क्या मोतियाबिंद की सर्जरी दोनों आंखों में एक साथ हो सकती है?
विशेषज्ञों द्वारा मोतियाबिंद का एकमात्र और पर्मानेंट इलाज सर्जरी ही बताया जाता है। लेकिन क्या आप अपनी दोनो आंखों में एक साथ सर्जरी करवा सकते हैं ? अगर करवाया तो इसके क्या रिजल्ट्स हो सकते हैं ? चलिए समझते हैं इस लेख में।
मोतियाबिंद क्या है ?
आंख के लेंस के धुंधला पड़ जाने पर आंखों से साफ दिखाई न देने को ही मोतियाबिंद कहा जाता है। जब मोतियाबिंद से दैनिक जीवन प्रभावित होने लगता है तब इसकी सर्जरी करवानी पड़ती है।
दोनों आंखों में मोतियाबिंद की सर्जरी
दोनो आंखों में एक साथ मोतियाबिंद की सर्जरी करने को इमीडिएटली सीक्वेंशियल बायलेट्रल कैटरेक्ट सर्जरी (ISBCS) कहते हैं। इसमें आपके एक आंख की सर्जरी करने के बाद आपकी दूसरी आंख की भी सर्जरी की जाती है। ISBCS यानी दोनो आंखों का एक साथ सर्जरी करने में फिनलैंड देश काफी आगे है। यहां पर 40% से 60% मोतियाबिंद के मरीजों की सर्जरी इसी माध्यम से की जाती है। इसके अलावा स्पेन के कैनरी द्वीप पर भी 80% मरीजों के मोतियाबिंद की सर्जरी ISBCS के द्वारा ही होती है। हालांकि इस सर्जरी के बाद उत्पन्न होने वाले जटिलताओं के कारण अमेरिका में यह विधि नही अपनाई जाती। एक रेट्रोस्पेक्टिव स्टडी में पाया गया कि 90% पेशेंट अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को ISBCS को रिकमेंड करते हैं। सिर्फ 2% इस प्रक्रिया को रिकमेंड नही करते हैं।
स्वीडन के स्टडी में पाया गया कि डिलेड सीक्वेंशियल बायलेट्रल कैटरेक्ट सर्जरी (DSBCS)विधि द्वारा की गई मोतियाबिंद की सर्जरी ISBCS विधि के मुकाबले 14% महंगी है। इसके साथ - साथ हॉस्पिटल में दो बार आने जाने और अन्य चीजों को जोड़ लें तो पेशेंट के लिए DSBCS विधि से सर्जरी कराना काफी महंगा पड़ जाता है।
हालांकि DCBCS विधि के सपोर्ट में कई डॉक्टर इसे सुरक्षित बताते हैं। उनके अनुसार ISBCS द्वारा सर्जरी करने पर गंभीर साइड इफेक्ट्स होने की संभावना रहती है, उदाहरण के लिए फैकोइमल्सिफिकेशन और बायलैटरल इंडोफ्थल्माइटिस गंभीर साइड इफेक्ट हैं।
फायदे
- इसके आर्थिक लाभ होते हैं, क्योंकि ज्यादातर हॉस्पिटल कम पैसों में सर्जरी का ऑफर देते रहते हैं।
- सामान्य एनेस्थीसिया से सर्जरी हो जाती है और खतरा भी कम रहता है।
- समान रूप से दृष्टि का होना।
- एक बार में ही मोतियाबिंद का समाधान हो जाता है।
- जो व्यस्त लोग हैं या जो आंखों के हॉस्पिटल से बहुत दूर रहते हैं, उनके लिए एक बार में ही सर्जरी होना फायदेमंद है।
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दोनो आंखों में मोतियाबिंद की सर्जरी कैसे होती है ?
मोतियाबिंद की सर्जरी में आपके प्राकृतिक लेंस को निकालकर आर्टिफिशियल लेंस लगा दिया जाता है जिसे इंट्राऑक्युलर लेंस बोला जाता है। आंख के डॉक्टर आपके सर्जरी से पहले आपके आंखों का परीक्षण करते हैं जिससे वो आपके इंट्राऑक्युलर लेंस के पावर का पता लगा सकें। दोनों आंखों की सर्जरी में इमीडिएटली सीक्वेंशियल बायलेट्रल कैटरेक्ट सर्जरी (ISBCS) विधि का प्रयोग किया जाता है।
ISBCS विधि द्वारा सर्जरी करने के समय इन मुख्य बातों का ध्यान रखना होता है :
- सर्जरी के दौरान आपकी दोनो आंखों को एक दूसरे के संपर्क में आने से बचाना होता है।
- संक्रमण से बचाने के लिए दोनो आंखों के लिए इस्तेमाल होने वाली चीजें अलग अलग कर दी जाती हैं।
- अगर ऐसा नहीं किया गया तो बायलेट्रल इंडोफ्थल्माइटिस होने का पूरा खतरा रहता है।
- आमतौर पर बाईं आंख की सर्जरी पहले की जाती है।
- पोस्ट ऑपरेटिव इंडोफ्थल्माइटिस से बचने के लिए आमतौर पर पेशेंट को टॉपिकल एंटीबायोटिक और 5% पोविडिन - आयोडीन दिया जाता है।
- आंख की सर्जरी शुरू करने के ठीक पहले पोविडिन - आयोडीन 10% को आंखों की पलकों पर, नाक पर और माथे पर लगाया जाता है।
- सभी जरूरी चीजों की लिस्ट तैयार कर ली जाती है जैसे इंट्राऑक्युलर लेंस का प्रकार, पावर और अस्टैगमैटिज्म अक्ष आदि को व्हाइट बोर्ड पर लिख दिया जाता है।
- बाईं आंख का ऑपरेशन होने के बाद, नर्स और डॉक्टर अपना ग्लव्स बदलते हैं, उसके बाद दूसरी आंख की सर्जरी के लिए तैयार होते हैं।
- सर्जरी के दौरान दोनों आंखों में इस्तेमाल किए जाने वाली चीजों को दो अलग अलग टेबल पर रख दिया जाता है। और दूसरे टेबल की चीजों को बिना ग्लव्स बदले नही छुआ जाता।
- सर्जरी पूरी होने के बाद दोनो आंखों में डालने के लिए आई ड्रॉप्स के अलग अलग बॉटल दिए जाते हैं।
एक साथ दोनों आंखों में सर्जरी करवाने के खतरे ( रिस्क )
वैसे तो एक आंख में भी सर्जरी के बाद कुछ रिस्क होते ही हैं लेकिन दोनों आंखों में एक साथ सर्जरी करवाने से इंफेक्शन का रिस्क थोड़ा बढ़ जाता है। अगर आपके सर्जन द्वारा इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ बायलैटरल कैटरेक्ट सर्जंस के सलाहों को माना जाता है तो आपको आमतौर पर कोई साइड इफेक्ट्स देखने को नहीं मिलेंगे। जो लोग दोनों आंखों की साथ में सर्जरी करवाते हैं उन्हें इन्फेक्शन का खतरा अधिक रहता है इसलिए सर्जन इस बात का ध्यान रखते हुए सर्जरी करते हैं।
सामान्यतः मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद आंखों के लिए ये रिस्क रहते हैं :
- आंख में इन्फेक्शन हो सकता है
- आंख में ब्लीडिंग होना
- आंखों में सूजन आ जाना
- आपकी रेटीना भी सूज सकती है
- आपकी रेटीना अपने स्थान से हट सकती है जिससे दिखना बंद हो सकता है
- आंख के अन्य भाग में भी खराबी आ सकती है
- आंखों में ऐसा दर्द होता है कि दवाईयां लेने पर भी ठीक नहीं होता।
- धुंधली दृष्टि हो जाना
- लगाया गया इंट्राऑक्युलर लेंस अपने स्थान से इधर उधर हो सकता है
- अगर प्रॉपर तरीके से नही किया गया तो आपको बायलैटरल सायमल्टेनियस इंडोफ्थल्माइटिस हो सकता है, जो इन्फेक्शन से होता है।
दोनो आंखों में सर्जरी होने के बाद बरती जाने वाली सावधानियां
- दोनो आंखों के लिए आई ड्रॉप्स के अलग अलग बॉटल होनी चाहिए।
- सर्जरी के तुरंत बाद इन्फेक्शन का सबसे ज्यादा खतरा रहता है इसलिए एंटीबायोटिक्स देने का पूरा ध्यान रखना सर्जन की जिम्मेदारी होती है।
- पहले तीन दिनों के लिए आई ड्रॉप्स को दिन में 6 बार डालना चाहिए। इसके बाद तीन दिनों के लिए दिन में 5 बार डालना चाहिए।
- धूप में नही निकलना
- आंखों को रगड़ने से बचना
- खेल कूद से लेकर बाहरी भागदौड़ तक सभी बंद रखना
अक्सर पूछे गए प्रश्न
क्या आंख में दोबारा लेंस पड़ सकता है ?
हां, आमतौर पर सही पावर न होने के कारण इंट्राऑक्यूलर लेंस को बदला जाता है। इसे बड़ी ही सावधानी से अंजाम दिया जाता है।
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Updated on : 14 September 2022
समीक्षक
A specialist in Obstetrics and Gynaecology with a rich experience of over 21 years is currently working in HealthFort Clinic. She has expertise in Hymenoplasty, Vaginoplasty, Vaginal Tightening, Labiaplasty, MTP (Medical Termination...View More
लेखक
She is an accomplished new-age professional who has interviewed prominent personalities such as Bhaichung Bhutia, G. Sathiyan, Shashi Tharoor, etc. A content writer interested in health communication, graphic desi...View More
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