अर्थराइटिस क्या है (Arthritis in Hindi): गठिया रोग के कारण, लक्षण, इलाज

Medically Reviewed by
Dr. Aman Priya Khanna
Arthritis in Hindi

हेक्साहेल्थ सुविधायें

विश्वस्त डॉक्टर और सर्वोच्च अस्पताल

विशेषज्ञ सर्जन के साथ परामर्श

आपके उपचार के दौरान व्यापक सहायता

WhatsApp Expert
Arthritis in Hindi
Medically Reviewed by Dr. Aman Priya Khanna Written by Pranjali Kesharwani

Book Consultation

गठिया या गठिया बाय जिसे हम अंग्रेजी में अर्थराइटिस नाम से भी जानते हैं आजकल बहुत ही आम बीमारी हो गई  हैं। भारत में लगभग 18 करोड़ लोग अर्थराइटिस की बीमारी से प्रभावित होते हैं। 2011 के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरीज़ एंड रिस्क फैक्टर के स्टडी के अनुसार सिर्फ घुटनों के अर्थराइटिस से 6.2 करोड़ लोग प्रभावित हैं। 

ये रोग आज ना सिर्फ़ बूढ़े लोगों में देखने को मिलता है बल्कि इसकी चपेट में नौजवान लोग भी आ रहे हैं। अर्थराइटिस से पीड़ित लोगों के शरीर में काफ़ी दर्द होता है। अर्थराइटिस घुटनों और कूल्हे की हड्डियों पर अधिक प्रभाव डालता है।

इस्से बचाव के लिए कुछ घरेलू उपाय और नॉन सर्जिकल उपचारों से अर्थराइटिस से होने वाले दर्द और सूजन को कम किया जा सकता है। चलिए समझते हैं कि आर्थराइटिस क्या होता है, इसके कारण क्या हैं, गठिया के लक्षण क्या होते हैं और गठिया रोग से बचाव कैसे किया जा सकता है।

रोग का नाम 

गठिया

वैकल्पिक नाम

 गठिया बाय

लक्षण

जोड़ों में दर्द, लालिमा, सूजन, जोड़ों में जलन रहना, वजन का घटना, घुटनों को मोड़ने में असहनीय दर्द होना

कारण जोड़ों का घिसना, अनुवांशिक, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर
निदान एक्स-रे, कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी, अल्ट्रासाउंड

किसके द्वारा उपचार 

ऑर्थोपेडिक सर्जन

उपचार के विकल्प

दवाइयां, टॉपिकल पेन रिलीवर्स, इंजेक्शन, आर्थ्रोस्कॉपी, जॉइंट रिसर्फेसिंग, ऑस्टियोटमी

गठिया क्या है?

अर्थराइटिस जोड़ों से संबंधित एक समस्या है। इस रोग में व्यक्ति के जोड़ों में दर्द होता है तथा उनमें सूजन आ जाती है। अर्थराइटिस शरीर के किसी एक जोड़ या एक से अधिक जोड़ को प्रभावित कर सकता है।

गठिया के प्रकार

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक अर्थराइटिस के 100 से भी अधिक प्रकार हैं। हालांकि इनमे से कुछ प्रकार ही अधिकतर जनसंख्या में देखने को मिलता है। अर्थराइटिस के कुछ मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:  

  1. ओस्टियोअर्थराइटिस - यह बीमारी घुटनों को प्रभावित करती है। रोगी के घुटनों के जोड़ों में सूजन और दर्द रहता है जिसकी वजह से उसे चलने फिरने में काफी परेशानी होती है।
  2. सेप्टिक अर्थराइटिस - यह अर्थराइटिस तब उत्पन्न होती है जब जोड़ों के साफ्ट बैक्टीरिया के कारण संक्रमण हो जाता है। 
  3. रूमेटाइड अर्थराइटिस - यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमे प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों के ऊतकों को नष्ट करने लगती है। इस कारण जोड़ों में दर्द होता है।
  4. जुवेनाइल अर्थराइटिस - अर्थराइटिस का यह प्रकार आमतौर पर बच्चों को होता है जिसकी वजह से बच्चों के जोड़ों में दर्द होता है।  
  5. गाउट - यह एक ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति के शरीर के अंदर यूरिक एसिड बढ़ जाता है जिसकी वजह से जोड़ों में सूजन और दर्द रहता है विशेषकर पैर के अंगूठे में। 

गठिया के लक्षण

जोड़ों में दर्द होने से गठिया रोग की पहचान नही की जा सकती है। जोड़ों में सिर्फ दर्द होना आर्थ्राल्जिया का संकेत होता है लेकिन जोड़ों में सूजन के कारण दर्द रहना अर्थराइटिस का लक्षण होता है। अर्थराइटिस के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

  1. एक या एक से अधिक जोड़ों में दर्द होना
  2. जोड़ों में दर्द के साथ-साथ लालिमा, गर्मी और सूजन होना 
  3. जोड़ों में जलन रहना
  4. हाथों और पैरों को हिलाते समय जोड़ों में हल्का या तेज दर्द होना 
  5. वजन का घटना
  6. घुटनों को मोड़ने में असहनीय दर्द होना
  7. संयुक्त गति की कमी

विशेषज्ञ डॉक्टर

Dr. Lavindra Tomar

Orthopaedics and Joint Replacement

33+ Years

Experience

100%

Recommended

Dr. Manmohan Agarwal

Orthopaedics and Joint Replacement, Arthroscopy and Spo...

38+ Years

Experience

100%

Recommended

एनएबीएच मान्यता प्राप्त अस्पताल

BH Salvas Hospital
JCI
NABH

BH Salvas Hospital

4.8/5( Ratings)
Chandan Palace
CDAS Super Speciality Hospital
JCI
NABH

CDAS Super Speciality Hospital

4.5/5( Ratings)
Malibu Town

गठिया के कारण

अर्थराइटिस के होने के कई कारण हो सकते हैं। चोट लगने से, जोड़ों में इन्फेक्शन होने से और कुछ अन्य कारणों से अर्थराइटिस देखा जा सकता है। 

गठिया होने के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं: 

जोड़ों का घिसना - उपास्थि (नरम हड्डी) जो आपके जोड़ों में हड्डियों के सिरों को कुशन करती है, धीरे-धीरे बिगड़ती जाती है। आखिरकार, अगर उपास्थि पूरी तरह से खराब हो जाती है, तो हड्डी हड्डी पर रगड़ जाएगी।

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर - जब प्रतिरक्षा प्रणाली खुद ही शरीर के ऊतकों पर हमला करके उन्हें नष्ट करने लगती है तो जोड़ों में दर्द रहने लगता है। 

मांसपेशी में कमजोरी - पोषक तत्वों या अन्य कारणों से मांसपेशी में कमजोरी आने पर जोड़ों में भी दर्द हो सकता है जो आर्थराइटिस का मुख्य लक्षण है।

गठिया के जोखिम कारक

कुछ व्यवहार और विशेषताएं, जिन्हें जोखिम कारक कहा जाता है, एक वयस्क के कुछ प्रकार के गठिया होने या इसे बदतर बनाने की संभावना को बढ़ाते हैं। आप कुछ जोखिम कारकों को नियंत्रित कर सकते हैं, और अन्य आप नहीं कर सकते। आप जिन जोखिम कारकों को नियंत्रित कर सकते हैं उन्हें बदलकर आप गठिया होने या गठिया को बदतर बनाने के अपने जोखिम को कम कर सकते हैं।

  1. मोटापे के कारण - मोटापे की वजह से भी शरीर के जोड़ कमजोर हो जाते हैं जिसकी वजह से वो शरीर के वजन को संभाल नहीं पाते। ‌ऐसी स्थिति अर्थराइटिस रोग की शुरुआत कर सकती है। 
  2. चोट लगना - किसी दुर्घटना या खेल - कूद ‌में आई चोट के कारण आर्थराइटिस विकसित होने की संभावना रहती है।
  3. अनुवांशिक -  पीढ़ियों से आर्थराइटिस की समस्या रही है तो आने वाली पीढ़ियों में भी यह समस्या देखी जा सकती है। 
  4. उम्र  - अधिक उम्र होने पर शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है जिससे हड्डियां कमजकर होने लगती हैं और जोड़ों में दर्द होता है। वृद्धावस्था ( 60 साल की उम्र या इससे अधिक) में गठिया होने की संभावना अधिक रहती है। 

अर्थराइटिस से बचाव

अर्थराइटिस जैसी बीमारी का बचाव करने के लिए कुछ तरीके अपनाना फायदेमंद हो सकता है। आर्थराइटिस से बचाव के लिए कुछ निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए: 

  1. जीवनशैली में बदलाव

    1. खान-पान: नियमित रूप से स्वस्थ आहार लेने पर हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत रहती हैं जिससे अर्थराइटिस से बचा जा सकता है। आर्थराइटिस से बचने के लिए कैल्शियम, आयरन, ओमेगा थ्री फैटी एसिड्स वाले भोजन लिए जा सकते हैं।
    2. वजन पर नियंत्रण: नियंत्रित वजन रखने से घुटनों पर दबाव कम पड़ता है जिससे अर्थराइटिस से बचा जा सकता है।
    3. मुद्रा का ध्यान रखें: एक ही स्थिति में लंबे समय तक बैठने से या खड़े होने से बचे क्योंकि इसकी वजह से जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या हो सकती है। 
  2. घरेलू उपाय 

    1. सिकाई: अर्थराइटिस के दर्द को कम करने के लिए गर्म या ठंडी सिकाई लाभदायक हो सकती है।‌
    2. घरेलू नुस्खे: गठिया से राहत पाने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे भी असरदार हो सकते हैं जैसे कि लहसुन, हल्दी वाला दूध, अदरक , मेथी दाने का सेवन किया जा सकता है। 
    3. मसाज: डॉक्टर रोगी को मसाज करने की सलाह दे सकते हैं क्योंकि इससे शरीर के जोड़ों का तनाव कम होता है। मसाज करने के लिए नारियल तेल, नीलगिरी का तेल या जैतून का तेल लिया जा सकता है।
    4. व्यायाम: शरीर के जोड़ो को लचीला और मजबूत बनाने के लिए व्यायाम करना फायदेमंद हो सकता है। कुछ व्यायाम जैसे योगासन, स्विमिंग, साइक्लिंग, इत्यादि करने से जोड़ों में दर्द नही होता है।

अर्थराइटिस का उपचार

अर्थराइटिस के कारण जब जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है और घरेलू उपायों से भी आराम नही मिल पाता है तो कुछ नॉन सर्जिकल उपचार जैसे दवाइयों और इंजेक्शन का सहारा लिया जाता है। नॉन सर्जिकल उपचार से भी यदि आर्थराइटिस के लक्षण कम नही होते हैं तो अंततः सर्जरी करके ही इसका उपचार किया जा सकता है। नॉन सर्जिकल और सर्जिकल उपचार निम्नलिखित हैं:

  1. नॉन सर्जिकल उपचार 

    1. दवाइयां: दर्द को और सूजन को कम करने के लिए कुछ दवाइयां डॉक्टर की सलाह से ली जा सकती हैं जैसे कि नेप्रोक्सीन, आइबूप्रोफेन, एस्पिरिन, नैबुमेटोन, एसेटामिनोफेन। ‌
    2. टॉपिकल पेन रिलीवर्स: कुछ टॉपिकल पेन रिलीवर्स जैसे क्रीम, स्प्रे और जेल में मेंथॉल होने से दर्द का एहसास कम होता है।
    3. इंजेक्शन: गठिया के दर्द को कम करने के लिए ऑर्थोपेडिक डॉक्टर कॉर्टिसोन इंजेक्शन भी लगा सकते हैं। 
  2. सर्जिकल उपचार 

    1. आर्थ्रोस्कॉपी - इसमें बहुत ही छोटा कैमरा इस्तेमाल किया जाता है जिसकी मदद से डॉक्टर जोड़ों में हुई खराबी को ठीक करते हैं। आर्थ्रोस्कॉपी की मदद से सर्जन डैमेज हुए कार्टिलेज और लिगामेंट को बाहर निकाल लेते हैं।   
    2. जॉइंट रिसर्फेसिंग - इस सर्जरी में जोड़ों के खराब हिस्से को निकाल कर वहां पर आर्टिफिशियल जोड़ लगाए जाते हैं।
    3. ऑस्टियोटमी - इस सर्जरी में जोड़ो की हड्डी को काटकर जोड़ों के संरेखण ( एलाइनमेंट ) को ठीक किया जाता है। 
    4. टोटल ज्वाइंट रिप्लेसमेंट - इस सर्जरी के अंतर्गत रोगी के खराब जोड़ों को पूरा निकालकर उनकी जगह आर्टिफिशियल जोड़ो को लगाया जाता है। 
    5. साइनोवेक्टोमी - जब जोड़ों की परत पर पाए जाने वाले सायनोवियम ऊतक में सूजन आ जाता है तो ऑर्थोपेडिक सर्जन द्वारा इसे निकाल लिया जाता है।  

गठिया के उपचार की लागत

भारत में गठिया की लागत कई कारकों के आधार पर भिन्न हो सकती है, जिसमें सर्जरी के प्रकार जैसे सर्जरी के प्रकार, अस्पताल या क्लिनिक जहां प्रक्रिया की जाती है, और स्थान शामिल हैं। यहां विभिन्न प्रकार की गठिया की लागत पर प्रकाश डालने वाली तालिका दी गई है:

सर्जरी का नाम सर्जरी की लागत
आर्थ्रोस्कॉपी ₹ 45000 - ₹ 200000
ऑस्टियोटमी ₹ 120000 - ₹ 180000
टोटल ज्वाइंट रिप्लेसमेंट ₹ 90000 - ₹ 300000
साइनोवेक्टोमी ₹ 10000 - ₹ 70000

 

सारांश

इस लेख में हमने समझा कि आर्थराइटिस जोड़ों की बीमारी है जिससे जोड़ों में सूजन हो जाता है और दर्द होता है। गठिया होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे अनुवांशिक कारण, चोट, ऑटोइम्यून विकार, उम्र इत्यादि। आर्थराइटिस से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली रखना आवश्यक होता है। गठिया के लक्षणों को कम करने के लिए घरेलू उपाय और नॉन सर्जिकल उपचार की सहायता ली जा सकती है। अगर आर्थराइटिस के कारण दैनिक जीवन बुरी तरह से प्रभावित होता है तो अंततः सर्जरी का सहारा लेना पड़ सकता है।

HexaHealth पर एक्सपर्ट सर्जन उपलब्ध जिनसे आप निशुल्क सलाह ले सकते हैं। अगर आप बेस्ट हॉस्पिटल या सर्जन खोज रहे हैं तो हेक्साहेल्थ की मदद से बेहतर हॉस्पिटल और डॉक्टर खोज सकते हैं। हम आपके सर्जरी के अनुभव को सुविधाजनक बनाने में मदद करते हैं। हमारे प्रशिक्षित हेक्साबडीज पेशेंट को हॉस्पिटल में भर्ती कराने में  और सभी कागजी कामों जैसे बीमा क्लेम करने में भी निशुल्क मदद करते हैं। इसके अलावा पेशेंट का ध्यान सर्जरी से रिकवर होने तक किया जाता है।

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

अर्थराइटिस होने के पीछे चोट लगना, असामान्य चयापचय (एबनॉर्मल मेटाबॉलिज्म), संक्रमण, मोटापा, खराब जीवनशैली और अनुवांशिक कारण हो सकते हैं। 

WhatsApp

अर्थराइटिस को ठीक करने के लिए  व्यायाम करना, ठंडी व गर्म सिकाई करना, संतुलित आहार लेना जैसे की मछली, ताजे फल और सब्जियां, फलियां आदि का सेवन मददगार हो सकता है। 

WhatsApp

गठिया की शुरुआत कई कारणों से होती है जैसे चोट लगने से, जोड़ों में संक्रमण होने से, ऑटोइम्यून की बीमारी होने से, खेल - कूद में अधिक सक्रिय रहने से, जोड़ों का अधिक इस्तेमाल करने से और कुछ अन्य कारणों से जोड़ों में दर्द रहने लगता है जिसे गठिया रोग कहते हैं। 

WhatsApp

गठिया रोग मुख्य रूप से कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से हो सकता है। आर्थराइटिस फाउंडेशन के अनुसार आयरन, मैग्नीशियम, कॉपर, क्रोमियम, सेलेनियम, फोलेट, सोडियम, विटामिन ए, विटामिन बी १, बी २, बी ३, बी ६, बी १२, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के और जिंक जैसे तत्वों की कमी से भी गठिया रोग हो सकता है।

WhatsApp

गठिया रोग के लिए दर्द और अकड़न को कम करने के लिए कुछ ओवर द काउंटर दवाएं जैसे कि आइबूप्रोफेन और नेप्रोक्सीन ली जा सकती हैं। इसके अलावा कुछ घरेलू उपाय भी अपनाए जा सकते हैं जैसे की गर्म दूध में हल्दी मिलाकर सेवन करने से जोड़ों का सूजन कम होता है। 

WhatsApp

ऑर्थोपेडिक डॉक्टर आर्थराइटिस के निदान के लिए कई तरह के जांच कर सकते हैं जो निम्नलिखित हैं: 

  1. खून, पेशाब से 
  2. जोड़ों के तरल पदार्थ से 
  3. एक्स-रे
  4. सीटी स्कैन
  5. एमआरआई
  6. अल्ट्रासाउंड
WhatsApp

गठिया के रोग का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ ब्लड टेस्ट करते हैं जैसे इराइथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट (ईएसआर), सी - रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी), फुल ब्लड काउंट, एंटी - साइक्लिक सिट्रूलिनेटेड (सीबीसी) और रूमेटाइड फैक्टर से आर्थराइटिस का पता लग सकता है। 

WhatsApp

वैसे तो अर्थराइटिस के 100 से भी ज्यादा प्रकार हो सकते हैं लेकिन कुछ मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं: 

  1. ओस्टियोआर्थराइटिस 
  2. संक्रामक अर्थराइटिस
  3. सोरियाटिक
  4. गाउट
  5. रिएक्टिव अर्थराइटिस
  6. रूमेटाइड अर्थराइटिस
  7. एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस 
  8. जुवेनाइल अर्थराइटिस
WhatsApp

गठिया रोग एक ऐसी बीमारी है जिसको पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। हालांकि सही इलाज से इस रोग के प्रभाव और लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसीलिए ऑर्थोपेडिक डॉक्टर रोगी को कुछ दवाइयां जैसे कि आइबुप्रोफेन, स्टीरॉयड इंजेक्शन लेने के साथ-साथ फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, व्यायाम करने की सलाह दे सकते हैं। 

WhatsApp

अर्थराइटिस का मतलब होता है  शरीर के एक या एक से अधिक जोड़ों में सूजन और जकड़न का आ जाना। आर्थराइटिस होने पर मरीज के जोड़ों में जलन का एहसास भी हो सकता है। 

WhatsApp

गठिया में ऐसे फल खाना फायदेमंद हो सकता है जिनमें विटामिन सी और सूजन को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं जैसे कि:  

  1. बेरीज़
  2. स्ट्रौबरी
  3. लाल रसबेरी
  4. एवोकाडो
  5. तरबूज
  6. अंगूर 
  7. जामुन
  8. संतरा 
WhatsApp

गठिया का दर्द शुरुआती समय में हल्का होता है जिसमें रोगी को जलन भी महसूस हो सकती है। जैसे-जैसे यह रोग पुराना होता जाता है वैसे - वैसे दर्द में भी तीव्रता हो सकती है। तेज दर्द के साथ-साथ पीड़ित व्यक्ति को जोड़ों में ऐठन और जकड़न का एहसास भी हो सकता है। 

WhatsApp

दूध में कैल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूती देता है। दूध में यदि वसा अधिक है तो इससे जोड़ों में सूजन होने की आशंका रहती है। इसलिए गठिया के मरीजों को कम वसा वाले दूध का सेवन करना चाहिए।

WhatsApp

लहसुन में सूजनरोधी गुण मौजूद होते हैं इसलिए लहसुन का इस्तेमाल गठिया में हुए सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। गठिया रोग के कारण जोड़ों में हुए सूजन को कम करने के लिए लहसुन की २-३ कलियां लेकर उन्हें छीलकर कच्चा या फिर पकाकर खाया जा सकता है। 

WhatsApp
Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Aman Priya Khanna

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES

12 Years Experience

Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More

लेखक

Pranjali Kesharwani

Pranjali Kesharwani

Bachelor of Pharmacy (Banaras Hindu University, Varanasi)

2 Years Experience

She is a B Pharma graduate from Banaras Hindu University, equipped with a profound understanding of how medicines works within the human body. She has delved into ancient sciences such as Ayurveda and gained valuab...View More

Book Consultation

Latest Health Articles

get the app
get the app