लेन्स पायसीकरण सर्जरी या फैको क्या है? - उद्देश्य, लाभ और प्रक्रिया

Phacoemulsification in Hindi

Treatment Duration

clock

10 Minutes

------ To ------

20 Minutes

Treatment Cost

rupee

17,000

------ To ------

35,000

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लेन्स पायसीकरण या फैको क्या होता है?

लेंस पायसीकरण एक ऐसा तकनीक है जिसका इस्तेमाल दुनियाभर में मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए किया जाता है। लेंस पायसीकरण का अर्थ है पायसीकरण और मोतियाबिंद से प्रभावित लेंस के ठीक होने की उम्मीद। प्राकृतिक लेंस को द्रव अवस्था में नही लाया जाता बल्कि उसे अल्ट्रासाउंड और सर्जन के द्वारा तोड़ दिया जाता है। इसके बाद सर्जन अच्छी दृष्टि के लिए इंट्राऑक्युलर लेंस को ट्रांसप्लांट कर देते हैं।

 

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पायसीकरण के क्या लाभ हैं ?

पायसीकरण प्रक्रिया द्वारा मोतिया को निकलने के कुछ लाभ इस प्रकार हैं : 

  1. आंखों के अंदर के चैंबर को गहरा करता है और जल्दी से इंट्राऑक्युलर प्रेशर को कम कर देता है। 
  2. सभी चीरों को अच्छे से भर देता है।
  3. घावों को जल्दी भरता है।
  4. ऑपरेशन के बाद न के बराबर साइड इफेक्ट्स होते हैं।
  5. दृष्टि की रिकवरी तेजी से होती है। 

लेंस पायसीकरण की आवश्यकता किन लोगों को है ?

लेंस पायसीकरण की जरूरत उपचार के विकल्प के रूप वहां होती है जहां इन कारणों से दृष्टि में हानि हुई हो : 

  1. पोस्टेरियर सबकैप्सुलर मोतियाबिंद: निकट दृष्टि में काफी प्रभाव और दूर दृष्टि में थोड़ा प्रभाव।
  2. न्यूक्लियर मोतियाबिंद : निकट दृष्टि दोष में मध्यम चमक के साथ मध्यम प्रभाव और निकट दृष्टि दोष को बढ़ाकर मध्यम कर देता है।
  3. कॉर्टिकल मोतियाबिंद: मध्यम चमक से निकट और दूर दृष्टि में हल्का प्रभाव डालता है। 
  4. भूरा मोतियाबिंद 
  5. मैच्योर मोतियाबिंद 
  6. न्यूक्लिय ऑपलेसेंस : ऐसा मोतियाबिंद जिसके कारण चमक और निकट दृष्टि दोष बढ़ जाता है। 
  7. ट्रामैटिक मोतियाबिंद : चोट लगने से मोतियाबिंद का बनना।
  8. पोस्टेरियर ध्रुवीय मोतियाबिंद:  लेंस के पिछले हिस्से में गोला, थाली के जैसा अपारदर्शी मोतियाबिंद का बनना।
  9. सबकैप्सुलर यंत्रों के सपोर्ट से सबलुक्सेटेड मोतियाबिंद ( लेंस के अपने स्थान से हटने के कारण ) 

लेंस पायसीकरण क्यों किया जाता है ?

जब दृष्टि इतनी कम हो जाती है कि रोजमर्रा के जीवन में भी व्यक्ति को परेशानी होने लगती है तब मोतियाबिंद सर्जरी की सलाह दी जाती है। 

मोतियाबिंद के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं : 

  1. दूर या नजदीक की वस्तुएं साफ - साफ न देख पाना 
  2. रंग बिरंगे हैलोज का दिखना 
  3. प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता का बढ़ जाना 
  4. दोहरी दृष्टि 
  5. अंतर कर पाने की संवेदनशीलता कम हो जाना।
  6. पुतलियों का असामान्य रुप से सफेद दिखना

लेंस पायसीकरण में देरी होने पर क्या होगा?

अगर मोतियाबिंद के लक्षणों के कारण आपकी दृष्टि पर बुरा असर पड़ रहा है तो ये मोतियाबिंद के उपचार का सही समय हो सकता है। आगे की सलाह लेने के लिए आपको एक अनुभवी नेत्र चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। अगर आप इस अवस्था में भी मोतियाबिंद की सर्जरी नहीं कराते हैं तो नीचे दिए गए परिणाम देखने को मिल सकते हैं : 

  1. रात में आंखों से बहुत कम दिखना 
  2. प्रकाश स्त्रोत के चारो ओर अधिक चमक और छल्ले दिखाई देना
  3. धुंधली दृष्टि होना 
  4. रंगों को पहचानने में समस्या 
  5. चमकदार प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता का बढ़ना 
  6. चरम स्तर पर आधा या पूरा अंधापन हो जाना

प्रक्रिया विवरण

लेंस पायसीकरण के दौरान, सर्जन एक छोटे यंत्र केराटोम की मदद से नापकर आपके कॉर्निया पर एक छोटा चीरा लगाते है।

चीरा लगाने के बाद, सर्जरी की प्रक्रिया इन स्टेप्स में की जाती है : 

  1. इरिगेशन: चीरों के द्वारा सर्जन आपकी आंखों में लगातार एक फ्लुइड  डालते हैं।
  2. एस्पिरेशन: सर्जन आपके प्राकृतिक लेंस को तोड़ने और निकालने के लिए फैको प्रोब और एक चॉपर का इस्तेमाल करते हैं। 

मोतियाबिंद सर्जरी के पहले क्या होता है

 सर्जरी के पहले, आपका सर्जन: 

  1. आपके द्वारा रोज ली जा रही दवाइयों के बारे में पूछता है। 
  2. कुछ निश्चित दवाइयों का सेवन न करने की सलाह दे सकता है l
  3. छह घंटे से पहले ठोस आहार खाने से मना कर सकता है।
  4. कुछ जरूरी आई ड्रॉप्स को सर्जरी के कुछ दिन पहले से ही लेने को कह सकता है। 
  5. इंट्राऑक्युलर लेंस का पावर जानने के लिए आपकी आंखों को मापेगा।
  6. इस प्रक्रिया के बारे में संक्षिप्त में आपको बताएगा और आपके सवालों का जवाब देगा।

सर्जरी से कुछ दिन पहले एक एनेस्थियोलॉजिस्ट से आपकी मीटिंग करवाई जाती है, जहां एनेस्थियोलॉजिस्ट : 

  1. आपको लोकल एनेस्थीसिया की प्रक्रिया के बारे में बताएगा जो आउटपेशंट आधार पर किया जाता है।
  2. आपकी मेडिकल हिस्ट्री देखेगा और एनेस्थीसिया के लिए आपके फिटनेस की जांच करेगा। 
  3. आपके द्वारा ली जा रही दवाइयों में अस्थाई बदलाव लाने को कहेगा।

 

सर्जरी के दिन क्या होगा ?

मोतिया को निकालने की सर्जरी एक आम आउटपेशंट प्रक्रिया है। आपको सर्जरी के दिन ये सब देखने को मिल सकता है: 

  1. नर्स आपको प्री ऑपरेटिव कमरे में ले जाती है जहां आपको कंसेंट फॉर्म पर हस्ताक्षर करना होता है। 
  2. दवाइयों को शरीर में डालने के लिए नर्स आपकी नसों में इंट्रावेनस लाइन बना देती है।
  3. नर्स आपसे ये पूछती है : 
    1. आपने आखिरी बार क्या खाया|
    2. आपके मेडिकल हिस्ट्री और एलर्जी के बारे में।
    3. अगर आप वर्तमान में कोई लक्षण महसूस कर रहे हैं। 
    4. आपका ब्लड प्रेशर,दिल की धड़कन और शरीर का तापमान चेक करेगी।

मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान क्या होगा?

सर्जरी के दौरान आपकी अवस्था: 

लेंस पायसीकरण के साथ - साथ ज्यादातर आंखों की सर्जरी में पीठ के बल लेटना सबसे अच्छा पोजिशन माना जाता है। 

सफाई और ढकना :

  1. आपके चेहरे को किसी चीज से ढक दिया जाता है। 
  2. आपका चेहरा रेगुरल अंतराल पर धोया जाता है। 

अनिस्थिस्या : 

  1. सर्जरी क्षेत्र को सुन्न करने के लिए आपकी आंख के बगल में एक इंजेक्शन लगाया जाता है या फिर एक ड्रॉप डालने के लिए दिया जाता है।
  2. आप पूरी सर्जरी के दौरान होश में रहेंगे।
  3. आप कुछ प्रकाश देखेंगे लेकिन सर्जन आपकी आंखों में क्या कर रहा है, यह नही देख पाएंगे।

सर्जरी के दौरान आपकी आंखों में ये किया जाता है: 

  1. सर्जन एक माइक्रोस्कोप से देखकर कॉर्निया के कोने में एक चीरा लगाते हैं।
  2. इस चीरे के द्वारा एक छोटे से यंत्र की मदद से लेंस तक पहुंचकर लेंस को तोड़कर निकाल लेते हैं। 
  3. इसके बाद सर्जन नया लेंस इंप्लांट कर देते हैं।  
  4. इस प्रक्रिया में लगे चीरे कुछ समय में खुद से ही सिल जाते हैं और घाव भी खुद भर जाते हैं। इसके लिए सिलने की आवश्यकता नहीं होती।
  5. जब तक ये चीरे खुद से सिल नही जाते तब तक सर्जन आपकी आंखों पर कवच लगा देते हैं।
  6. इसके बाद आपको रिकवरी रूम में भेज दिया जाता है।

निगरानी:

  1. नर्स आपको ऑपरेटिंग कमरे से रिकवरी कमरे में सुरक्षित ले जाती है।
  2. सर्जरी के रिजल्ट्स में सुधार के लिए आपके सर्जन आपके आईओपी पर लगातार निगरानी रखते हैं।

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ?

अगर आपको नीचे बताए गए लक्षण महसूस होते हैं तो आपको ऑफ्थाल्मोलॉजिस्ट से मिलने की सलाह दी जाती है : 

  1. अचानक से आंखों में दर्द उठना
  2. आंखों का लाल होना 
  3. देख पाने की क्षमता में कमी आना 

मोतियाबिंद की जटिलताएं और रिस्क 

मोतियाबिंद की सर्जरी सुरक्षित सर्जरीज में से एक है। इसलिए, रिस्क और जटिलताओं की संभावना बहुत कम रहती है। फिर भी, अगर आपको नीचे दी गई जटिलताएं महसूस हों तो अपने ऑफ्थाल्मोलॉजिस्ट से संपर्क जरूर करें : 

  1. एस्टिगमेटिज्म - कोई भी चीज टूटी - फूटी दिखाई पड़ना
  2. कोर्नियल ऑयडेमा - कॉर्निया में सूजन
  3. एंडोफ्थल्माइटिस - इन्फेक्शन के कारण विट्रियस ह्यूमर ( लेंस के पीछे जेल जैसा पदार्थ)  और एक्वेयस ह्यूमर ( आंखों के बाहरी भाग में मौजूद द्रव ) में जलन 
  4. इंट्रा ऑक्युलर लेंस का अव्यवस्थित होना।
  5. इंट्रा ऑक्युलर लेंस का टिल्ट होना 
  6. इंट्रा ऑक्युलर लेंस का विकेंद्रीकरण होना
  7. इंट्रा ऑक्युलर लेंस का अपनी जगह से हटना 
  8. प्यूपिलरी ब्लॉक - आंखों के सामने वाले भाग में लिक्विड बहाव में ब्लॉकेज आना। 
  9. चीरों से द्रव का निकलना 
  10. यूवाइटिस – उविया का जलन ( आंखों के बीच की परत )
  11. विट्रियस टच सिंड्रोम - विट्रियस ह्यूमर में उभार आना।
  12. विट्रियस विक सिंड्रोम - आंखों की सर्जरी के बाद घाव का टूटना या पिछले हिस्से में विट्रियस ह्यूमर में चोट के कारण धागे जैसा निशान बनना।
  13. स्ट्राइट केराटोपैथी –  कॉर्निया में सूजन के साथ सबसे अंदर के परत में (जिसे बेसमेंट झिल्ली कहते हैं) फोल्ड होना। 
  14. टॉक्सिक एंटीरियर सेगमेंट सिंड्रोम - यह इंट्राऑक्युलर सर्जरी के बाद होता है जिसमे आंखें लाल हो जाती हैं, दर्द होता है और धुंधला दिखाई पड़ता है। 

विशेषज्ञ डॉक्टर

Dr. Hitendra Ahooja
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