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जोड़ों का दर्द युवाओं से लेकर बुजुर्गों में होने वाली पीड़ादायक बीमारी है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरीज एंड रिस्क फैक्टर्स के वर्ष २०१९ की स्टडी के अनुसार भारत के ६.२ करोड़ लोगों में घुटनों के जोड़ों में दर्द (ओस्टियोआर्थराइटिस) की समस्या देखी गई।
जोड़ों में दर्द होने का मुख्य कारण आर्थराइटिस रोग हो सकता है। आर्थराइटिस के अलावा भी जोड़ों में दर्द के कई अन्य कारण हो सकते हैं। इसे घरेलू उपायों, नॉन सर्जिकल और सर्जिकल उपचार से स्थाई या अस्थाई रूप से ठीक किया जा सकता है।
रोग का नाम |
जोड़ों का दर्द |
विकल्प नाम |
गठिया |
लक्षण |
सूजन और दर्द महसूस होना , जोड़ों में सुन्नता ( नंबनेस ) महसूस होना , चलने - फिरने पर जोड़ों से आवाज आना , चलने - फिरने पर दर्द होना, जोड़ों को मोड़ने और सीधा करने में कठिनाई होना |
कारण | आर्थराइटिस, बुर्साइटिस, चोट, टेंडोनाइटिस, एडल्ट स्टिल्स डिजीज, ओस्टियोनेक्रोसिस |
निदान | शारीरिक परीक्षण, लैब टेस्ट, एक्स - रे, कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी ( सी.टी. ) |
इलाज कौन करता है |
ऑर्थोपेडिक सर्जन |
उपचार के विकल्प |
दवाईयां, थेरेपी, घरेलू उपायों, ज्वाइंट रिपेयर, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, ज्वाइंट फ्यूजन |
शरीर के दो या दो से अधिक हड्डियों के जोड़ में जब किसी चोट, बीमारी या पोषक तत्व की कमी से दर्द होता है तो इसे जोड़ों का दर्द कहा जा सकता है।
जोड़ों का दर्द एक्यूट यानी कुछ दिनों या सप्ताह तक हो सकता है जबकि क्रॉनिक दर्द कुछ सप्ताह, महीनों या सालों तक रह सकता है। जोड़ों का दर्द मुख्य रूप से ७ प्रकार का होता है जो निम्नलिखित है:
जोड़ों में दर्द होने पर कुछ लक्षणों द्वारा आसानी से इसे महसूस किया जा सकता है। जोड़ों में दर्द होने पर कुछ लक्षण इस प्रकार देखे जा सकते हैं:
विशेषज्ञ डॉक्टर (10)
एनएबीएच मान्यता प्राप्त अस्पताल (10)
जोड़ों के दर्द के पीछे मुख्य रूप से चोट और आर्थराइटिस हो सकता है, लेकिन और भी कई अन्य कारणों से जोड़ों में दर्द देखा जा सकता है। जोड़ों में दर्द होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
कुछ लोगों में जोड़ों का दर्द होने का जोखिम अधिक रहता है। जीवनशैली खराब होने के कारण और कुछ अन्य वजहों से जोड़ों में दर्द होने का जोखिम बढ़ जाता है। जोड़ों के दर्द के कुछ जोखिम कारक इस प्रकार हैं:
जोड़ों के दर्द से बचाव के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। खान - पान पर नियंत्रण, जीवनशैली में सुधार और कुछ अन्य उपायों से जोड़ों के दर्द से बचा जा सकता है। जोड़ों के दर्द से बचाव के लिए इन बातों का ध्यान रखा जा सकता है:
जोड़ों के दर्द की जांच में ऑर्थोपेडिक डॉक्टर शारीरिक परीक्षण करते हैं और वास्तविक कारण पता करने के लिए कुछ तकनीकों की मदद से जांच करते हैं। जोड़ों के दर्द का निदान कुछ इन चरणों में किया जा सकता है:
बिना सर्जरी के जोड़ों के दर्द का ईलाज
जब जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है और घरेलू उपायों से आराम नही मिलता है तो डॉक्टर कुछ दवाईयां और थेरेपी देते हैं। जोड़ों के दर्द में बिल्कुल आराम न मिलने पर अंततः ऑर्थोपेडिक सर्जन स्थिति के अनुसार
आमतौर पर जोड़ों में होने वाला दर्द चोट या आर्थराइटिस की वजह से ही होता है इसलिए जोड़ों में होने वाली जटिलताएं आर्थराइटिस के प्रकार भी निर्भर करती हैं। जोड़ों के दर्द में होने वाली आम जोखिम और जटिलताएं इस प्रकार हैं:
जोड़ों के दर्द में आमतौर पर आपातकाल जैसी स्थिति आने की संभावना कम होती है लेकिन अगर जोड़ों के दर्द में लगातार ३ दिन तक निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए:
जोड़ों के दर्द से राहत पाने में डाइट का अहम योगदान होता है इसलिए डॉक्टर जोड़ों के दर्द में विशेष डाइट लेने की सलाह देते हैं जिनमे विटामिन डी, कैल्शियम जैसे पोषक तत्व मौजूद हों। जोड़ों के दर्द में निम्नलिखित डाइट लेने से जोड़ों का दर्द और अधिक नही बढ़ता है और सुधार होने की संभावना भी रहती है:
सुबह के नाश्ते में
दोपहर के खाने में
शाम को नाश्ते में
रात के खाने में
जोड़ों में होने वाला दर्द कई कारणों से होता है जिसमे पोषक तत्व की कमी एक मुख्य कारण है। आमतौर पर जोड़ों में दर्द कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से होता है।
अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार जोड़ों में दर्द होने पर संतरा, सोयाबीन, दूध, सालमन मछली, वनीला आइसक्रीम खाने से कैल्शियम की कमी दूर हो सकती है। इसके अलावा अंडे का पीला भाग ( जर्दी ), खारे नमक वाली मछली खाने से विटामिन डी प्राप्त होता है। इस प्रकार जोड़ों का दर्द कम हो सकता है।
जोड़ों के दर्द के लिए हल्दी, अदरक, अश्वगंधा, शतावरी, त्रिफला, मालिश और व्यायाम करने से दर्द में राहत मिल सकता है। इन सभी आयुर्वेदिक उपायों से जोड़ों का सूजन कम होता है जिससे दर्द में आराम मिलता है।
वैसे तो कई फलों में कैल्शियम की मात्रा पाई ही जाती है लेकिन सबसे अधिक कैल्शियम वाले फल संतरा, किवी, बेरीज, अनानास, पपीता, खुबानी (अप्रिकोट) हैं जिनमे अच्छी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है।
जोड़ों में दर्द होना कई स्थितियों का संकेत हो सकता है। आमतौर पर जोड़ों का दर्द आर्थराइटिस के कारण, चोट के कारण, पोषक तत्व (कैल्शियम, विटामिन डी) की कमी के कारण, लिगामेंट, टेंडन और मांसपेशियों में खिंचाव आने के के कारण होता है।
जोड़ों का दर्द मुख्य रूप से ७ प्रकार के हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं:
जोड़ों में दर्द और जकड़न होना आर्थराइटिस ( गठिया ) बीमारी का मुख्य लक्षण है। इसके अलावा जोड़ों में दर्द और जकड़न के अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे गाउट, बुर्साइटिस, वायरल संक्रमण, चोट और टेंडोनाइटिस। ऐसे में अनुभवी ऑर्थोपेडिक डॉक्टर के पास जाकर जांच करानी चाहिए। आप चाहें तो हेक्साहेल्थ की सहायता से अनुभवी ऑर्थोपेडिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।
जोड़ों के बीच घर्षण से बचाने के लिए एक गिरीश होता है जिसे श्लेष द्रव (साइनोवियल फ्लूइड) कहते हैं। श्लेष द्रव को बढ़ाने के लिए ऐसे आहार लें जिनमे एंटी - ऑक्सीडेंट और ओमेगा थ्री फैटी एसिड मौजूद हों। इसके अलावा प्याज और अदरक में एलिसिन तत्व होता है जो गिरीश को संतुलित रखता है। प्रतिदिन व्यायाम करने से भी श्लेष द्रव की मात्रा बरकरार रहने में मदद मिलती है।
हाथ - पैर के जोड़ों में दर्द होने का मुख्य कारण आर्थराइटिस की बीमारी है। आर्थराइटिस के अलावा कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से भी जोड़ों में दर्द हो सकता है। हाथ - पैर में पुरानी चोट या हाल - फिलहाल में आई चोट के कारण भी दर्द होता है।
जोड़ों में चिकनाई बढ़ाने के लिए रोज नियमित व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम करने से जोड़ों में श्लेष द्रव की मात्रा संतुलित रहती है। इसके अलावा ओमेगा थ्री फैटी एसिड, एंटी - ऑक्सीडेंट वाले खाने जैसे खट्टे फल, सालमन मछली खा सकते हैं। प्याज और अदरक में एलिसिन पाया जाता है जो घटी हुई चिकनाई को बढ़ा सकता है।
अगर सामान्य किसी चोट या पोषक तत्वों की कमी से घुटनों का दर्द हो रहा है तो नॉन सर्जिकल प्रक्रिया द्वारा भी इसका स्थाई इलाज हो सकता है। अगर घुटनों का दर्द ओस्टियोआर्थराइटिस, रियुमेटॉयड और हड्डी का कैंसर होने पर सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।
आमतौर पर कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं इसलिए कैल्शियम की कमी से हड्डियां टूटने की संभावना अधिक रहती है। लंबे समय से कैल्शियम की कमी होने पर ओस्टियोपोरोसिस, ओस्टियोपेनिया और सूखा रोग हो सकता है।
मांसपेशियों में जकड़न किसी चोट, आर्थराइटिस या किसी अन्य कारण से हो सकता है। जकड़न दूर करने के लिए प्रतिदिन व्यायाम जैसे हैमस्ट्रिंग स्ट्रेच, बालासन, भुजंगासन किए जा सकते हैं। इसके अलावा भोजन में हरी सब्जियां, मछली, अंडे, दूध शामिल करें।
जोड़ों के दर्द में ट्रांस फैट वाली चीजें जैसे फ्राइड फूड और बेकरी उत्पाद खाने से सूजन और दर्द हो सकता है। इसके अलावा डेयरी उत्पाद, रेड मीट, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, अधिक शक्कर वाली चीजें और ओमेगा ६ फैटी एसिड्स वाले भोज्य पदार्थ लेने से जोड़ों के ऊतकों में सूजन और दर्द बढ़ सकता है।
शरीर के लिए संतुलित मात्रा में हर विटामिन आवश्यक होता है। जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए मुख्य रूप से विटामिन सी, विटामिन के और विटामिन डी आवश्यक तत्व होते हैं। इन विटामिन की कमी से जोड़ों में दर्द हो सकता है।
विटामिन डी, कैल्शियम की मात्रा को रेगुलेट करने में मदद करता है। विटामिन डी की कमी होने पर बच्चों में सूखा रोग और बड़ों में ओस्टियोमलासिया हो सकता है। विटामिन डी की कमी होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं:
Last Updated on: 15 November 2022
MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES
12 Years Experience
Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More
She is a B Pharma graduate from Banaras Hindu University, equipped with a profound understanding of how medicines works within the human body. She has delved into ancient sciences such as Ayurveda and gained valuab...View More
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