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Oligohydramnios in Hindi

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Oligohydramnios in Hindi
Medically Reviewed by Dr. Monika Dubey Written by Pranjali Kesharwani

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गर्भावस्था के दौरान एमनियोटिक द्रव के बहुत कम हो जाने (oligohydramnios in hindi) को ओलिगोहाइड्रामनिओस कहते है। ऑलिगोहाइड्रामनिओस को अंतर - गर्भाशय वृद्धि/विकास अवरोध (रेस्टरिक्शन) के साथ जोड़ा गया है। 

ओलिगोहाइड्रामनिओस (oligohydramnios in hindi) के कारण गर्भावधि उम्र के लिए एमनियोटिक द्रव की मात्रा कम हो जाती है। आइए इस लेख मे जानते है कि ऑलिगोहाइड्रामनिओस क्या है? (oligohydramnios in hindi) एमनियोटिक द्रव के कितने कम हो जाने को ऑलिगोहाइड्रामनिओस कहते है, (oligohydramnios meaning in hindi) यह क्यों होता है, इसके लक्षण क्या है, इसका भ्रूण के ऊपर या माँ के ऊपर क्या असर पड़ता है, निदान (डायग्नोसिस), रोकथाम, दवा, उपचार और पढिए, अन्य महत्वपूर्ण विवरण।

रोग का नाम

ओलिगोहाइड्रामनिओस
लक्षण योनि से लगातार तरल पदार्थ का रिसाव, माँ को ऐसा नहीं लगता कि बच्चा पर्याप्त हिलता-डुलता है। माँ का पर्याप्त वजन नहीं बढ़ रहा है। 
कारण फीटल (भ्रूण) की वजह से, प्लेसेंटल समस्याएं, मातृ जटिलताएं, झिल्लियों का रिसाव या टूटना, पोस्ट डेट प्रेग्नेंसी
निदान बच्चा कितना अच्छा विकास कर रहा है। बच्चे के गुर्दे और मूत्र मार्ग की संरचना को भी दिखा सकता है। बच्चे के मूत्राशय में मूत्र दिखा सकता है। एएफ़आई इंडेक्स के माध्यम से ओलिगोहाइड्रामनिओस को डायग्नोस किया जाता है
किसके द्वारा इलाज गयनेकोलॉजिस्ट
इलाज के विकल्प  

ऑलिगोहाइड्रामनिओस क्या होता है?

जब गर्भावस्था के दौरान एमनियोटिक द्रव की मात्रा बच्चे की गर्भकालीन आयु से कम होती है, तो इसे ओलिगोहाइड्रामनिओस कहा जाता है। गर्भावस्था के समय गर्भाशय में भ्रूण के आसपास के तरल पदार्थ को एमनियोटिक द्रव कहते हैं। इसके जरूरी कार्य इस प्रकार हैं: 

  1. बढ़ते हुए भ्रूण की मांसपेशियों, हड्डीयों का उचित विकास, अंगों, फेफड़ों और पाचन तंत्र के विकास में सहायता करता है, साथ ही उनके तापमान को नियंत्रित करता है और बच्चे की रक्षा करता है।
  2. फेफड़े की परिपक्वता, भ्रूण की गति (घूमना) और कुशनिंग प्रभाव (ताकि बाहरी झटकों से बचाव हो सकें) के लिए एमनियोटिक द्रव बेहद ही आवश्यक है। 
  3. एमनियोटिक द्रव गर्भनाल (अंबिलिकल कॉर्ड) को बच्चे और गर्भाशय की दीवार के बीच मे दबाव आने से रोकता है।

एमनियोटिक द्रव का उत्पादन

एमनियोटिक द्रव का उत्पादन गर्भाधान (इंप्रेग्नेशन) के लगभग 12 दिनों के बाद एमनियोटिक थैली बनने के तुरंत बाद शुरू हो जाता है। 

  1. सबसे पहले यह मां द्वारा प्रदान किए हुए पानी से बना होता है।
  2. फिर भ्रूण का मूत्र लगभग 20 सप्ताह मे एमनियोटिक द्रव का प्राथमिक पदार्थ बन जाता है।  इसी वजह से एमनियोटिक द्रव की मात्रा बच्चे के मूत्र उत्पादन को दर्शाती है जिससे पता चलता है कि बच्चे का विकास ठीक प्रकार से हो रहा है।

एमनियोटिक द्रव की मात्रा

द्रव की मात्रा 36 सप्ताह तक अपने चरम तक बढ़ जाती है। उसके बाद, एमनियोटिक द्रव का स्तर कम होने लगता है और 40 सप्ताह के बाद काफी घट जाता है।

  1. पहली तिमाही: एमनियोटिक द्रव के मुख्य स्रोत माँ का प्लाज्मा होता हैं।
  2. दूसरी तिमाही: भ्रूण के गुर्दे द्वारा निर्मित मूत्र एमनियोटिक द्रव के मुख्य स्रोत होता है। दूसरी तिमाही में ही बच्चा सांस लेना शुरू कर देता है और एमनियोटिक द्रव को निगलता भी है। 

34 हफ्ते में यह लगभग 800 मिलीलीटर और 40 हफ्ते में लगभग 600 मिलीलीटर होता है। अगर 32-36 सप्ताह के गर्भ में द्रव की मात्रा 500 मिलीलीटर से कम है, तो ओलिगोहाइड्रामनिओस कहा जा सकता है।

ओलिगोहाइड्रामनिओस (oligohydramnios in hindi) के चरन

ओलिगोहाइड्रामनिओस को हल्का /माइल्ड (mild oligohydramnios in hindi), माडरेट (मध्यम) (moderate oligohydramnios meaning in hindi) और गंभीर चरन (बहुत कम द्रव)(severe oligohydramnios meaning in hindi) मे बांटा जा सकता है।

एमनियोटिक द्रव को एमनियोटिक द्रव इंडेक्स (ए. एफ. आई) के द्वारा चरन् मे बांटा जाता है जिसे कि आगे सूचि मे विस्तार से बताया है:

ओलिगोहाइड्रामनिओस के चरन ए. एफ. आई का मूल्य (वैल्यू)
हल्का (माइल्ड) (mild oligohydramnios in hindi) 5.1 और 7.9 सेंटीमीटर के बीच में
मोडरेट (मध्यम) (moderate oligohydramnios meaning in hindi) 3.1 और 5.0 सेंटीमीटर के बीच में
सिवीयर (गंभीर/ बहुत कम द्रव)(severe oligohydramnios meaning in hindi) 3.0 या 3.0 सेंटीमीटर से कम

बहुत कम एमनियोटिक द्रव की वजह से बच्चे में स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं, या किसी अंतर्निहित स्थिति का संकेत हो सकता है। इसका सीधा असर या तो बच्चे के विकास पर पड़ता है,  या माँ मे प्रसव के दौरान जटिलताएँ पैदा कर सकता हैं।

ओलिगोहाइड्रामनिओस के लक्षण (Symptoms of oligohydramnios in hindi)

ज्यादातर ग्राभवती महिलायों को यह एहसास नहीं होता कि उनका एमनियोटिक द्रव सामान्य से कम है। हालाँकि, चिकित्सक को इसका संदेह हो सकता है यदि:

  1. योनि से लगातार तरल पदार्थ का रिसाव हो रहा है। 
  2. गर्भाशय बहुत छोटा है/ जितना बढ़ना चाइए उतना नहीं बढ़ रहा है। 
  3. माँ को ऐसा नहीं लगता कि बच्चा पर्याप्त हिलता-डुलता है। 
  4. माँ का पर्याप्त वजन नहीं बढ़ रहा है। 

यदि किसी महिला को पूर्व गर्भधारण में कम एमनियोटिक द्रव था, तो अगली गर्भावस्था में दुबारा कम एमनियोटिक द्रव का खतरा भी बढ़ जाता है।

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ओलिगोहाइड्रामनिओस (oligohydramnios in hindi) के कारण और जोखिम कारक

कम एमनियोटिक द्रव या ओलिगोहाइड्रामनिओस फीटस, माँ या प्लसेन्टा (जो उन्हे जोड़ के रखता है), की वजह से हो सकता है, इन तीनों में अगर कोई परेशानी होती है तो वह कम द्रव की वजह (oligohydramnios in hindi) बन जाता है। 

जैसा की हमें पता चल गया है कि एमनियोटिक द्रव मुख्य रूप से भ्रूण के मूत्र से बना होता है, कम एमनियोटिक द्रव की मात्रा, या ओलिगोहाइड्रामनिओस, आमतौर पर या तो भ्रूण के कम मूत्र उत्पादन या गर्भाशय से एमनियोटिक द्रव के रिसाव की तरफ संकेत देता है। 

  1. फीटल (भ्रूण) की वजह से: अगर कोई जन्म दोष (बर्थ-डिफेक्ट) है जिसकी वजह से गुर्दे या मूत्र पथ के विकास के साथ समस्याएं हो सकती, जो कम मूत्र उत्पादन का कारण बन सकती हैं, जिससे एमनियोटिक द्रव का स्तर कम हो सकता है।
  2. प्लेसेंटल समस्याएं: अगर प्लेसेंटा बच्चे को पर्याप्त रक्त और पोषक तत्व प्रदान नहीं कर रहा है, तो बच्चा तरल पदार्थ को पुनरावृत्ति करना (रिसाइकिल) करना बंद कर सकता है। 
  3. मातृ जटिलताएं: माँ को गंभीर निर्जलीकरण, उच्च रक्तचाप, प्रीक्लेम्पसिया, मधुमेह और पुरानी हाइपोक्सिया जैसे कारक एमनियोटिक द्रव के स्तर पर प्रभाव डाल सकते हैं। 
  4. झिल्लियों का रिसाव या टूटना: यह तरल पदार्थ का तेजी से बहना या द्रव का लगातार धीमा बहाव हो सकता है। यह झिल्ली में दरार के कारण होता है। झिल्लियों के समय से पहले फटने के कारण भी एमनियोटिक द्रव का स्तर कम हो सकता है। 
  5. पोस्ट डेट प्रेग्नेंसी: पोस्टडेट प्रेग्नेंसी (जो 42 सप्ताह से अधिक हो जाती है) में एमनियोटिक द्रव का स्तर कम हो सकता है, जो प्लेसेंटल फ़ंक्शन में गिरावट का परिणाम हो सकता है। 

ओलिगोहाइड्रामनिओस अक्सर 8% गर्भवती महिलाओं में मिलता है लेकिन सिर्फ 4% में कम स्तर का निदान किया जाता है। 

यह ज़्यादतर गर्भवती महिलयों को आखिरी तिमाही के दौरान होता है।  यह ध्यान रहे कि 42 सप्ताह के गर्भ तक पहुंचने के बाद तो तरल पदार्थ आधे से कम हो जाता हैं तो पोस्ट-डेट प्रेग्नन्सी में एमनियोटिक द्रव के कम स्तर खतरा हो सकता है। 

कई कारक कम एमनियोटिक द्रव में योगदान कर सकते हैं, जैसे:

  1. जन्मजात विसंगतियाँ जो बच्चे के गुर्दे या मूत्र पथ को प्रभावित करती हैं।
  2. प्लेसेंटा की समस्या।
  3. उच्च रक्तचाप या प्रीक्लेम्पसिया।
  4. निर्जलीकरण।
  5. मधुमेह।
  6. झिल्लियों का पूर्व-श्रम टूटना।
  7. ट्विन-टू-ट्विन ट्रांसफ्यूजन सिंड्रोम।
  8. देय तिथि से दो सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है।

ओलिगोहाइड्रामनिओस (oligohydramnios in hindi) की रोकथाम

ओलिगोहाइड्रामनिओस को रोकने के लिए ज्यादातर कुछ भी नहीं किया जा सकता है, समय पर निदान और डॉक्टर से उपचार जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकता है। हालाँकि, कई निवारक उपाय हैं जो स्थिति के जोखिम या गंभीरता को कम करने में मदद कर सकते हैं। इनमें से कुछ उपायों में शामिल हैं:

  1. हाइड्रेटेड रहना: खूब पानी और अन्य तरल पदार्थ पीने से एमनियोटिक द्रव के स्तर को बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
  2. एक स्वस्थ आहार का पालन करना: फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और दुबले प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार खाने से स्वस्थ गर्भावस्था को बढ़ावा देने और ओलिगोहाइड्रामनिओस के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
  3. धूम्रपान और शराब से परहेज: धूम्रपान और शराब दोनों का उपयोग ओलिगोहाइड्रामनिओस और गर्भावस्था की अन्य जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकता है।
  4. कुछ दवाओं से परहेज: कुछ दवाएं, जैसे कि नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) और एसीई इनहिबिटर, ओलिगोहाइड्रामनिओस और गर्भावस्था की अन्य जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
  5. तनाव कम करना: तनाव का उच्च स्तर ओलिगोहाइड्रामनिओस सहित गर्भावस्था की जटिलताओं की एक श्रृंखला में योगदान कर सकता है। तनाव को प्रबंधित करने के लिए कदम उठाना, जैसे विश्राम तकनीकों का अभ्यास करना या पर्याप्त आराम करना, एक स्वस्थ गर्भावस्था को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

ओलिगोहाइड्रामनिओस (oligohydramnios in hindi) का निदान

अगर कम द्रव के लक्षण हैं, तो डॉक्टर एक विस्तृत स्वास्थ्य इतिहास पूछेंगे। उसके बाद अल्ट्रा-साउन्ड करके निर्धारित किया जाता है:

  1. बच्चा कितना अच्छा विकास कर रहा है। 
  2. बच्चे के गुर्दे और मूत्र मार्ग की संरचना को भी दिखा सकता है। 
  3. बच्चे के मूत्राशय में मूत्र दिखा सकता है। 
  4. एएफ़आई इंडेक्स के माध्यम से ओलिगोहाइड्रामनिओस को डायग्नोस किया जाता है। 

नाल में रक्त के प्रवाह की जांच के लिए डॉप्लर प्रवाह अध्ययन [विशेष प्रकार के अल्ट्रासाउंड] की आवश्यकता हो सकती है।

एक बार निदान हो जाने के बाद, ओलिगोहाइड्रामनिओस का कारण जानने के लिए पूरी तरह से जांच और माँ का इतिहास लिया जाना चाहिए। झिल्लियों के समय से पहले फटने को देखने के लिए नाइट्रीज़िन टेस्ट, फ़र्निंग टेस्ट किया जाना चाहिए।

डॉक्टर के परामर्श की तैयारी कैसे करें? 

यदि किसी महिला के गर्भावस्था के दौरान ओलिगोहाइड्रामनिओस (Oligohydramnios) कम हो जाता है, तो उसके और उनके बच्चे के लिए जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए, एक अनुभवी डॉक्टर की सलाह लेना महत्वपूर्ण होता है। यहां हम बता रहे हैं कि डॉक्टर के परामर्श की तैयारी कैसे करें।

डॉक्टर के परामर्श की तैयारी करते समय रोगी निम्नलिखित कार्य कर सकता है:

  1. उन्हें एक सूची बनानी चाहिए और समस्याओं को लिखना चाहिए।
  2. उन्हें किसी भी दवा/सप्लीमेंट के बारे में डॉक्टर को सूचित करना चाहिए।
  3. वे डॉक्टर के क्लिनिक में परिवार के किसी सदस्य या मित्र को ला सकते हैं। वे टिप्पणियाँ ले सकते हैं जो उपयोगी हो सकते हैं।
  4. उन्हें डॉक्टर को सब कुछ बता देना चाहिए।

डॉक्टर से क्या उम्मीद करें?

रोगी डॉक्टर से निम्नलिखित की उम्मीद कर सकता है:

  1. वे स्वास्थ्य इतिहास के बारे में पूछेंगे और रोगी को अल्ट्रासाउंड (बच्चे के विकास या किसी अन्य चिंता की जांच करने के लिए) करने के लिए कहेंगे। 
  2. वे डॉक्टर ए.एफ.आई, डॉपलर प्रवाह अध्ययन का उपयोग करके ओलिगोहाइड्रामनिओस का निदान करेंगे, या नाइट्राज़ीन पेपर परीक्षण करेंगे।

आपको डॉक्टर से क्या सवाल पूछने चाहिए? 

रोगी डॉक्टर से निम्नलिखित प्रश्न पूछ सकता है:

  1. गर्भावस्था के दौरान रोगी के पास कितना एमनियोटिक द्रव होता है?
  2. ओलिगोहाइड्रामनिओस की जटिलताएं क्या हैं?
  3. ऑलिगोहाइड्रामनिओस का क्या कारण है?
  4. एक रोगी ओलिगोहाइड्रामनिओस को कैसे रोक सकता है?
  5. ओलिगोहाइड्रामनिओस का इलाज क्या है?
  6. क्या पानी पीने से एमनियोटिक द्रव बढ़ सकता है?
  7. क्या एक बच्चा ऑलिगोहाइड्रामनिओस से बच सकता है?

ओलिगोहाइड्रामनिओस (oligohydramnios in hindi) के उपचार

एमनियोटिक द्रव के कम स्तर का उपचार गर्भावधि उम्र पर आधारित होता है। उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि महिला अपनी गर्भावस्था में कितनी दूर है और यदि उसे गर्भावस्था की कोई अन्य जटिलताएँ हैं।

यदि अभी तक गर्भ काल पूरा नहीं हुआ है: 

  1. तो डॉक्टर माँ और द्रव के स्तरों पर बहुत बारीकी से नज़र रखेंगे।
  2. इसके अलावा बच्चे की गतिविधि पर नज़र रखने के लिए कुछ टेस्टस जैसे नॉन-स्ट्रेस और कांटरेक्शन-स्ट्रेस परीक्षण का इस्तेमाल किया जाता है। प्रसव तक प्रति सप्ताह कम से कम एक बार नॉन-स्ट्रेस परीक्षण किया जाता है।
    यह बच्चे के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए किया जाने वाला एक सामान्य प्रसव पूर्व परीक्षण है। कांटरेक्शन-स्ट्रेस परीक्षण संकुचन के दौरान तनाव के संकेतों के लिए बच्चे की जाँच करने में मदद करता है।

यदि एक गर्भवती महिला अपनी पूर्ण अवधि की गर्भावस्था के करीब है:

तो आमतौर पर प्रसव करने की सलाह ही दी जाती है 

अन्य उपचार जिनका उपयोग किया जा सकता है उनमें शामिल हैं:

  1. प्रसव के दौरान कैथेटर के माध्यम से अंतर्गर्भाशयी एमनियो-इनफुसन किया जाता है। 
  2. एमनियोसेंटेसिस के माध्यम से प्रसव से पहले तरल पदार्थ का इंजेक्शन भी दिया जाता है। 
  3. मौखिक तरल पदार्थ या आई.वी इन्जेक्शन से तरल पदार्थ देकर माँ का पुनर्जलीकरण करके एमनियोटिक द्रव के स्तर को बढ़ाया जा सकता है।
प्रोसीजर (तकनीक) मूल्य
एमनियोइंफ्यूजन ₹ 6,370

भारत में एमनियोइंफ्यूजन की कीमत लगभग ₹6370 रुपये हो सकती है। हालांकि, उपचार का तरीका और प्रक्रियाओं का चयन रोगी की स्वास्थ्य स्थिति और इलाज करने वाले डॉक्टर की राय पर निर्भर करता है।

ऑलिगोहाइड्रामनिओस की जटिलताये (oligohydramnios in hindi)

गर्भावस्था के पहले छह महीनों में कम एमनियोटिक द्रव अधिक गंभीर होता है। ऑलिगोहाइड्रामनिओस (oligohydramnios in hindi) की जटिलताएं इस प्रकार हैं:

  1. विकृति गर्भाशय में संकुचित होने के कारण होती है।
  2. गर्भपात।
  3. स्टिलबर्थ।
  4. अपरिपक्व जन्म।
  5. संक्रमण अगर पानी जल्दी टूट गया है।

यदि किसी महिला को गर्भावस्था के अंतिम तिमाही (28 से 40 सप्ताह) में ओलिगोहाइड्रामनिओस (oligohydramnios in hindi) का निदान किया जाता है, तो निम्नलिखित जटिलताएँ हो सकती हैं:

  1. भ्रूण वृद्धि प्रतिबंध।
  2. गर्भनाल संपीड़न।
  3. अविकसित फेफड़े या श्वसन संबंधी समस्याएं।
  4. शीघ्र प्रसव की आवश्यकता है।
  5. अगर पानी बहुत जल्दी टूट गया है तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
  6. सिजेरियन डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है।
  7. पॉटर सिंड्रोम (गुर्दे की रोग स्थिति)।

डॉक्टर को कब देखना है?

गर्भवती महिला को निम्नलिखित लक्षणों में से किसी का अनुभव होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:

  1. योनि से खून बहना।
  2. योनि से बड़ी मात्रा में एमनियोटिक द्रव का रिसाव होना।
  3. संकुचन।
  4. ऐंठन या श्रोणि दर्द।
  5. महसूस हो रहा है कि बच्चा कम चल रहा है।

समय पर इलाज न होने पर खतरा?

यदि समय पर ओलिगोहाइड्रोमनिओस (oligohydramnios in hindi)  का इलाज नहीं किया जाता है, तो यह गर्भपात, गर्भनाल प्रतिबंध, बच्चे के अविकसित फेफड़े और अन्य जटिलताएं पैदा कर सकता है। इसलिए, यदि किसी महिला को उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी अनुभव होता है, तो डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

ओलिगोहाइड्रामनिओस के लिए आहार

हालांकि ओलिगोहाइड्रामनिओस के इलाज के लिए कोई विशिष्ट आहार नहीं है, यह महत्वपूर्ण है कि एक महिला एक स्वस्थ, संतुलित आहार का पालन करे जो उसके और उसके बच्चे के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करे। यहाँ कुछ सामान्य आहार अनुशंसाएँ दी गई हैं:

  1. हाइड्रेटेड रहें: खूब पानी और अन्य तरल पदार्थ पीने से एमनियोटिक द्रव के स्तर को बनाए रखने में मदद मिल सकती है। कई अध्ययनों ने बताया है कि पीने का पानी उन लोगों में एमनियोटिक द्रव के स्तर को बढ़ाने में मददगार हो सकता है जो गर्भवती हैं।|
    हालांकि, महिला को ओलिगोहाइड्रामनिओस के उपचार के रूप में पानी का सेवन बढ़ाने के बारे में डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। 
  2. संतुलित आहार लें: प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल सहित सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने वाले विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन सुनिश्चित करें।
  3. डॉक्टर से सलाह लें: डॉक्टर यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त आहार संबंधी सुझाव दे सकते हैं ताकि गर्भवती महिला को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल रहे हैं।

सारांश

ओलिगोहाइड्रामनिओस (oligohydramnios in hindi) एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के आसपास बहुत कम एमनियोटिक द्रव होता है। ओलिगोहाइड्रामनिओस के मां और भ्रूण पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिसमें समय से पहले प्रसव, मृत जन्म और भ्रूण संकट का जोखिम भी शामिल है।

ओलिगोहाइड्रामनिओस का उपचार स्थिति की गंभीरता और अंतर्निहित कारण पर निर्भर करता है। माँ और भ्रूण दोनों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए ऑलिगोहाइड्रामनिओस का शीघ्र पता लगाना और प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है। यदि आप गर्भवती हैं और अपने एमनियोटिक द्रव के स्तर के बारे में चिंतित हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है।

यदि आपको ओलिगोहाइड्रामनिओस (oligohydramnios in hindi), गंभीर ओलिगोहाइड्रामनिओस (severe oligohydramnios in hindi), या अन्य संबंधित प्रश्नों के बारे में कोई संदेह है, तो HexaHealth में हमारी व्यक्तिगत देखभाल टीम से संपर्क करने में संकोच न करें। हम आपके सभी प्रश्नों को हल करने में आपकी सहायता करेंगे। यदि आप ओलिगोहाइड्रामनिओस या गर्भावस्था से संबंधित अन्य जानकारी के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आप हमारी वेबसाइट HexaHealth पर भी जा सकते हैं।

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

ओलिगोहाइड्रोमनिओस (oligohydramnios in hindi)  से संबंधित कुछ मिथक हैं। कुछ मिथक हैं:

  1. मिथक: अगर ओलिगोहाइड्रामनिओस होता है, तो बच्चा स्वस्थ नहीं हो सकता।
    सच्चाई: ज्यादातर स्तिथियों में बच्चा स्वस्थ पैदा होता है, क्योंकि उपचार मौजूद है। केवल कुछ मामलों में कम एमनियोटिक द्रव गंभीर (severe oligohydramnios meaning in hindi) हो सकता है I
  2. मिथक: ओलिगोहाइड्रोमनिओस के लिए पीने का पानी मददगार नहीं होगा।
    सच्चाई: कई अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि ओलिगोहाइड्रामनिओस वाली महिलाओं में पीने का पानी एमनियोटिक द्रव के स्तर को बढ़ाने में सहायक हो सकता है। हालांकि, महिलाओं को ओलिगोहाइड्रामनिओस के उपचार के रूप में पानी का सेवन बढ़ाने के बारे में डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
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जब गर्भावस्था के दौरान एमनियोटिक द्रव आपके बच्चे की गर्भकालीन आयु की अपेक्षा कम होता है, उसे ओलिगोहाइड्रामनिओस (oligohydramnios in hindi) कहते हैं।
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जब ए. एफ. आई की वैल्यू 5.1  और 7.9  सेंटीमीटर के बीच में अल्ट्रा-साउन्ड पर होती है, उसे माइल्ड ओलिगोहाइड्रेमनियोस कहते हैं।
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गर्भवती महिलाओं में आम तौर पर लगभग 500 मिलीलीटर से 1,000  मिलीलीटर तक एमनियोटिक द्रव होता है।
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स्टिलबर्थ, अपरिपक्व जन्म, संक्रमण अगर पानी जल्दी टूट गया, कॉर्ड कंप्रेशन, चेहरे की विकृति, पल्मोनरी हाइपोप्लेसिया, पॉटर सिंड्रोम, और भ्रूण की मृत्यु भी हो सकती है।
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जब अल्ट्रा-साउन्ड पर ए. एफ. आई की वैल्यू 3.1 सेंटीमीटर और 5.0 सेंटीमीटर के बीच में होती है, उसे मध्यम ओलिगोहाइड्रेमनियोस कहते हैं।
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जब अल्ट्रा-साउन्ड पर ए. एफ. आई की वैल्यू 3.0 या 3.0 सेंटीमीटर से कम होती है, उसे उच्च ओलिगोहाइड्रेमनियोस कहते हैं।
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कम एमनियोटिक द्रव की मात्रा, या ओलिगोहाइड्रामनिओस, आमतौर पर या तो भ्रूण के कम मूत्र उत्पादन या गर्भाशय से एमनियोटिक द्रव के रिसाव की तरफ संकेत देता है।
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गर्भावस्था के लगभग 36 सप्ताह तक एमनियोटिक द्रव की मात्रा बढ़ जाती है और औसत 800 एमएल है। यदि आपको कोई असामान्य लक्षण दिखाई दे तो अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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मौखिक तरल पदार्थ या पानी का सेवन बढ़ाने से माँ का पुनर्जलीकरण करके एमनियोटिक द्रव के स्तर को बढ़ाया जा सकता है।  कई अध्ययनों ने बताया है कि पीने का पानी उन लोगों में एमनियोटिक द्रव के स्तर को बढ़ाने में मददगार हो सकता है जो गर्भवती हैं।

हालांकि, महिला को ओलिगोहाइड्रामनिओस के उपचार के रूप में अपने पानी का सेवन बढ़ाने के बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

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पसीने के कारण ओलिगोहाइड्रोमनिओस के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें यदि आपको ओलिगोहाइड्रामनिओस के कोई लक्षण दिखाई देते हैं या पिछली गर्भावस्था में ओलिगोहाइड्रामनिओस था।
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कम एमनियोटिक द्रव की मात्रा, या ओलिगोहाइड्रामनिओस, आमतौर पर या तो भ्रूण के कम मूत्र उत्पादन या गर्भाशय से एमनियोटिक द्रव के रिसाव की तरफ संकेत देता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप नियमित जांच करवाएं और समय पर अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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द्रव की मात्रा 36 सप्ताह तक अपने चरम तक बढ़ जाती है। उसके बाद, आपके एमनियोटिक द्रव का स्तर कम होने लगता है और 40 सप्ताह के बाद काफी घट जाता है।
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मौखिक तरल पदार्थ या आईवी इन्जेक्शन से तरल पदार्थ देकर माँ का पुनर्जलीकरण करके एमनियोटिक द्रव के स्तर को बढ़ाया जा सकता है। इसकी कोई दवा नहीं होती है।
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अपरिपक्व जन्म, स्टिलबर्थ, कॉर्ड कंप्रेशन, संक्रमण अगर पानी जल्दी टूट गया, चेहरे की विकृति, पल्मोनरी हाइपोप्लेसिया, पॉटर सिंड्रोम, और भ्रूण की मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप नियमित जांच करवाएं और समय पर अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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Last Updated on: 15 March 2023

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Monika Dubey

Dr. Monika Dubey

MBBS, MS Obstetrics & Gynaecology

21 Years Experience

A specialist in Obstetrics and Gynaecology with a rich experience of over 21 years is currently working in HealthFort Clinic. She has expertise in Hymenoplasty, Vaginoplasty, Vaginal Tightening, Labiaplasty, MTP (Medical Termination...View More

लेखक

Pranjali Kesharwani

Pranjali Kesharwani

Bachelor of Pharmacy (Banaras Hindu University, Varanasi)

2 Years Experience

She is a B Pharma graduate from Banaras Hindu University, equipped with a profound understanding of how medicines works within the human body. She has delved into ancient sciences such as Ayurveda and gained valuab...View More

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