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जोड़ों का दर्द दूर करने का इलाज - लक्षण, कारण, घरेलू उपाय और परहेज

Medically Reviewed by
Dr. Aman Priya Khanna
Jodo Ka Dard

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Jodo Ka Dard
Medically Reviewed by Dr. Aman Priya Khanna Written by Pranjali Kesharwani

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जोड़ों का दर्द युवाओं से लेकर बुजुर्गों में होने वाली पीड़ादायक बीमारी है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरीज एंड रिस्क फैक्टर्स के वर्ष २०१९ की स्टडी के अनुसार भारत के ६.२ करोड़ लोगों में घुटनों के जोड़ों में दर्द (ओस्टियोआर्थराइटिस) की समस्या देखी गई। 

जोड़ों में दर्द होने का मुख्य कारण आर्थराइटिस रोग हो सकता है। आर्थराइटिस के अलावा भी जोड़ों में दर्द के कई अन्य कारण हो सकते हैं। इसे घरेलू उपायों, नॉन सर्जिकल और सर्जिकल उपचार से स्थाई या अस्थाई रूप से ठीक किया जा सकता है।

रोग का नाम

जोड़ों का दर्द

विकल्प नाम

गठिया 
लक्षण

सूजन और दर्द महसूस होना , जोड़ों में सुन्नता ( नंबनेस ) महसूस होना , चलने - फिरने पर जोड़ों से आवाज आना , चलने - फिरने पर दर्द होना, जोड़ों को मोड़ने और सीधा करने में कठिनाई होना 

कारण आर्थराइटिस, बुर्साइटिस, चोट, टेंडोनाइटिस, एडल्ट स्टिल्स डिजीज, ओस्टियोनेक्रोसिस
निदान शारीरिक परीक्षण, लैब टेस्ट, एक्स - रे, कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी ( सी.टी. ) 

इलाज कौन करता है

ऑर्थोपेडिक सर्जन

उपचार के विकल्प

दवाईयां, थेरेपी, घरेलू उपायों, ज्वाइंट रिपेयर, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, ज्वाइंट फ्यूजन

जोड़ों का दर्द

शरीर के दो या दो से अधिक हड्डियों के जोड़ में जब किसी चोट, बीमारी या पोषक तत्व की कमी से दर्द होता है तो इसे जोड़ों का दर्द कहा जा सकता है। 

जोड़ों के दर्द के प्रकार

जोड़ों का दर्द एक्यूट यानी कुछ दिनों या सप्ताह तक हो सकता है जबकि क्रॉनिक दर्द कुछ सप्ताह, महीनों या सालों तक रह सकता है। जोड़ों का दर्द मुख्य रूप से ७ प्रकार का होता है जो निम्नलिखित है: 

  1. घुटनों में दर्द
  2. कंधों में दर्द 
  3. कूल्हों में दर्द 
  4. पैरों में दर्द 
  5. हाथों में दर्द 
  6. गर्दन में दर्द 
  7. कोहनी में दर्द

जोड़ों में दर्द के लक्षण

जोड़ों में दर्द होने पर कुछ लक्षणों द्वारा आसानी से इसे महसूस किया जा सकता है। जोड़ों में दर्द होने पर कुछ लक्षण इस प्रकार देखे जा सकते हैं: 

  1. सूजन और दर्द महसूस होना 
  2. जोड़ों में सुन्नता ( नंबनेस ) महसूस होना 
  3. चलने - फिरने पर जोड़ों से आवाज आना 
  4. चलने - फिरने पर दर्द होना  
  5. जोड़ों को मोड़ने और सीधा करने में कठिनाई होना 
  6. जोड़ों में गति की हानि होना 
  7. जोड़ों में लालिमा आना और जलन होना

विशेषज्ञ डॉक्टर (10)

Dr. B S Rajput
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Dr. Sudheendra T R
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जोड़ों के दर्द का कारण

जोड़ों के दर्द के पीछे मुख्य रूप से चोट और आर्थराइटिस हो सकता है, लेकिन और भी कई अन्य कारणों से जोड़ों में दर्द देखा जा सकता है। जोड़ों में दर्द होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं: 

  1. आर्थराइटिस: कई प्रकार के आर्थराइटिस के कारण भी जोड़ों में दर्द होता है जैसे ओस्टियोआर्थराइटिस, गाउट, रियुमेटोइड आर्थराइटिस, गोनोकोकल आर्थराइटिस, इत्यादि। 
  2. बुर्साइटिस: यह जोड़ों में पाए जाने वाले तरल थैली में सूजन आने के कारण होता है। बुर्साइटिस के कारण जोड़ों में तेज जलन और दर्द होता है। 
  3. चोट: किसी दुर्घटना में आई चोट या मोच के कारण जोड़ों में स्थाई या अस्थाई दर्द हो सकता है।
  4. टेंडोनाइटिस: मांसपेशियों और हड्डियों को जोड़ने वाले फाइबर में सूजन होने के कारण जोड़ों में दर्द महसूस हो सकता है।
  5. एडल्ट स्टिल्स डिजीज: यह जोड़ों में सूजन और दर्द की दुर्लभ बीमारी है जिसमे बुखारा और जोड़ों में दर्द होता है।
  6. ओस्टियोनेक्रोसिस: इस बीमारी में रक्त की आपूर्ति न होने के कारण हड्डियों के ऊतक मरने लगते हैं। 
  7. हड्डी में कैंसर होने के कारण जोड़ों में दर्द हो सकता है।
  8. फाइब्रोम्यालजिया: यह एक प्रकार का विकार है जिसमे शरीर में थकान और जोड़ों में दर्द रहता है।
  9. हाईपो थायराइडिज्म: थायरॉयड ग्रंथि जब जरूरी हार्मोन का स्त्राव नही करती है तो जोड़ों में दर्द, मोटापा और नपुंसकता जैसी दिक्कतें देखने को मिलती हैं। 
  10. ल्यूकेमिया: यह एक प्रकार का कैंसर है जो खून बनाने वाले ऊतकों में होता है। यह अस्थिमज्जा (बोनमैरो) और लिम्फेटिक तंत्र में भी होता है जिससे जोड़ों में दर्द होता है।
  11. ल्युपस: यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमे प्रतिरक्षा प्रणाली ऊतकों और अंगों को नष्ट करने लगती है। इससे जोड़ों में सूजन और दर्द होता है।  
  12. लाइम बीमारी: यह कुछ बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारी है जिसमे अलग - अलग जोड़ों में दर्द होता रहता है। 
  13. सूखा रोग: विटामिन डी की कमी से बच्चों में यह रोग होता है जिससे हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द होता है।

जोड़ों के दर्द के जोखिम कारक

कुछ लोगों में जोड़ों का दर्द होने का जोखिम अधिक रहता है। जीवनशैली खराब होने के कारण और कुछ अन्य वजहों से जोड़ों में दर्द होने का जोखिम बढ़ जाता है। जोड़ों के दर्द के कुछ जोखिम कारक इस प्रकार हैं:

  1. मोटापा: अधिक वजन होने पर जोड़ों पर दबाव बढ़ता है जिससे जोड़ों में दर्द होने का जोखिम रहता है। 
  2. संक्रमण: कुछ बैक्टीरिया जैसे स्टाफ के कारण जोड़ों में संक्रमण हो जाता है जो जोड़ों में होने वाले दर्द का मुख्य कारक हो सकता है।
  3. पारिवारिक इतिहास: अगर आर्थराइटिस कई पीढ़ियों से होता रहा है तो अगली पीढ़ियों में भी जोड़ों के दर्द का जोखिम रहता है। 
  4. चोट: किसी दुर्घटना, खेल - कूद या अन्य कारणों से आई चोट जोड़ों के दर्द का मुख्य कारक हो सकती है। 
  5. उम्र: उम्र बढ़ने के साथ - साथ हड्डियों और जोड़ों में कमजोरी आने लगती है और जोड़ों में दर्द का जोखिम बढ़ जाता है।
  6. लिंग: पुरुषों की तुलना में महिलाओं को जोड़ों में दर्द होने का जोखिम अधिक रहता है।   

जोड़ों के दर्द से बचाव

जोड़ों के दर्द से बचाव के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। खान - पान पर नियंत्रण, जीवनशैली में सुधार और कुछ अन्य उपायों से जोड़ों के दर्द से बचा जा सकता है। जोड़ों के दर्द से बचाव के लिए इन बातों का ध्यान रखा जा सकता है:      

  1. वजन को कम करने से जोड़ों के दर्द से बचा जा सकता है। 
  2. रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को नियंत्रित रखने से डायबिटीज नही होता है जिससे आर्थराइटिस जैसी समस्या होने की संभावना कम रहती है और जोड़ों में दर्द नही होता है।
  3. व्यायाम: रोज ३० मिनट व्यायाम करने से जोड़ों के लिगामेंट और टेंडन में लचीलापन बढ़ता है जिससे जोड़ों में दर्द की आशंका कम हो जाती है ।
  4. तैरना: पानी के उत्पलावन बल ( बायंसी ) के कारण पानी में तैरने से जोड़ों पर दाब कम लगता है जिससे दर्द में आराम मिलता है। 
  5. योगासन: कुछ योगासन जैसे सेतुबंध आसन, गरुड़ासन, त्रिकोणासन, मकरासन और मलासन करने से जोड़ों के दर्द से राहत मिल सकती है।
  6. हल्की स्ट्रेचिंग करने से भी जोड़ों में दर्द  होने की संभावना कम हो जाती है।  
  7. पोषक तत्व वाले खाद्य पदार्थ जैसे हरी सब्जियां, फल, मछली, अंडे खाने से हड्डियों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। 

जोड़ों के दर्द का निदान

जोड़ों के दर्द की जांच में ऑर्थोपेडिक डॉक्टर शारीरिक परीक्षण करते हैं और वास्तविक कारण पता करने के लिए कुछ तकनीकों की मदद से जांच करते हैं। जोड़ों के दर्द का निदान कुछ इन चरणों में किया जा सकता है: 

  1. शारीरिक परीक्षण: जोड़ों के निदान में ऑर्थोपेडिक डॉक्टर शारीरिक परीक्षण भी करवाते हैं। डॉक्टर सूजन और जलन की जांच करते हैं। इसके अलावा जोड़ों के गति की भी जांच करते हैं। 
  2. लैब टेस्ट: कई प्रकार के शारीरिक द्रवों का परीक्षण लैब टेस्ट की मदद से किया जाता है। इसमें खून, पेशाब और जोड़ों के बीच पाए जाने वाले द्रव का परीक्षण किया जाता है। 
  3. एक्स - रे: कम स्तर वाले एक्स - रे किरणों का प्रयोग करके जोड़ों में हुई समस्या का पता लग जा सकता है। इससे संभावित आर्थराइटिस का भी पता लग जाता है। 
  4. कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी ( सी.टी. ) स्कैन: इस तकनीक की मदद से जोड़ों के आंतरिक हिस्सों को कई कोणों से देखा जा सकता है। इसमें हड्डी के अगल - बगल के मुलायम ऊतकों का भी देखा जा सकता है जिससे जोड़ों में आई समस्या समझने में आसानी होती है।  
  5. मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग ( एम.आर.आई ): इस तकनीक की मदद से रेडियो की तरंगों द्वारा कार्टिलेज, लिगामेंट और टेंडन जैसे मुलायम ऊतकों की छवि मिल जाती है।
  6. अल्ट्रासाउंड: अल्ट्रासाउंड की मदद से कार्टिलेज, बुर्सा ( तरल थैली ) और अन्य कोमल ऊतकों की छवि मिल जाती है जिससे डॉक्टर को जोड़ों में हुई समस्या का पता लगता है। 

जोड़ों के दर्द का ईलाज

बिना सर्जरी के जोड़ों के दर्द का ईलाज

घरेलू उपायों

  1. गर्म सिकाई: किसी बोतल में गर्म पानी डालकर जोड़ों की मासपेशियों पर सेंकने से रक्त संचार बढ़ता है जिससे घुटनों में दर्द कम होता है।
  2. ठंडी सिकाई: किसी कॉटन के कपड़े में बर्फ के टुकड़ों को लेकर जोड़ों पर सेंकने से सूजन कम होता है और दर्द के बजाय सुन्नता का एहसास होता है। 
  3. वॉर्म बाथ: हल्के गर्म पानी से नहाने पर पूरे शरीर के जोड़ों में खून और ऑक्सीजन का बहाव बढ़ता है जिससे जोड़ों में हो रहा दर्द कम होता है।
  4. मालिश: किसी तेल से जोड़ों  में मालिश करने पर जोड़ों की मांसपेशियों में गतिशीलता और लचीलापन बढ़ता है जिससे घुटनों में दर्द कम होता है। 

जब जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है और घरेलू उपायों से आराम नही मिलता है तो डॉक्टर कुछ दवाईयां और थेरेपी देते हैं। जोड़ों के दर्द में बिल्कुल आराम न मिलने पर अंततः ऑर्थोपेडिक सर्जन स्थिति के अनुसार  

दवाईयां

  1. नॉनस्टेरॉयडल एंटीइंफ्लेमेटरी ड्रग्स: ये दवाएं जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करती हैं। 
  2. प्रतिकारक (काउंटर इरिटेंट्स): इन क्रीमों और ऑइंटमेंट में मेंथॉल और कैप्साइसिन होता है जो जोड़ों में हो रहे दर्द के सिग्नल को कम करता है।  
  3. स्टेरॉइड: कोर्टिस्टेरॉइड दवा इंजेक्शन और गोली के रूप में लिया जाता है। इससे घुटने के दर्द और सूजन में राहत मिलती है। 
  4. रोग-संशोधित एंटीह्यूमेटिक दवाएं: इन दवाइयों का इस्तेमाल जोड़ों और अन्य ऊतकों को परमानेंट डैमेज से बचाती हैं। इन दवाओं को मुख्य रूप से रियुमेटोइड आर्थराइटिस के लिए इस्तेमाल किया जाता है।  
  5. थेरेपी: डॉक्टर की सलाह पर कुछ एक्सरसाइज करने से जोड़ों के दर्द में कमी हो सकती है। एक्यूपंक्चर थेरेपी की मदद से भी डॉक्टर जोड़ों के दर्द का उपचार करते हैं। कुछ अन्य थेरेपी इस प्रकार हैं: 
  6. हाइड्रोथेरेपी: इस थेरेपी में हल्के गर्म पानी वाले स्विमिंग पूल में एक्सरसाइज करना सिखाया जाता है जिससे जोड़ों के आस - पास की मांसपेशियां आराम महसूस करती हैं। 
  7. फिजियोथेरेपी: इस थेरेपी में जोड़ों में हो रहे दर्द के आधार पर विशेष एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है। 
  8. ऑक्यूपेशनल थेरेपी: इसमें थेरेपिस्ट किसी भी काम को ऐसे तरीके से करने की सलाह देते हैं जिससे जोड़ों में दर्द की संभावना कम रहे।   

सर्जरी के जोड़ों के दर्द का ईलाज

  1. ज्वाइंट रिपेयर: इस सर्जरी में आर्थ्रोस्कोप की मदद से जोड़ों के सतह को चिकना किया जाता है। 
  2. ज्वाइंट रिप्लेसमेंट: इस सर्जरी में खराब जोड़ को निकालकर आर्टिफिशियल जोड़ को लगा दिया जाता है। 
  3. ज्वाइंट फ्यूजन: इस सर्जरी को छोटे जोड़ों में हुई खराबी को ठीक करने के लिए किया जाता है।   

जोड़ों के दर्द में होने वाली जोखिम और जटिलताएं

आमतौर पर जोड़ों में होने वाला दर्द चोट या आर्थराइटिस की वजह से ही होता है इसलिए जोड़ों में होने वाली जटिलताएं आर्थराइटिस के प्रकार भी निर्भर करती हैं। जोड़ों के दर्द में होने वाली आम जोखिम और जटिलताएं इस प्रकार हैं:

  1. गतिहीनता: टहलने और दौड़ने में बाधा आने से शरीर में गतिहीनता महसूस होती है। 
  2. सोने में परेशानी: जोड़ों में दर्द होने के कारण नींद पूरी न होने की समस्या और आराम करते वक्त जोड़ों में दर्द से मरीज को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
  3. जोड़ों के अंदर रक्तस्राव हो सकता है।
  4. जोड़ों के आसपास के लिगामेंट टूटने का जोखिम रहता है।
  5. रूमेटॉयड आर्थराइटिस के मरीजों में शरीर के कई अंगों में सूजन होने का जोखिम रहता है। 
  6. हार्ट की बीमारी हो सकती है।

डॉक्टर के पास कब जाएं 

जोड़ों के दर्द में आमतौर पर आपातकाल जैसी स्थिति आने की संभावना कम होती है लेकिन अगर जोड़ों के दर्द में लगातार ३ दिन तक  निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए: 

  1. जोड़ों में सूजन, कठोरता और तेज दर्द होने पर 
  2. जोड़ों के अगल - बगल की त्वचा में जलन और लाल निशान दिखने पर 
  3. जोड़ों में गति न होने पर
  4. जोड़ों में दर्द के कारण रोजमर्रा के कामों में बांधा आने पर 

जोड़ों के दर्द की डाइट

जोड़ों के दर्द से राहत पाने में डाइट का अहम योगदान होता है इसलिए डॉक्टर जोड़ों के दर्द में विशेष डाइट लेने की सलाह देते हैं जिनमे विटामिन डी, कैल्शियम जैसे पोषक तत्व मौजूद हों। जोड़ों के दर्द में निम्नलिखित डाइट लेने से जोड़ों का दर्द और अधिक नही बढ़ता है और सुधार होने की संभावना भी रहती है: 

  1. विटामिन डी: हड्डियों के स्वास्थ्य को बेहतर रखने में विटामिन डी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसलिए अपने दैनिक भोजन में विटामिन डी जरूर शामिल करें। विटामिन डी के लिए सबसे अच्छा और प्राकृतिक स्त्रोत धूप लेना हो सकता है। 
  2. ओमेगा थ्री फैटी एसिड्स: स्टडी में पाया गया कि ओमेगा थ्री फैटी एसिड्स में सूजनरोधी गुण होते हैं और यह प्रतिरक्षा प्रणाली ( इम्यून सिस्टम ) को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसलिए प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द में ओमेगा थ्री फैटी एसिड काफी फायदेमंद हो सकता है
  3. अन्य पोषक तत्व: जोड़ों के दर्द में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, जिंक, विटामिन बी १२ वाले खाद्य पदार्थों का भी सेवन करना चाहिए।

आहार संयंत्र

सुबह के नाश्ते में 

  1. नाश्ते में आटे का डोसा, हरी चटनी और १ गिलास दूध लें।
  2. टमाटर की चटनी के साथ मशरूम का २ पराठा खाएं।

दोपहर के खाने में 

  1. सलाद के रुप में अनानास (२५० ग्राम ), एक संतरा और सेब का सेवन करें। 
  2. खाने में १ कप चावल, आधा कप पालक की दाल और आधा कप चुकंदर की सब्जी खाएं।
  3. १ कप चावल के साथ लगभग ८० ग्राम टुना मछली की करी का सेवन और आधा कप गोभी का सलाद ले सकते हैं। 

शाम को नाश्ते में 

  1. १ कप ब्राउन राइस और मेवों से बना पोहा तथा १ गिलास नींबू पानी का सेवन कर सकते हैं। 
  2. अखरोट वाले दूध या फलों के सलाद या ग्रीन टी ले सकते हैं। 

रात के खाने में 

  1. आधा कप भिंडी की सब्जी के साथ ३ रोटियां खा सकते हैं। भिंडी की सब्जी की जगह करेले, टमाटर या उपमा और बीन्स की सब्जी भी खा सकते हैं। 

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

  1. मिथक: जोड़ों में होने वाला दर्द आर्थराइटिस होता है 
    सच्चाई: आर्थराइटिस के अलावा कई अन्य स्थितियां भी होती हैं जिनके कारण जोड़ों में दर्द हो सकता है। किसी मुलायम ऊतक में चोट लगने से या टेंडोनाइटिस और बुर्साइटिस के कारण भी जोड़ों में दर्द देखा जा सकता है।
  2. मिथक: बारिश और नमी वाला मौसम आर्थराइटिस को अधिक गंभीर कर देता है। 
    सच्चाई: बारिश और नमी के कारण आर्थराइटिस के अधिक गंभीर होने का कोई वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। 
  3. मिथक : बैगन, चकोतरा और अन्य नाइटशेड सब्जियां खाने से आर्थराइटिस ठीक होता है।
    सच्चाई: वास्तव में अभी तक आर्थराइटिस का कोई इलाज उपलब्ध नहीं हो पाया है। हालांकि जीवनशैली में बदलाव करके इसके लक्षणों में कमी लाया जा सकता है। 
  4. मिथक: जोड़ों के दर्द में गर्म सिकाई की तुलना में ठंडी सिकाई कम असरदार होती है। 
    सच्चाई: जोड़ों में दर्द से राहत पाने के लिए ठंडी सिकाई और गर्म सिकाई दोनों ही मदद करती हैं। जोड़ों में हो रहे दर्द के प्रकार के आधार पर डॉक्टर आपको उपयुक्त सिकाई की सलाह दे सकते हैं। 
  5. मिथक : ग्लूकोसामिन सप्लीमेंट लेने से सभी आर्थराइटिस मरीजों को फायदा होता है। 
    सच्चाई: ग्लूकोसामिन सप्लीमेंट लेने से घुटनों के जोड़ों में होने वाले दर्द से कुछ लोगों को आराम हो सकता है। इसका इस्तेमाल सभी लोगों में करने की सलाह नही दी जाती है। 
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जोड़ों में होने वाला दर्द कई कारणों से होता है जिसमे पोषक तत्व की कमी एक मुख्य कारण है। आमतौर पर जोड़ों में दर्द कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से होता है। 

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अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार जोड़ों में दर्द होने पर संतरा, सोयाबीन, दूध, सालमन मछली, वनीला आइसक्रीम खाने से कैल्शियम की कमी दूर हो सकती है। इसके अलावा अंडे का पीला भाग ( जर्दी ), खारे नमक वाली मछली खाने से विटामिन डी प्राप्त होता है। इस प्रकार जोड़ों का दर्द कम हो सकता है। 

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जोड़ों के दर्द के लिए हल्दी, अदरक, अश्वगंधा, शतावरी, त्रिफला, मालिश और व्यायाम करने से दर्द में राहत मिल सकता है। इन सभी आयुर्वेदिक उपायों से जोड़ों का सूजन कम होता है जिससे दर्द में आराम मिलता है। 

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वैसे तो कई फलों में कैल्शियम की मात्रा पाई ही जाती है लेकिन सबसे अधिक कैल्शियम वाले फल संतरा, किवी, बेरीज, अनानास, पपीता, खुबानी (अप्रिकोट) हैं जिनमे अच्छी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। 

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जोड़ों में दर्द होना कई स्थितियों का संकेत हो सकता है। आमतौर पर जोड़ों का दर्द आर्थराइटिस के कारण, चोट के कारण, पोषक तत्व (कैल्शियम, विटामिन डी) की कमी के कारण, लिगामेंट, टेंडन और मांसपेशियों में खिंचाव आने के के कारण होता है। 

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जोड़ों का दर्द मुख्य रूप से ७ प्रकार के हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं: 

  1. घुटनों में दर्द 
  2. कंधे में दर्द 
  3. कूल्हों में दर्द 
  4. पैरों में दर्द 
  5. हाथों में दर्द 
  6. कोहनी में दर्द 
  7. गर्दन में दर्द 
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जोड़ों में दर्द और जकड़न होना आर्थराइटिस ( गठिया ) बीमारी का मुख्य लक्षण है। इसके अलावा जोड़ों में दर्द और जकड़न के अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे गाउट, बुर्साइटिस, वायरल संक्रमण, चोट और टेंडोनाइटिस। ऐसे में अनुभवी ऑर्थोपेडिक डॉक्टर के पास जाकर जांच करानी चाहिए। आप चाहें तो हेक्साहेल्थ की सहायता से अनुभवी ऑर्थोपेडिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। 

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जोड़ों के बीच घर्षण से बचाने के लिए एक गिरीश होता है जिसे श्लेष द्रव (साइनोवियल फ्लूइड) कहते हैं। श्लेष द्रव को बढ़ाने के लिए ऐसे आहार लें जिनमे एंटी - ऑक्सीडेंट और ओमेगा थ्री फैटी एसिड मौजूद हों। इसके अलावा प्याज और अदरक में एलिसिन तत्व होता है जो गिरीश को संतुलित रखता है। प्रतिदिन व्यायाम करने से भी श्लेष द्रव की मात्रा बरकरार रहने में मदद मिलती है। 

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हाथ - पैर के जोड़ों में दर्द होने का मुख्य कारण आर्थराइटिस की बीमारी है। आर्थराइटिस के अलावा कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से भी जोड़ों में दर्द हो सकता है। हाथ - पैर में पुरानी चोट या हाल - फिलहाल में आई चोट के कारण भी दर्द होता है। 

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जोड़ों में चिकनाई बढ़ाने के लिए रोज नियमित व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम करने से जोड़ों में श्लेष द्रव की मात्रा संतुलित रहती है। इसके अलावा ओमेगा थ्री फैटी एसिड, एंटी - ऑक्सीडेंट वाले खाने जैसे खट्टे फल, सालमन मछली खा सकते हैं। प्याज और अदरक में एलिसिन पाया जाता है जो घटी हुई चिकनाई को बढ़ा सकता है।

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अगर सामान्य किसी चोट या पोषक तत्वों की कमी से घुटनों का दर्द हो रहा है तो नॉन सर्जिकल प्रक्रिया द्वारा भी इसका स्थाई इलाज  हो सकता है। अगर घुटनों का दर्द ओस्टियोआर्थराइटिस, रियुमेटॉयड और हड्डी का कैंसर होने पर सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। 

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आमतौर पर कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं इसलिए कैल्शियम की कमी से हड्डियां टूटने की संभावना अधिक रहती है। लंबे समय से कैल्शियम की कमी होने पर ओस्टियोपोरोसिस, ओस्टियोपेनिया और सूखा रोग हो सकता है। 

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मांसपेशियों में जकड़न किसी चोट, आर्थराइटिस या किसी अन्य कारण से हो सकता है। जकड़न दूर करने के लिए प्रतिदिन व्यायाम जैसे हैमस्ट्रिंग स्ट्रेच, बालासन, भुजंगासन किए जा सकते हैं। इसके अलावा भोजन में हरी सब्जियां, मछली, अंडे, दूध शामिल करें।  

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जोड़ों के दर्द में ट्रांस फैट वाली चीजें जैसे फ्राइड फूड और बेकरी उत्पाद खाने से सूजन और दर्द हो सकता है। इसके अलावा डेयरी उत्पाद, रेड मीट, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, अधिक शक्कर वाली चीजें और ओमेगा ६ फैटी एसिड्स वाले भोज्य पदार्थ लेने से जोड़ों के ऊतकों में सूजन और दर्द बढ़ सकता है।

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शरीर के लिए संतुलित मात्रा में हर विटामिन आवश्यक होता है। जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए मुख्य रूप से विटामिन सी, विटामिन के और विटामिन डी आवश्यक तत्व होते हैं। इन विटामिन की कमी से जोड़ों में दर्द हो सकता है। 

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विटामिन डी, कैल्शियम की मात्रा को रेगुलेट करने में मदद करता है। विटामिन डी की कमी होने पर बच्चों में सूखा रोग और बड़ों में ओस्टियोमलासिया हो सकता है। विटामिन डी की कमी होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं: 

  1. थकान
  2. जोड़ों में दर्द 
  3. मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी
  4. हड्डी में दर्द 
  5. श्वसन संबंधी समस्या
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Last Updated on: 15 November 2022

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Aman Priya Khanna

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES

12 Years Experience

Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More

लेखक

Pranjali Kesharwani

Pranjali Kesharwani

Bachelor of Pharmacy (Banaras Hindu University, Varanasi)

2 Years Experience

She is a B Pharma graduate from Banaras Hindu University, equipped with a profound understanding of how medicines works within the human body. She has delved into ancient sciences such as Ayurveda and gained valuab...View More

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