सकता है ।
  5. दीर्घकालिक बृहदांत्रशोथ - बृहदांत्र शोथ जैसे व्रणयुक्त बृहदांत्रशोथ या क्रोहन रोग जिसमे आंतों के अंदर की परत सूझ जाति है। ऐसे बीमारियों में कोलोनॉस्कोपी रोग निदान में मदद करती है।
  6. अल्सर और नाकडा - अल्सर या आंतों में व्रण का निदान और इलाज कोलोनोस्कोपी द्वारा मुमकिन है। बृहदांत्र और मलाशय नाकड़ा जिसमे आंतो के अंदरुनी परत पर छोटी थैलिया बन रही हो, इनका नैदानिक परीक्षण कोलोनोस्कोपी से हो सकता है।
  7. कैंसर - बृहदांत्र और मलाशय का कर्क रोग के निदान और इलाज के दौरान भी है कोलोनोस्कोपी मदद करती है।

रोग का इलाज

कोलोनोस्कोपी के दौरान, इन रोगों का इलाज मुमकिन है: 

  1. नाकड़ा (पोलिप) - आम तौर पर पाए जाने वाले किसी भी नाकड़ा को हटाया जा सकता है। ऐसे नाकड़ा को हटाकर संभावित कर्क रोग के विकस या फैलाव को रोका जा सकता है
  2. घाव - कोई अंदरूनी घाव हो तो कोलोनोस्कोपी उसे सील कर उसका इलाज कर सकता है।
  3. दवा को पहुंचाना - कोलोनोस्कोपी दवाइयों को सुई द्वारा अंदर डालने में मदद करता है।
  4. आंतों की रुकावट - आंतों में कोई रुकावटें हो तो उन्हें दूर किया जा सकता है
  5. स्टेंट लगाना - कोलोनोस्कोपी से स्टेंट लगाई जा सकता है।

कोलोनोस्कोपी के फ़ायदे

कोलोनोस्कोपी करने से पहले ये जानना जरूरी है है, के इसके फायदे क्या है। कोलोनोस्कोपी का मुख्य फायदा यह है के एक ही जांच में आप इलाज, निदान और जांच तीनों कर सकते है।

कोलोनॉस्कोपी लाभ निम्न सूची में नमूद किए गए है:

  1. कोलोनोस्कोपी टेस्ट उच्च संवेदनशील जांच है। यदि किसीको कोलोरेक्टल कैंसर विकसित होने का अधिक खतरा है, तो चिकित्सक जांच कर कर्क रोग के परिवर्तनों का शीघ्र पता लगा सकता है।
  2. यह अनेक में एक जांच है। याने के एक परीक्षण से जांच, निदान और इलाज तीनों हो सकता है।
  3. यह टेस्ट करते समय, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट जांच और रोकथाम के लिए संदिग्ध ऊतकों को निकल भी सकता है।
  4. अन्य प्रकार के इमेजिंग परीक्षणों को तुलना में कोलोनोस्कोपी बृहदांत्र का बेहतर दृश्य प्रदान कर सकता है।

कोलोनोस्कोपी के प्रकार

कोलोनोस्कोपी एक महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसका उपयोग रोगों के निदान, रोकथाम और इलाज के लिए किया जाता है। प्रत्येक विशिष्ट चिकित्सा आवश्यकताओं और स्थितियों के अनुरूप इसका वर्गीकरण किया गया है। कोलोनोस्कोपी के दो मुख्य प्रकार है। आपके लक्षणों के आधार पर चिकित्सक किस प्रकार की कोलोनोस्कोपी करनी है, इसका चयन करते है।

  1. स्क्रीनिंग कोलोनोस्कोपी - यह बृहदान्त्र (कोलोन) की जांच करने के लिए एक निवारक परीक्षण है। इस परीक्षण के दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है की आपके आंत स्वस्थ है। 
  2. डायग्नोस्टिक कोलोनोस्कोपी - यह एक नैदानिक परीक्षण है जो किसी लक्षणों के कारण और निदान के लिए किया जाता है। इस प्रकार की कोलोनोस्कोपी निम्न स्थिति में की जाती है:
  1. आंतों के कैंसर के संभावित लक्षण 
  2. परिवार में करीबी रिश्तेदारों में कोलन कैंसर  
  3. आयरन की कमी से एनीमिया
  4. लगातार पेट दर्द, या मल में खून आ रहा हो 

कोलोनोस्कोपी की तैयारी

कोलोनोस्कोपी टेस्ट की प्रक्रिया की सफल रूप से पूर्ण होने के लिए तैयारी महत्वपूर्ण है। जिस दिन जांच नियुक्त की जाती है, उस दिन के लिए पालन किए जानेवाले निर्देश का विवर आपको चिकित्सक सटीक रूप से दे सकते है।

इन तैयारी का उद्देश्य यह है की कोलोनोस्कोपी के दौरान आंत यथासंभव स्वच्छ और पारदर्शी हो। ऐसा न होने पर एंडोस्कोपिस्ट विशेषज्ञ आपके आंतों का सही चित्रण नही देख पाएगा। जिस वजह से कोलोनोस्कोपी को पुनर्निर्धारित करना पड़ सकता है, जिस दौरान आपको यही तैयारियां दोबारा करनी पड़ सकती है। तैयारियों में शामिल है:

  1. कोलोनोस्कोपी टेस्ट के कुछ दिन पहले से आहार को समायोजित किया जाता है
  2. इस टेस्ट के दो या तीन दिन पहले कम फाइबर वाला आहार खाने के निर्देश दिए जाते है
  3. इस परीक्षण के एक दिन पहले केवल द्रव आहार लेने को कहा जाता है
  4. कोलोनोस्कोपी से एक दिन पहलेवाली शाम को, आंतों को शुद्ध करने के लिए एक रेचक फार्मूला दिया जाएगा जिससे सारा मलत्याग होगा 
  5. इस नैदानिक परीक्षण से एक दिन पहले से आरामदायक रहे और रात को अच्छी नींद कर लें 

इन सब के बाद अगली सुबह आपकी कोलोनोस्कोपी की जाएगी।

कोलोनोस्कोपी परीक्षण प्रक्रिया

कोलोनोस्कोपी टेस्ट अक्सर एनेस्थीसिया देकर की जाती है। इसीलिए कोलोनोस्कोपी के दिन आपको अकेले नहीं जाना है। कोलोनोस्कोपी के प्रक्रिया में निम्न अंक शामिल है:

  1. चिकित्सालय में प्रवेश के बाद आपको एक कमरे में ले जाया जाता है, जहा आपको चिकित्सालय के वस्त्र पहने को सलाह दी जाती है।
  2. फिर एक परिणित परिचारिका आपके नस में आईवी डालेगी जिसके माध्यम से शामक और दर्द की दवाएं रक्तप्रवाह में पहुचाई जाएंगी।
  3. एंडोस्कोपिस्ट कोलोनोस्कोप को गुदा के माध्यम से आंतों में डालता है। कोलोनोस्कोप एक छोटा, रोशनी वाला कैमरा जो कैथेटर (एक लंबी, पतली, लचीली ट्यूब) के जरिए अंत से जुड़ा होता है।
  4. फिर धीरे धीरे कोलोनोस्कोप को बड़ी आंत के माध्यम से आंत के उस हिस्से तल आगे बढ़ाता है, जहां वह छोटी आंत से मिलता है।
  5. कैथेटर आगे बढ़ते वक्त आपके आंतों को फुलाने के लिए हवा पंप करता है।
  6. फिर कोलोनोस्कोप से जुड़ा कैमेरा, आंतों के अंदर का चित्रण संगणक पटल पर भेजता है। 
  7. इस दौरान एंडोस्कोपिस्ट संगणक पटल पर किसी भी असामान्य रचना के लिए निगरानी रखेगा।
  8. जब बृहदांत्र के अंत तक पहुंचने पर, कोलोनोस्कोप को उसी तरह वापस लाया जाता है।
  9. इस दौरान चिकित्सक फिर से आंतों के अंदरूनी हिस्सों को फिर से देखते है।

कोलोनोस्कोपी के बाद

कोलोनोस्कोपी की प्रक्रिया के बाद पहला घंटा स्वास्थ्य देखभाल केंद्र में आराम करने कहा जाता है। इस दौरान स्वास्थ्य परिचर्या कर्मचारी आपके स्वास्थ्य संकेतों की निगरानी करते है। इसके अलावा कोलोनोस्कोपी के बाद इन निम्न बातों का ध्यान रखे:

  1. आराम - कोलोनोस्कोपीवाले दिन काम पर न  जाए। इस दौरान उपकरण या गाड़ी को चलाना या संभालना सुरक्षित नहीं है। 
  2. खान पान का ध्यान - कोलोनोस्कोपी के बाद ३० मिनट के बाद पीने पीए। पहले एक घंटे में  केवल एक एक घूट पानी पीने का प्रयास करें।
  3. हीटिंग पैड - अगर गैस और सूजन से आप परेशानी हो तो हीटिंग पैड का प्रयोग करें या बायीं ओर करवट लेकर लेटें
  4. नियमित दवाईया - आपको कौन सी नियमित दवाएँ या रक्त पतला करने वाली दवाएँ दोबारा कब और कैसे लेनी चाहिए, इस बारे में चिकित्सक से परामर्श करे।
  5. वजन न उठाए - अगर कोलोनोस्कोपी के दौरान नाकड़ा हटा दिया गया है, १ हफ्ते तक वजन न उठाए।

कोलोनोस्कोपी के परिणाम

ज्यादातर कोलोनोस्कोपी परीक्षण वीडियो के परिणाम तुरंत पता चल जाते है। अगर कोलोनोस्कोपी टेस्ट के दौरान जीवोति-जांच के लिए उतक लिए गए है तो उसके परिणाम कुछ दिनों में मिल सकते है। 

कोलोनोस्कोपी टेस्ट के परिणाम निम्न हो सकते है:

  1. सामान्य परिणाम जिसका अर्थ स्वस्थ आंत्र ऊतक हैं।
  2. कोलोनोस्कोपी के असामान्य परिणाम का मतलब निम्न लिखित स्थितियां हो सकती है:
  1. रक्तस्राव - अनियंत्रित जठरांत्र रक्तस्राव, जिसका कारण बृहदांत्र, मलाशय या गुदा में सूजन, गांठ, वृण, या कर्क रोग हो सकता है।
  2. नाकडा - सौम्य, कैंसर पूर्व नाकड़ा जो शरीर के अंदर की एक वृद्धि है। कभी कभी यह कैंसरग्रस्त पॉलीप्स भी पाए जाते है। 
  3. सूजन - कोलोनॉस्कोपी में सूजन भी दिखाई देती है। सूजन किसी संक्रमण, रक्त प्रवाह में कमी या स्व-प्रतिरक्षित रोग के कारण हुई हो सकती है।
  4. ऊतक क्षति - घाव के कारण हुई दीर्घकालिक ऊतक क्षति भी कोलोनोस्कॉपी में दिख जाती है।
  5. सिकुड़न - आंत में रुकावट या सिकुड़न का निदान भी कोलोनोस्कोपी द्वारा हो सकता है।
  6. डायवर्टीकुलोसिस - एंडोस्कोपी में बृहदान्त्र पर बनी हुई छोटी थैली दिख सकती है, जिन्हे डायवर्टिकुलोसीस कहा जाता है। 

कोलोनोस्कोपी परीक्षण वीडियो के जरिए आपका चिकित्सक जांच के परिणाम को सटीक रूप से बताएंगे।

कोलोनोस्कोपी जांच के बाद का इलाज

आपकी स्थिति के बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करने के लिए सीटी स्कैन या रक्त परीक्षण जैसे अतिरिक्त परीक्षणों का आदेश दिया जा सकता है। इलाज इस प्रकार से हो सकता है:

  1. आहार में बदलाव- पाचन स्वास्थ्य में सुधार के लिए डॉक्टर अधिक फाइबर खाने जैसे आहार में बदलाव का सुझाव दे सकते हैं।
  2. दवाएं - बृहदान्त्र में सूजन या संक्रमण जैसी स्थितियों को प्रबंधित करने के लिए आपको दवाएं दी जा सकती हैं।
  3. निगरानी - आपके कोलोनोस्कोपी परिणामों के आधार पर, आपका डॉक्टर आपके कोलन स्वास्थ्य की निगरानी के लिए नियमित अनुवर्ती जांच की सिफारिश कर सकता है।
  4. जीवनशैली में बदलाव - कोलन कैंसर के खतरे को कम करने के लिए धूम्रपान छोड़ने और शराब का सेवन कम करने जैसे संशोधनों की सलाह दी जा सकती है।
  5. सर्जरी - कुछ मामलों में, ट्यूमर या रुकावट जैसी गंभीर समस्याओं का पता चलने पर सर्जरी आवश्यक हो सकती है।

कोलोनोस्कोपी परीक्षण के जोखिम

आम तौर पर कोलोनोस्कोपी टेस्ट एक सुरक्षित जांच प्रक्रिया है जिसके जोखिम और जटिलताएँ कम हैं। लेकिन दुर्लभ और संभव जटिलताएँ हैं:

  1. चोट - कोलोनॉस्कोपी के दौरान बृहदान्त्र की दीवार पर चोट, लग सकती है। 
  2. छिद्र - इस परीक्षण के वक्त बृहदान्त्र की दीवार में छिद्र हो सकता है या वह फट सकता है।
  3. रक्तस्राव - इस जांच के समय बृहदान्त्र के ऊतक को हटाने से अनियंत्रित रक्तस्राव हो सकता है।
  4. संक्रमण - एंडोस्कोप के उपयोग से संक्रमण हो सकता है जिसमे प्रतिजैविक दवाओं की जरूरत पड़ सकती है।
  5. एनेस्थीसिया से जुड़ी प्रतिक्रिया - इस जांच के बाद संज्ञाहरण दवा के प्रति असामान्य प्रतिक्रिया हो सकती है।

कोलोनोस्कोपी टेस्ट की कीमत

कोलोनोस्कोपी टेस्ट के मूल्य अलग अलग अस्पताल में भिन्न हो सकता है। कीमत के अलग अलग होने के कारण निम्न सूची में दिए गए है:

  1. मेट्रो शहर, शहर और छोटे गांव में कोलोनॉस्कोपी की कीमत अलग होती है।
  2. एक ही शहर के अलग अलग प्रयोगशाला में इसकी कीमत थोड़ी अलग हो सकती है। 
  3. कोलोनोस्कोपी के प्रकार के हिसाब से भी इसका मूल्य भिन्न हो सकता है।
  4. कोलोनॉस्कोपी का उद्देश्य निदान है, इलाज है या ऊतक लेना है इस हिसाब से भी कीमत अलग होती है।
  5. कोलोनोस्कोपी के लिए किस प्रकार के उपकरण और साधन इस्तेमाल करते है उसके आधार पर भी मूल्य अलग होता है।

यहा कोलोनोस्कोपी की निम्न और उच्च कीमत दी गई है। आपको इस जांच की कीमत इसी श्रेणी के भीतर लग सकती है।

टेस्ट 

कीमत

कोलोनोस्कोपी

₹ ४००० - ₹ १०,०००

निष्कर्ष

कोलोनोस्कोपी एक प्रक्रिया है, जिसके उद्देश्य और फायदे अनेक है। इससे एक ही समय में रोग निदान, परीक्षण और इलाज तीनों हो सकता है। खासकर अगर कर्क रोग होने की आशंका है।

स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करना ज़रूरी है। HexaHealth स्वास्थ्य सेवा नवाचार में सबसे आगे खड़ा है, और स्वस्थ जीवन की आशा प्रदान करता है।बिमारियों का रोकथाम, शीघ्र हस्तक्षेप और बेहतर रोगी अनुभवो यह इस संस्था का मुख्य उद्देश्य है। 

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अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

कोलोनोस्कोपी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे आपके चिकित्सक आपके संपूर्ण बड़ी आंत के अंदर की जांच करते है। इस प्रक्रिया कोलोनोस्कोप नामक एक लंबी, लचीली ट्यूब का उपयोग किया जाता है। कोलोनोस्कोप के एक सिरे पर एक बत्ती और एक छोटा कैमरा होता है, जिसे गुदद्वार से अंदर डालकर बृहदान्त्र तक में ले जाया जाता है।

कोलोनोस्कोपी टेस्ट करने के कई कारण हो सकते है। जिसमे शामिल है:  

  1. आपको लगातार पेट का दर्द रहता है।
  2. आपके मल त्याग के दिनचर्या में बदलाव महसूस हो रहे है।
  3. आपका वजन घट रहा है।
  4. आपके अन्य परीक्षण में असामान्य परिवर्तन (नाकडा) पाए गए है।
  5. लोहे की कमी की वजह से हो रहे रक्तहीनता का अंदरूनी कारण जानना हो।
  6. आपको शौच में रक्त, कालापन या गहरे रंग का मल होता है।
  7. आप आंत्र के सूजन से जुड़े रोग के लक्षण महसूस कर रहे हो।
  8. आपके आंतो में व्रणयुक्त सूजन हो रही है।
  9. आंत्र और मलाशय के कर्क रोग का निदान करना हो।

निम्न स्थितियों में कोलोनोस्कोपी की जरूरत होती है:

  1. अगर आपके चिकित्सक को शंका है बृहदान्त्र कैंसर और मलाशय कैंसर की, तो जांच के लिए जरूरत है।
  2. कर्क रोग के शुरुआती लक्षण, जैसे ऊतक में
  3. सूजन, व्रण और रक्तस्राव है।
  4. कैंसर के उपचार के बाद बृहदान्त्र की जांच के लिए कोलोनोस्कोपी टेस्ट की जरूरत है।
  5. बृहदान्त्र के नाकडा का उपचार करने के लिए भी इस कोलोनोस्कोपी की आवश्यकता है। 
  6. जीर्ण अंग के व्यूह के पथ में कही रक्तस्राव हो रहा हो, तो इस स्थिति में भी कोलोनोस्कोपी से निदान कर सकते है।

निम्न लिखित लोग कोलोनोस्कोपीटेस्ट के लिए पात्र नहीं है:

  1. गर्भवती महिलाएं जिनके गर्भ में भ्रूण है उन्हे इस प्रक्रिया से दिक्कत हो सकती है।
  2. ७५ वर्ष या उससे अधिक उम्र के रोगियों,में भी यह प्रक्रिया नही की जाती है।
  3. सीमित जीवन प्रत्याशा वाले रोगियों, में कोलोनोस्कोपी की सिफारिश नहीं की जाती है। 
  4. जिनको गंभीर चिकित्सा समस्या है इनमे भी अक्सर चिकित्सक कोलोनोस्कोपी की सलाह नहीं देते है।

कोलोनोस्कोपी टेस्ट की कीमत ₹ ४००० - ₹ १०,०००होती है। कीमत डायग्नोस्टिक सेंटर और उसके स्थान जैसे कारकों पर निर्भर करती है।

हाँ, आम तौर पर कोलोनोस्कोपी से एक दिन पहले एनीमा दिया जाता है। ये आंतों को स्वच्छ करने को प्रक्रिया है। ईससे चिकित्सक कोलोनोस्कोपी टेस्ट के दौरान बृहदान्त्र के अंदरुनी क्षेत्र को सही और स्पष्ट रूप से देख सकता है। स्पष्टता न होने पर फिर से कोलोनोस्कोपी करने की जरूरत पड़ सकती है। इसीलिए एनीमा आवश्यक है।

कोलोनोस्कोपी टेस्ट अक्सर अस्पताल के चिकित्सा कक्ष में की जाती है। इसकी प्रक्रिया इस प्रकार से होती है:

  1. प्रक्रिया के दौरान आराम के लिए नस में आईवी द्वारा दवा दी जाएगी। जिससे आप जाग रहे होंगे पर आपको दर्द महसूस नहीं होगा।
  2. आपको घुटनों को छाती की ओर मोड़कर बाईं ओर लेटने कहा जाएगा।
  3. कोलोनोस्कोप को गुदद्वार से धीरे धीरे अंदर डाला जाता है।
  4. धीरे धीरे आगे बढ़ाते हुए बड़ी आंत के निचले हिस्से से छोटी आंत के निचले हिस्से तक ले जाया जाता है।
  5. कोलोनोस्कोप को आगे बढ़ाने और बेहतर चित्र के लिए स्कोप से हवा डाली जाती है।
  6. जब स्कोप को वापस लाया जाता है उस समय बेहतर चित्र के लिए ज्यादा सावधानी बरतकर परीक्षा की जाती है।

कोलोनोस्कोपी टेस्ट के लिए आंत को पूरी तरह से खाली और साफ करना आवश्यक होता है। इसीलिए तैयारियों में मुख्य रूप से आंतों को साफ करने के कदम शामिल होते है:

  1. एनीमा का उपयोग कर आंतों को स्वच्छ किया जाता है।
  2. परीक्षण के १ से ३ दिन पहले से ठोस आहार न खाने के निर्देश दिए जाते है।
  3. कोलोनोस्कोपी से से १ से ३ दिन पहले तक खूब सारे साफ द्रव पीना पड़ता है।
  4. कोलोनोस्कोपी से पहले काफी दिनों तक रक्त-पतला करने वाली दवाएं एस्पिरिन, इबुप्रोफेन, नेप्रोक्सन, या अन्य ऐसी दवाएं लेना बंद करने को सलाह दी जाती है।

कोलोनोस्कोपी के दौरान ये लक्षण महसूस हो सकते है :

  1. दवा के प्रभाव से आप नींद के हालत में होंगे।
  2. स्कोप के अंदर जाने पर आपको दबाव महसूस होगा।
  3. जैसे जैसे स्कोप अंदर जाएगा आप ऐंठन और गैस का दर्द महसूस होगा।
  4. इस दौरान गैस का पास होना अपेक्षित है ये सारे लक्षण थोड़ी देर में दूर हो जाते है।

कोलोनोस्कोपी से पहले यह सावधानियां बरतनी चाहिए:

  1. कोलोनोस्कोपी के कुछ दिन पहले से अपने खान पान को समायोजित करना शुरू करे।
  2. प्रक्रिया से २ से ३ दिन पहले से ठोस आहार खाना बंद करे।
  3. प्रक्रिया से एक दिन पहले एनिमा से पेट साफ करे।
  4. चिकित्सक से सलाह मशवरा कर के खून पतला करने वाली दवा बंद करे।

कोलोनोस्कोपी से तीन दिन पहले से ठोस आहार नहीं खाना चाहिए। इस जांच के लिए आपकी आंतों का स्वच्छ होना आवश्यक है। इसीलिए केवल द्रव पदार्थ जैसे फलों का रस, शोरबा, पानी, चाय और काफी यह पेय ले सकते है।

हां। कोलोनोस्कोपी टेस्ट के दौरान हाथ की में अंतःशिरा डाली जाती है, जिससे एनेस्थीसिया दिया जाता है। आप कोलोनोस्कोपी के दौरान कितना जागेंगे या पूरा सोएंगे ये आपको दिए गए एनेस्थीसिया के प्रकार पर निर्भर करता है।

एक अध्ययन के अनुसार कोलोनोस्कोपी संक्रमण के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। संक्रमण अक्सर प्रक्रिया के एक महीने के बाद होता है। डायवर्टीकुलिटिस, पेरिटोनिटिस और एपेंडिसाइटिस यह अक्सर देखे जानेवाले संक्रमण है।

आपको आराम कैसे और कब तक करना है यह आपको दिए गए शामक दवा पर निर्भर करता है। 

  1. कोलोनोस्कोपी टेस्ट के प्रक्रिया के बाद निगरानी के लिए रिकवरी रूम में ले जाया जाता है।
  2. जब आपका रक्तचाप, नाड़ी, श्वास स्थिर होता है और पूरे तरीके से होश में आते है तो आपको अस्पताल के कमरे में आराम करने ले जाते है।
  3. यहां आपकी स्थिति स्थिर होने पर आपको घर के लिए छुट्टी मिलती है।

कोलोनोस्कोपी के नतीजे आप खुद से समझ नही पाएंगे। इसीलिए अपने एंडोस्कोपिस्ट या चिकित्सक से मिले। वह कोलोनोस्कोपी के रिपोर्ट्स को सटीक तरीके से समझ कर सही सलाह दे सकता है।

कोलोनोस्कोपी की जरूरत इन स्थितियों में होती हैं:

  1. शौच करते समय मलाशय से रक्तस्राव होता हो।
  2. आप को मल में मवाद या बलगम आता हो।
  3. आपको पेट दर्द होता है जिसका कारण स्पष्ट न हो।
  4. आपकी शौच के आदतों में परिवर्तन हो रहा हो, जिसका कारण अस्पष्ट हो।
  5. आपको पेट दर्द हो रहा हो जिसका कारण स्पष्ट नहीं हो रहा हो।

एनेस्थीसिया की वजह से कोलोनोस्कोपी में दर्द महसूस नहीं होता है। इसी तरह अगर कोलोनोस्कोपी से बायोप्सी या लेजर चिकित्सा के दौरान भी दर्द नही होता है। लेकिन, कोलोनोस्कोप जब आंतों में आगे बढ़ने के लिए गैस का इस्तेमाल करता है, उससे दबाव महसूस हो सकता है।

कोलोनोस्कोपी प्रक्रिया के लगभग २४ घंटे बाद एनेस्थीसिया का असर पूरी तरह से ख़त्म होता है, इसीलिए: 

  1. आपको अगले एक दिन तक गाड़ी न चलाने, कोई मशीन न चलाने और कोई महत्वपूर्ण कार्य या निर्णय न लेंने की सलाह दी जाती है। लेकिन आप हर घंटे के बीतने के साथ बेहतर महसूस करेंगे।
  2. पहले दो घंटे में होनेवाले गैस दर्द, या मतली के लिए खान पान में हलका और कम तीखा खाने की सलाह दी जाती है। जब आपको आराम लगने लगे आप सामान्य आहार दोबारा से ले सकते हैं।

कोलोनोस्कोपी के जोखिमों शामिल हो सकता है:

  1. नाकडा हटाने के बाद भारी मात्रा में खून बह सकता है।
  2. बड़ी आंतों के दीवार में छेद हो सकाता है।
  3. कोलोनोस्कोप के डालने से संक्रमण की जोखिम होती है ।
  4. आराम देनेवाली दवा के प्रतिक्रिया से सांस लेने में दिक्कत या निम्न रक्तचाप की दिक्कत हो सकती है ।

कोलोनोस्कोपी टेस्ट के परिणाम दो हो सकते है:

  1. सामान्य परिणाम जिसका अर्थ आंतो की स्थिति स्वस्थ हैं
  2. असामान्य परिणामों का अर्थ हो सकता है

  1. बड़ी आंतों की परत अस्वाभाविक थैली (डायवर्टीकुलोसिस)
  2. आंतों में रक्तस्राव 
  3. बृहदान्त्र या मलाशय का कर्क रोग
  4. क्रोहन रोग
  5. व्रणयुक्त बृहदान्त्र सूजन 
  6. बृहदान्त्र में संक्रमण
  7. रक्त प्रवाह के कमी के कारण सूजी हुई आंत

बेहोशी की दवा की वजह से कोलोनोस्कोपी के दौरान आपको दर्द महसूस नहीं होता है। इसी तरह अगर जिवोती जांच के लिए ऊतक निकाला जाता है तभी वेदना नही होती है। साथ में लेजर चिकित्सा के दौरान भी पीड़ा नही महसूस होती है। हाँ , पर कोलोनोस्कोप जब बृहदान्त्र में आगे बढ़ता है तब हल्का दबाव या थोड़ा गैस का दर्द महसूस हो सकता है।

कोलोनोस्कोपी के दौरान बायोप्सी सिर्फ इन स्थितियों में ली जाती है:

  1. बृहदान्त्र या मलाशय के कर्क रोग के लक्षण के होने पर यह जांच की जाती है।
  2. मलाशय से रक्तस्राव होने पर इस जांच की जरूरत होती है।
  3. शौच करने के दिनचर्या में अस्पष्टीकृत बदलाव, दीर्घकालिक दस्त, कब्ज या अनियमितता हो।  
  4. बृहदान्त्र में कोई असहज ऊतक वृद्धि हो रही हो।
  5. बृहदान्त्र में नाकडा जो कर्क रोग का रूप ले रहा हो।

कोलोनोस्कोपी के दौरान चिकित्सक मानक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए, विशेष तरीकों का उपयोग करते है। बायोप्सी या सर्जरी के दौरान भी चिकित्सक यह सुनिश्चित  करते है, की कैंसर कोशिकाए न फैले।

फैलने से रोकने के लिए कई कदम भी उठाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि शरीर के एक से अधिक अंगों से ऊतक निकालना है, तो हर जगह के लिए अलग-अलग उपकरणों का प्रयोग करते हैं।

सन्दर्भ

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  7. National Cancer Institute. Common Cancer Myths and Misconceptions [Internet]. National Cancer Institute. Cancer.gov; 2018. link

लेखक

Sangeeta Sharma

Sangeeta Sharma

BSc. Biochemistry I MSc. Biochemistry (Oxford College Bangalore)

6 Years Experience

She has extensive experience in content and regulatory writing with reputed organisations like Sun Pharmaceuticals and Innodata. Skilled in SEO and passionate about creating informative and engaging medical conten...View More

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