किडनी खराब होने के ये हैं 10 लक्षण, नजरअंदाज तो बिल्कुल न करें

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Written by Hexahealth Care Team, last updated on 7 September 2023| min read
किडनी खराब होने के ये हैं 10 लक्षण, नजरअंदाज तो बिल्कुल न करें

Quick Summary

  • Kidneys are bean-shaped organs that perform several important functions in the body. Each person has two kidneys. If one kidney fails, the other kidney can usually take over its functions.
  • Kidneys filter waste products and toxins from the blood. If they don't work properly, symptoms of kidney failure can develop, such as fatigue, frequent urination, and swelling.
  • Read on to learn more about the symptoms of kidney failure.

किडनी या गुर्दा शरीर के विभिन्न कार्यों में योगदान देता है। किडनी का आकार बीन (सेम) जैसा होता है। प्रत्येक व्यक्ति में २ किडनी होती हैं। अगर एक किडनी खराब हो जाए, तो दूसरी किडनी के साथ भी जीवित रहा जा सकता है।

किडनी के कई महत्वपूर्ण कार्य होते हैं। वे रक्त से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट को साफ करते हैं। यदि यह ठीक से काम न करें, तो किडनी खराब होने के लक्षण जैसे कि थकावट, बार-बार पेशाब आना आदि दिख सकते हैं। इन लक्षणों के बारे में जानने के लिए और पढ़ें।

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किडनी के कार्य

किडनी शरीर में पसलियों के नीचे, पीठ की ओर स्थित होती है। यह शरीर के अहम कार्यो में योगदान देती है।

ये अंग कई प्रकार के शारीरिक कार्य करते हैं।

  1. अपशिष्ट पदार्थों को हटाना - किडनी शरीर से खराब या अपशिष्ट पदार्थों को बाहर करने का कार्य करती है।
    किडनी खून को छानकरकर अपशिष्ट पदार्थों (बेकार पदार्थों) को यूरिन (पेशाब) के माध्यम से शरीर के बाहर निकाल देती है। 

  2. खनिज संतुलन - रक्त में पानी, नमक और खनिज-जैसे सोडियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस आदि स्वस्थ संतुलन बनाए रखना इसका अहम कार्य है। 

  3. रक्तचाप नियंत्रण - किडनी से निकलने वाले हॉर्मोन रक्तचाप को नियंत्रित रखते हैं।

  4. हड्डियों की मजबूती - कैल्सिट्रिऑल हार्मोन हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी को सक्रिय करता है।  

  5. लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण - किडनी एरिथ्रोपीटिन हॉर्मोन का उत्पादन कर लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद करती है।

किडनी खराब होने का मतलब

किडनी फेलियर या किडनी खराब होने का मतलब है कि किडनी का सही तरीके से काम ना करना होना है।
किडनी के फेल होन या तो कुछ समय के लिए होता है या फिर लंबे समय तक इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। समय पर इलाज न मिलने पर व्यक्ति की किडनी हमेशा के लिए खराब हो जाती हैं।

अगर किडनी की बीमारी का सही समय पर निदान न हो पाए, तो बिना इलाज के व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

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किडनी खराब होने के लक्षण

किडनी खराब होने की बीमारी के बारे में जल्दी लोगों को पता नहीं चल पाता है। क्रोनिक (पुरानी) किडनी रोग वाले केवल 10% लोगों को ही उनकी बीमारी की जानकारी होती है।
अक्सर किडनी फेल होने पर लोगों को इस बीमारी की जानकारी मिल पाती है। किडनी खराब होने के लक्षण है: 

  1. अधिक थकावट महसूस करना

    1. किडनी खराब होने के लक्षण में थकावट महसूस हो सकती है। 

    2.  व्यक्ति को हर समय कमजोरी भी महसूस करता है। इस कारण से उसे ध्यान केंद्रित करने में समस्या हो सकती है।

    3. गुर्दे या किडनी की बीमारी की अधिक बढ़ जाने के कारण एनीमिया हो सकता है। एनिमिया थकान और कमजोरी का कारण बन सकता है।

  2. त्वचा में सूखापन और खुजली

    1. किडनी शरीर से अपशिष्ट (बेकार) और तरल पदार्थों को बाहर निकालती है। यह रक्त में खनिज (मिनिरल) की सही मात्रा को बनाए रखने में मदद करती है।

    2. यदि रक्त में खनिज संतुलन ठीक नहीं रहता है, तो किडनी खराब होने के लक्षण में सूखी त्वचा और खुजली की समस्या पैदा हो जाती है।

  3. ठीक से नींद ना आना: किडनी खराब होने के लक्षण में नींद न आना भी शामिल है। 

    1. किडनी खराब होने से छानने की प्रक्रिया ठीक प्रकार से नहीं हो पाती है। 

    2. शरीर में अपशिष्ट पदार्थ इकट्ठा होते रहते हैं और यूरिन के माध्यम से बाहर नहीं निकल पाते हैं। इस कारण से व्यक्ति को नींद आने में समस्या महसूस होती है।

  4. बार-बार पेशाब लगना - किडनी खराब होने पर व्यक्ति को बार-बार पेशाब आ सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किडनी के फिल्टर (गुर्दे की छलनी) खराब हो जाता है।
    किडनी खराब होने के लक्षण में ये भी शामिल है।

  5. पेशाब से खून आना - जब किडनी खराब हो जाती है तो फिल्टर की प्रक्रिया ठीक से नहीं हो पाती है। इस कारण से पेशाब में रक्त (खून) कोशिकाओं का रिसाव शुरू हो जाता है।
    मूत्र त्यागने के दौरान रक्त भी आता है।

  6. पेशाब से झाग आना - मूत्र में अत्यधिक बुलबुले या झाग भी किडनी खराब होने के लक्षण में शामिल है। अत्यधिक झाग मूत्र में प्रोटीन का संकेत देता है।

  7. आंखों के आसपास सूजन - जब किडनी के फिल्टर खराब हो जाते हैं तो मूत्र में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। शरीर में प्रोटीन कम होने लगती है।
    इस कारण से किडनी खराब होने के लक्षण में आंखों के आसपास सूजन भी आ सकती है।

  8. पैरों और टखनों में सूजन - खाने में सोडियम(नमक) का अधिक इस्तेमाल शरीर के विभिन्न भागों में द्रव का निर्माण करता है।
    सोडियम प्रतिधारण (अधिक नमक का सेवन) के कारण पैरों और टखनों में सूजन हो सकती है।

  9. भूख न लगना - किडनी खराब होने के लक्षण में भूख न लगना भी शामिल है। ऐसा किडनी के कम काम करने के कारण होता है।
    शरीर में अपशिष्ट (बेकार) पदार्थ बढ़ते हैं और व्यक्ति को भूख नहीं लगती है।

  10. मांसपेशिययों में ऐंठन - मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या भी किडनी खराब होने का संकेत दे सकते हैं।

    1. ऐसा इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन का परिणाम हो सकता है।

    2. मांसपेशियों में ऐंठन इसलिए होती है क्योंकि किडनी खराब होने से कम कैल्शियम स्तर और खराब नियंत्रित फास्फोरस मांसपेशियों में समस्या पैदा कर सकते हैं।

किडनी खराब होने के क्या लक्षण है, इस जानकारी के बाद किडनी की बीमारी के विभिन्न चरणों के बारे में समझते हैं।

किडनी की बीमारी के कारण

किडनी खराब होने के लक्षण किसी व्यक्ति को जल्द दिख सकते हैं वहीं कुछ लोगों को आखिरी चरण में नजर आते हैं। इसके एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं।

  1. अन्य बीमारी

    1. पॉलीसिस्टिक किडनी रोग - किडनी में गांठ बनने की समस्या को पॉलीसिस्टिक किडनी रोग कहते हैं। इस समस्या के कारण भी किडनी खराब होने लगती है।

    2. ग्लोमेरुलर रोग - यह एक स्थिति है, जिसमें किडनी का भाग (ग्लोमेरुली) खराब होता है। इस कारण से भी किडनी खराब होने की समस्या होती है।

    3. दिल से संबंधी बीमारियां - यदि व्यक्ति को दिल की बीमारी है तो किडनी की बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है।

    4. यकृत की बीमारियां - लिवर या यकृत की बीमारी का इलाज न कराने पर भी किडनी की कार्यक्षमता पर बुरा असर पड़ता है।

  1. खराब जीवनशैली

    1. निर्जलीकरण - कम पानी पीने वाले व्यक्तियों में भी किडनी खराब होने का अधिक खतरा होता है।

    2. अधिक धूम्रपान - जब ज्यादा धूम्रपान किया जाता है तो बुरा असर किडनी पर भी पड़ता है।

    3. दर्द निवारक दवा लेना - लंबे समय तक दर्द निवारक दवाएं किडनी पर बुरा असर डालती हैं।

    4. अधिक नमक युक्त भोजन - खाने में अधिक सोडियम किडनी खराब होने का कारण बन सकता है।

  2. अन्य जोखिम कारक
    किडनी खराब होने की समस्या का सामना किसी भी व्यक्ति को करना पड़ सकता है। जिन व्यक्तियों को निम्नलिखित समस्याएं होती हैं, उनमें किडनी खराब होने की संभावना अधिक होती है।

    1. मधुमेह - रक्त में शर्करा की मात्रा नियंत्रित न होने से किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जिन लोगों को डायबिटीज या मधुमेह होती है उन लोगों की किडनीको खतरा रहता है।[१]

    2. उच्च रक्तचाप - जब व्यक्ति का रक्तचाप बढ़ता है तो किडनीपर बुरा प्रभाव पड़ता है।[१] 

    3. हृदय रोग - किसी कारण से हृदय का ठीक से काम न कर पाना किडनी के कार्यभार को बढ़ाता है।

    4. किडनी की बीमारी का पारिवारिक इतिहास - यदि परिवार में पहले से किसी को किडनी की बीमारी है तो व्यक्ति में किडनी की बीमारी की संभावना बढ़ जाती है।

    5. अधिक उम्र - ६०  साल से अधिक उम्र के बाद किडनी संबंधी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।

किडनी फेल होने के लक्षणों का प्रतिबंधन

जब किडनी खराब होने की समस्या हो जाती है तो इलाज से पहले कारण का पता लगाया जाता है। क्रॉनिक (पुरानी) किडनी की बीमारी का इलाज लंबे समय तक चल सकता है।

  1. दवाइयों

    1. किडनी खराब होने पर डॉक्टर मूत्रवर्धक दवाइयां देते हैं।

    2. कुछ दवाएं जैसे कि एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर (एआरबी) दवाइयां,स्टैटिन, एरिथ्रोपोइटिन-उत्तेजक एजेंट आदि लेने की सलाह दी जा सकती है। 

    3. डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवाइयों का सेवन करना चाहिए।

  2. डायलिसिस - जब किडनी काम करना बंद कर देती है तो डायलिसिस की मदद ली जाती है।

    1. डायलिसिस की प्रक्रिया की मदद से शरीर के रक्त को फिल्टर करने में मदद मिलती है।

    2. पेरिटोनियल डायलिसिस के दौरान पेट की ऊपरी  परत की मदद से म एक कैथेटर  डाली जाती है। पेरिटोनियल डायलिसिस घर में भी प्राप्त किया जा सकता है।

    3. हेमोडायलिसिस के अंतर्गत नियमित रूप से रक्त को साफ किया जाता है। सप्ताह में तीन से चार दिन हेमोडायलिसिस की प्रक्रिया की जाती है।

  3. किडनी ट्रांसप्लांट

    1. एक स्वस्थ्य किडनी की मदद से किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया पूरी की जाती है।

    2. किडनी प्रत्यारोपण के दौरान एक सर्जन क्षतिग्रस्त किडनी को हटाकर स्वस्थ्य किडनी लगाते हैं। 

    3. स्वस्थ्य किडनी जीवित या मृत दाता से मिलती है।

उपचार में देरी होने पर खतरा

किडनी खराब होने के लक्षण दिखने पर भी यदि इलाज न कराया जाए तो किडनी पूरी तरह से खराब हो सकती है।

  1. गुर्दे की क्षति का बढ़ना - गुर्दे की बीमारी के इलाज में देरी से स्थिति और खराब हो सकती है। यह किडनी को और अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।
    क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) या किडनी विफलता जैसी जटिलताओं को जन्म दे सकता है।

  2. हृदय संबंधी समस्याओं का बढ़ा जोखिम -  गुर्दे की बीमारी हृदय रोगों के बढ़ते जोखिम से निकटता से जुड़ी हुई है।
    उपचार में देरी करने से गुर्दे की बीमारी बढ़ने में योगदान हो सकता है। जिसके परिणामस्वरूप उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, स्ट्रोक और अन्य हृदय संबंधी जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है।

  3. सीमित उपचार विकल्प - प्रारंभिक पहचान और समय पर हस्तक्षेप गुर्दे की बीमारी को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए अधिक उपचार विकल्प प्रदान करते हैं।

  4. समग्र स्वास्थ्य पर प्रभाव - गुर्दे की बीमारी समग्र स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकती है।
    उपचार में देरी करने से थकान, कमजोरी, भूख न लगना और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसे लक्षण हो सकते हैं।

डॉक्टर से कब सलाह लें

शरीर में किसी प्रकार के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी हो जाता है।
अगर कुछ दिनों से उल्टी, थकान या फिर मांसपेशियों में ऐंठन महसूस हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर सलाह लेनी चाहिए।

  1. यदि व्यक्ति को मधुमेह की बीमारी है तो नियमित डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।

  2. उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों को भी डॉक्टर से समय-समय पर परामर्श करना चाहिए।

निष्कर्ष

किडनी खराब होने की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। किडनी खराब होने के लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो बड़ी समस्या से बचा जा सकता है।

सभी व्यक्तियों को शुरुआती चरण में किडनी खराब होने के लक्षण महसूस नहीं होते हैं। अगर इससे संबंधित अधिक जानकारी चाहिए तो आप  HexaHealth के विशेषज्ञ डॉक्टर निसंकोच जानकारी ले सकते हैं। आप बीमारी से संबंधित सवालों का जवाब पाकर मन की शंका को दूर कर सकते हैं।

अधिक पढ़ने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर जा सकते हैं

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अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

किडनी खराब होने के लक्षण में थकावट और कमजोरी सबसे आम लक्षण माना जाता है। व्यक्ति को ठीक से नींद भी नहीं आती है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर से अपशिष्ट पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते हैं।

जब  किडनी खराब होती है तो कुछ लक्षण भी दिख सकते हैं। किडनी खराब होने के लक्षण निम्न प्रकार हैं। 

  1. पेशाब के साथ झाग और खून आना

  2. कमजोरी लगना

  3. थकान

  4. नींद ना आना

  5. त्वचा में सूखापन और खुजली

  6. मांसपेशियों में ऐंठन

  7. बार-बार पेशाब आना

  8. पैरों और टखनों में सूजन

किडनी खराब होने के संकेत से मतलब शरीर में दिखने वाले विभिन्न प्रकार के लक्षणों से है। किडनी जब खराब होना शुरू होती है, तो किडनी खराब होने के लक्षण कम या फिर नहीं दिखते हैं।
लंबे समय से (क्रॉनिक) किडनी की बीमारी वाले व्यक्तियों में लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं।

किडनी खराब होने पर दर्द उस स्थान में महसूस होता है, जहां पर किडनी स्थित होती हैं। पीठ के मध्य के पास पसलियों के ठीक नीचे, रीढ़ के दोनों तरफ दर्द महसूस हो सकता है।

किडनी का दर्द केवल एक तरफ या पीठ के दोनों तरफ महसूस हो सकता है।

तीव्र गुर्दे की चोट या एक्यूट किडनी इंजरी में किडनी अचानक से खराब हो सकती है। ये कुछ घंटों या कुछ दिनों के भीतर होता है। एक्यूट किडनी इंजरी के लक्षण निम्नलिखित हैं।

  1. शरीर से बहुत कम मूत्र निकलना

  2. ऑटोइम्यून किडनी रोग

  3. एक मूत्र पथ बाधा 

  4. हृदय रोग या यकृत रोग

उपरोक्त लक्षण कम या अधिक भी हो सकते हैं। इस बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

क्रोनिक किडनी इंजरी के लक्षण से मतलब किडनी खराब होने पर नजर आने वाले लक्षणों से है। क्रोनिक किडनी इंजरी होने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं।

  1. अत्यधिक थकान 

  2. जी मिचलाना और उल्टी

  3. भ्रम या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी

  4. हाथों, टखनों या चेहरे के आसपास सूजन

  5. अधिक बार पेशाब करना

  6. मांसपेशियों में ऐंठन या खिंचाव

  7. सूखी या खुजली वाली त्वचा

  8. भोजन का स्वाद धातु की तरह लगना

किडनी खराब होने के लक्षण जानने के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं।

मूत्र परीक्षण: मूत्र परीक्षण की मदद से पेशाब में विशिष्ट पदार्थों को मापा जाता है।परिक्षण के माध्यम से पेशाब में प्रोटीन या रक्त की मात्रा का पता चलता है।

रक्त परीक्षण: रक्त परीक्षण के माध्यम से जानकारी मिलती है कि किडनी कितनी अच्छी तरह से रक्त से अपशिष्ट को कितनी हटाती है।

इमेजिंग परीक्षण: इमेजिंग परीक्षण की मदद से किडनी के आसपास के क्षेत्रों में असामान्यताओं या रुकावटों की पहचान करने में मदद मिलती है।

 किडनी खराब होने के लक्षण) शुरुआती स्टेज में दिखे, ये जरूरी नहीं है। कुछ लोगों को पांचवे चरण में किडनी खराब होने के लक्षण नजर आते हैं।

किडनी खराब होने के लक्षण कम करने के लिए खाने में कम नमक और सोडियम का इस्तेमाल करना चाहिए। आहार में प्रतिदिन २३०० मिलीग्राम से कम सोडियम होना चाहिए।
निम्न बातों का भी ध्यान रखें।

  1. खाने में मछली, फलियां, ताजी सब्जियां, फलया वसा रहित दूध, दही और पनीर का सेवन करें।

  2. कम फॉस्फोरस (ताजे फल और सब्जियां, मक्का और चावल के दाने) और पोटैशियम वाले खाद्य पदार्थों (सेब, आड़ू, गाजर, हरी बीन्स,सफेद ब्रेड और पास्ता,सफेद चावल) का सेवन करें।

  3.  किडनी के तीसरे से पांचवे चरण वाले व्यक्ति को एक दिन में २.४ ग्राम पोटैशियम का सेवन करना चाहिए।

  4. प्रोटीन खाद्य पदार्थों की मात्रा को कम खाएं। एक दिन में ०.८ ग्राम पर किलोग्राम (शरीर के वजन के अनुसार) लेना चाहिए। 

  5. डीप फ्राई करने के बजाय ग्रिल, ब्रोइल, बेक, रोस्ट या स्टिर-फ्राई फूड।

किडनी खराब होने के लक्षण को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं।

  1. ताजा और पोषण युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए।

  2. पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। 

  3. स्वस्थ्य जीवनशैली अपनानानी चाहिए। रोजाना योग या व्यायाम करना चाहिए।

  4. बुरी आदतें जैसे कि शराब व धू्म्रपान से दूर रहना चाहिए।

  5. डायबिटीज और बीपी को कंट्रोल रखना चाहिए।

किडनी खराब होने के लक्षण से बचने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए।

  1. स्वस्थ्य जीवनशैली अपनानी चाहिए।

  2. डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों को नियंत्रित रखना चाहिए।

  3. शराब और धूम्रपान से दूरी बनानी चाहिए।

  4. शरीर में विभिन्न प्रकार के  लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।

किडनी खराब होने के लक्षण को दूर करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाएं खाने की सलाह देते हैं।  

  1. मूत्रवर्धक दवाइयां विशेष रूप से खाने की सलाह दी जाती है।

  2. कुछ दवाएं जैसे कि एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर (एआरबी) दवाइयां दी जाती है।

  3. साथ ही स्टैटिन, एरिथ्रोपोइटिन-उत्तेजक एजेंट आदि का सेवन करना चाहिए।

बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं नहीं लेनी चाहिए।

किडनी खराब होने के लक्षण  से बचने के लिए अच्छी और स्वस्थ्य आदतें अहम भूमिका निभाती हैं।

  1. समय-समय पर रूटीन चेकअप कराएं ताकि बीमारी के शुरुआत में ही इलाज मिल जाए।

  2. ताजा भोजन खाने से कई परेशानियों से निजात मिलता है। 

  3. भोजन में  कम नमक, संतुलित खनिज आदि किडनी खराब होने के लक्षण से बचाने का काम करते हैं। 

  4. पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए।

जब किडनी खराब होने के लक्षण पता चलें तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर बीमारी के लक्षणों को जानने के बाद बीमारी का निदान करते हैं और इलाज के बारे में जानकारी देते हैं।

  1. दवाइयों के माध्यम से: डॉक्टर मरीज को मूत्रवर्धक दवाइयां जैसे कि  एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर (एआरबी) दवाइयां, स्टैटिन आदि खाने की सलाह दे सकते हैं।

  2. डायलिसिस की मदद से: शरीर के रक्त को फिल्टर करने में डायलिसिस मदद करता है। इससे किडनी खराब होने के लक्षण सुधरते हैं।

  3.   किडनी प्रत्यारोपण: जब किडनी पूरी तरह से खराब हो जाती हैं तोक्षतिग्रस्त किडनी को हटाकर स्वस्थ्य किडनी लगाई जाती है।

सन्दर्भ

हेक्साहेल्थ पर सभी लेख सत्यापित चिकित्सकीय रूप से मान्यता प्राप्त स्रोतों द्वारा समर्थित हैं जैसे; विशेषज्ञ समीक्षित शैक्षिक शोध पत्र, अनुसंधान संस्थान और चिकित्सा पत्रिकाएँ। हमारे चिकित्सा समीक्षक सटीकता और प्रासंगिकता को प्राथमिकता देने के लिए लेखों के संदर्भों की भी जाँच करते हैं। अधिक जानकारी के लिए हमारी विस्तृत संपादकीय नीति देखें।


  1. Cleveland Clinic. Kidney Failure: Symptoms, Causes, Tests and Treatment [Internet]. Cleveland Clinic. 2022.link
  2. National Kidney Foundation. 10 Signs You May Have Kidney Disease [Internet]. National Kidney Foundation. 2020.link
  3. Kidney Pain: Causes, Why kidneys hurt, and When to seek care | American Kidney Fund [Internet]. www.kidneyfund.org. 2021 [cited 2023 Jul 12].link
  4. National Kidney Foundation. Acute Kidney Injury (AKI) [Internet]. National Kidney Foundation. 2017.link
  5. National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases. Eating Right for Chronic Kidney Disease | NIDDK [Internet]. National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases. 2019.link

Updated on : 7 September 2023

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

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