Test Duration
30 Minutes
------ To ------59 Minutes
Test Cost
₹ 700
------ To ------₹ 4,000
इंसान के शरीर में बहुत सारे अंग है जिनकी जांच रक्त, या मूत्र परीक्षण से नहीं हो सकती। ऐसे में एक और परीक्षण है जो इन अंगो की स्थिति को चित्र रूप में दिखाता है।
सोनोग्राफी का मतलब अल्ट्रासॉउन्ड भी है। यह एक प्रशिक्षित सोनोग्राफर द्वारा किया जाता है। अल्ट्रासाउंड ध्वनि तरंगों का उपयोग से शरीर के अंदर की वास्तविक समय की तस्वीर दिखाता है। परिणाम प्राप्त करने में लगने वाला समय अल्ट्रासाउंड के प्रकार पर निर्भर करता है। अल्ट्रासॉउन्ड से जुड़ी विस्तार जानकारी के लिए हमारे साथ अंत तक जुड़े रहे।
वैकल्पिक नाम | अल्ट्रासोनोग्राफी, यूएसजी, अल्ट्रासाउंड |
आवश्यक शर्तें (उपवास आवश्यक आदि) | पेट के अल्ट्रासाऊंड के लिए उपवास की आवश्यकता है |
द्वारा परीक्षण किया गया | सोनोग्राफर |
पैरामीटर कवर किए गए | आंतरिक अंग, रक्त वाहिकाए, और अन्य ऊतकों की स्थिति का चित्रण |
रिपोर्ट समय | कुछ घंटों से १ दिन के भीतर |
सोनोग्राफी का मतलब एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड है। यह एक चित्रण परीक्षण है जिसके चित्र को सोनोग्राम कहते है। अल्ट्रासाउंड मे परीक्षण उच्च-आवृत्ति ध्वनि तरंगों का उपयोग कर आंतरिक संरचनाओं की तस्वीरें या वीडियो बनाता है।
अल्ट्रासाउंड बिना चीरा लगाए आपके शरीर के अंदर कोमल ऊतकों का विवरण चिकित्सक को दिखाता है। एक्स-रे के विपरीत, सोनोग्राफ़ी विकिरण का उपयोग नहीं करता है।
अल्ट्रासाउंड का मूल उद्देश्य शरीर अंदरूनी अंगों की स्थिति की जानकारी चित्र रूप में चिकित्सक को दिखाना है। यह जांच ऐसे अंगों के इमेज या वीडियो बनाता है जिनका अन्य परीक्षण से निदान नहीं हो पाता है। जैसे:
असामान्य गांठ या कैंसर के गांठ का निदान हो सकता है
शरीर में किसी रक्त नलिका में रक्त के थक्के हो तो उसका पता लगाया जा सकता है।
पित्ताशय और गुर्दे की पथरी की सही जगह, आकार, माप और विस्तार का पता लगाया जा सकता है।
पित्ताशय या प्लीहा में सूजन हो तो वह भी सोनोग्राफी से पता चलता है।
वृषण-शिरापस्फीति (वैरिकोसील) जिसमे वृषण की नसे सूझ जाती है, इस स्थिति का भी निदान हो सकता है।
अल्ट्रासाउंड के विशिष्ट फायदे इसके प्रकार के आधार पर भिन्न होते है। यह एक सुरक्षित परीक्षण है जिसमे विकिरण का खतरा नहीं है, नाही इसकी प्रक्रिया के दौरान कोई असुविधा होती है। इसके अलावा यह सटीक चित्रण देता है जिससे निदान और उपचार को योजना में मदद होती है। कुछ मुख्य प्रकार के अल्ट्रासाउंड के फायदे यहां दिए गए है।
अल्ट्रासाउंड की मदद से यकृत, गुर्दे या अग्न्याशय जैसे अंगों का प्रत्यारोपण किया जाता है।
अल्ट्रासाउंड के जरिए इनविट्रो निषेचन के दौरान भ्रूण स्थानांतरण करने में मदद करता है।
सम्मिलन के बाद अंतर्गर्भाशयी उपकरण (कॉपर टी और हार्मोनल आईयूडी) के स्थान की पुष्टि की जा सकती है।
अल्ट्रासाउंड शरीर के भिन्न भिन्न अंगों के जांच के लिए किया जाता है। इस आधार पर इसे कही प्रकार में विभाजित किया गया है। हर एक प्रकार अपने निर्माण के उद्देश्य को सटीक रूप से पूर्ण करता है। सोनोग्राफी टेस्ट की तीन मुख्य प्रकार हैं:
सोनोग्राफी क्या है ये समझने के बाद आप सोच रहे होंगे की इसके लिए क्या विशेष तैयारी करनी होगी। अल्ट्रासाउंड टेस्ट की तैयारी सोनोग्राफी के प्रकार पर निर्भर करती है। कुछ ऐसे सोनोग्राफी है जिनके लिए किसी तैयारी की अवश्यकता नही है। कुछ परीक्षण में तैयारी की जरूरत होती है। जैसे:
आपका चिकित्सक आपको अल्ट्रासाउंड की तैयारी के लिए जो भी जरूरी विशेष उपक्रम होंगे इसके बारे में बताएगा। इसीलिए हर हाल में जांच से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करे।
सोनोग्राफी के दौरान चिकित्सक ट्रांसड्यूसर को शरीर के एक हिस्से पर या शरीर के किसी नैसर्गिक छिद्र द्वारा अंदर डालते है। इसके उपयोग से पहले त्वचा पर जेल की एक पतली परत लगाई जाती है। इस जेल के माध्यम से अल्ट्रासाउंड के तरंगे ट्रांसड्यूसर के जरिए शरीर में संचारित होती है।
सोनोग्राफी टेस्ट विद्युत धारा को उच्च-आवृत्ति ध्वनि तरंगों में परिवर्तित कर शरीर के ऊतकों में भेजती है। यह ध्वनि तरंगें शरीर के अंदरूनी संरचनाओं से टकराकर वापस लौटती हैं। यह तरंगे विद्युत संकेतों में परिवर्तित की जाती हैं। फिर संगणक द्वारा इन विद्युत संकेतों के पैटर्न को वर्तमान की छवि या वीडियो में परिवर्तित किया जाता है।
अल्ट्रासाउंड के दौरान खुदको निम्न बातों के लिए तैयार रखे।
अक्सर अक्रामक जांच प्रक्रियाओं के बाद देखभाल की अवश्यकता होती है। लेकिन अल्ट्रासाउंड एक सुरक्षित प्रक्रिया है। इस समान्य से परीक्षण है जिसमे न एनेस्थीसिया का उपयोग होता है न कोई सुई इस्तेमाल होती है। इसमें केवल जेल का इस्तेमाल होता है। इस वजह से इस परीक्षण के बाद किसी भी खास देखभाल की अवश्यकता नही होती है।
आप इस टेस्ट के बाद अपना नियमित रूटीन कार्य कर सकते है। अगर कुछ देखभाल की अवश्यकता किसी बीमारी के वजह से होती है, तो इसकी सविस्तार जानकारी आपको चिकित्सक द्वारा दी जाती है।
सोनोग्राफी या अल्ट्रासाउंड टेस्ट के परिणाम उसके प्रकार पर निर्भर करता हैं। आपके सोनोग्राफी के परिणाम के क्या मायने है यह आपका चिकित्सक बेहतर समझा सकता है। इस टेस्टव्के परिणाम को दो श्रेणी में विभाजित किया जा सकता है।
इस श्रेणी में अल्ट्रासाउंड के परिणाम सामान्य होते है। जैसे:
गर्भावस्था
अगर आप गर्भवती है तो सोनोग्राफी के परिणाम आपको शिशु के विकास से जुड़ी हुई जानकारी देता है। [२]
इस श्रेणी में अल्ट्रासाउंड के परिणाम असामान्य होते है।
अगर आपने शरीर के अन्य अंगो का अल्ट्रासाउंड कराया है तो निम्न लिखित चिकित्सीय स्थितियों का निदान हो सकता है।
गांठ
रक्त के थक्के
प्लीहा का सूजन
पित्ताशय की पथरी
रक्त वाहिकाओं की बीमारी
किडनी की पथरी
अस्थानिक गर्भावस्था
वृषण की सूजी नसे
सोनोग्राफी टेस्ट के परिणाम सामान्य नहीं होने पर आपको अन्य यूएसजी अल्ट्रासाउंड सहित अधिक परीक्षणों की सलाह दी जा सकती है।
सोनोग्राफी के बाद जिस स्थिति या बीमारी का निदान होता है, उसके हिसाब से उपचार की योजना बनाई जाती है। अलग अलग बीमारियों का इलाज भिन्न हो सकता है। चिकित्सा कौनसी, कैसे और कब तक देनी है यह आपके लक्षण, और बीमारी के आधार पर आपका चिकित्सक तय करता है। जैसे:
सोनोग्राफी का मतलब कोई चीरेवाली प्रक्रिया नही है, जिससे जोखिम का खतरा हो। सोनोग्राफी टेस्ट बाहरी रूप से त्वचा पर किया जानेवाला जांच है, जो आमतौर पर बिलकुल भी दर्द नही करता।
जिन ध्वनि तरंगों के उपयोग यूएसजी अल्ट्रासाउंड में होता है आपको वह महसूस नहीं होते है। लेकिन
असुविधा - श्रोणी के सोनोग्राफी जिसमे मूत्राशय पूरा भरा होना जरूरी है इसमें थोड़ी सी असुविधा हो सकती है।
लेटने में दिक्कत - गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को मेज पर लेटने और उठने में दिक्कत हो सकती है।
दबाव और दर्द - योनि और मलाशय के अंदर प्रोब डालकर किए जानेवाले अल्ट्रासाउंड थोड़े से असुविधाजनक हो सकते है, पर इनसे कोई चोट नहीं पहुंचती।
जहा तक तरंगो की बात है, तो अल्ट्रासाउंड की तरंगे भी किसी प्रकार की हानि नहीं करती है। यहा एक्स-रे की तरह आयनीकरण विकिरण का उपयोग नहीं होता है इसीलिए यह एक्स-रे की तुलना में अधिक सुरक्षित भी है। इसके सुरक्षित होने के कारण इसे गर्भावस्था के दौरान अजन्मे बच्चे को देखने के लिए भी व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है।
लेकिन कुछ दुर्लभ स्थिति में, यह शरीर के द्रव और ऊतकों को प्रभावित कर सकता है। इसीलिए अधिकांश चिकित्सक इस जांच का उपयोग केवल महत्वपूर्ण चिकित्सा जानकारी के लिए करने की सलाह देते है।
भिन्न प्रकार के अल्ट्रासाउंड की कीमत अलग अलग होती है। छोटे शहर से बड़े शहर में, एक शहर से दूसरे शहर में और एक प्रयोगशाला से दूसरे प्रयोगशाला में कीमत अलग होती हैं। आम तौर पर सोनोग्राफी टेस्ट की कीमत ₹ ₹७०० से ₹४००० के बीच हो सकती है।
निम्न कारक इस परीक्षण के मूल्य को प्रभावित कर सकते है। जैसे
अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी एक साधारण, सुरक्षित और प्रभावी चित्र परीक्षण हैं। इसकी जरूरत कब है और कैसे करना है यह एक चिकित्सक निर्धारित करते है। जरूरी है के आप परिणित और प्रशिक्षित सोनोग्राफर से सोनोग्राफी टेस्ट कराए।
इस लेख से आप अल्ट्रासाउंड क्या है, कैसे और क्यों की जाती है यह विस्तार रूप से जान गए होंगे। यदि आप सोनोग्राफी से जुडी और भी जानकारी जानना चाहते है, या सोनोग्राफी पाठ्यक्रम विवरण जानना चाहते है तो HexaHealth आपको सही सलाह देने के लिए तत्पर है। HexaHealth कैसे मदद कर सकता है ये जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे।
सोनोग्राफी का मतलब एक चित्र परीक्षण है जो ध्वनि तरंगों का उपयोग कर शरीर के अंदर के अंग, ऊतक और अन्य संरचनाओं की इमेज बनाता है। इसके जरिए चिकित्सक बिना किसी चीर फाड़ के आपके शरीर के अंदर की वर्तमान स्थिति को दिखाता है। सोनोग्राफी को अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी भी कहते है।
सोनोग्राफी का मतलब ऐसी जांच है जिसमे कुछ आम और चिकित्सीय स्थितियों का पता चलता है। जैसे
गर्भावस्था के दौरान शिशु के स्वास्थ्य और विकास के निगरानी के लिए
शिशु के विकास जानने के लिए
भ्रूण या शिशु में जन्मजात दोष को जानने के लिए
गर्भावस्था से जुडी समस्या जैसे बच्चे की नाल की स्थिति देखने के लिए
इसके अलावा भी कोमल ऊतक, जैसे अंग, ग्रंथियां और रक्त वाहिकाओं की विभिन्न प्रकार की चिकित्सीय स्थितियों का होना भी पता चलाता है।
आम तौर पर ट्रांसवेजाइनल सोनोग्राफी, महिला की श्रोणि, गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय को देखने के लिए की जाती है।
सामान्य और असामान्य दोनों गर्भधारण में ट्रांसवेजाइनल सोनोग्राफी विभिन्न भ्रूण विकास के निशान जैसे, गर्भाशय, जर्दी थैली, शिशु के हृदय गति, सीआरएल लंबाई और शिशु की शारीरिक संरचना को दिखाता है।
सोनोग्राफी का प्रकार के आधार पर उसे करने का तरीका भिन्न हो सकता है। लेकिन आम तौर पर अधिकांश अल्ट्रासाउंड में निम्न चरण होते है।
इस जगह पर एक विशिष्ट जेल लगाकर, उस पर ट्रांसड्यूसर नाम का उपकरण घुमाया जाता है।
इस उपकरण के जरिए शरीर में ध्वनि तरंगें भेजी जाती है, जो जेल के जरिए शरीर में प्रवेश करती है।
शरीर की संरचनाओं से टकराकर जो प्रतिध्वनि निकलती है उसे संगणक छवियों में बदल देता है।
आम तौर पर अल्ट्रासाउंड परीक्षा किसी तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन अगर कोई बात ध्यान रखनेवाली हो तो वह आपको चिकित्सक बताएगा। जैसे:
श्रोणी के सोनोग्राफी के लिए भरपूर पानी पीना आवश्यक है और अल्ट्रासाउंड पूरा होने तक पेशाब रोकना आवश्यक है।
अन्य सोनोग्राफी के लिए, जांच से पहले कुछ घंटों तक उपवास करने की जरूरत हो सकती है।
सोनोग्राफी के दौरान इन अंगो के चित्र लिए जा सकते है
गर्भाशय
गर्भाशय नलिका
अंडकोश
पौरुषग्रंथि
गर्भ में बढ़ रहा भ्रूण या शिशु
मूत्त्राशय
गुर्दे
स्तन
थायरॉइड
योनि
जिगर
वृषण थैली
मस्तिस्क
हृदय
प्लीहा
सोनोग्राफी एक सुरक्षित और प्रभावशाली जांच है। इसमें इस्तेमाल होनेवाली ध्वनि तरंगे काफी उच्च होती है इसलिए ये आपको महसूस नहीं होती है। इसे जांच को करने से पहेले जेल लगाया जाता है जिसकी वजह से थोड़ा चिप चिप लग सकता है। हालांकि सोनोग्राफी के दौरान कोई दर्द नही होता है।
सोनोग्राफी के नतीजे प्राप्त करने में लगने वाला समय सोनोग्राफी के प्रकार पर निर्भर करता है। कुछ प्रकार में, जैसे कि प्रसवपूर्व सोनोग्राफी, परीक्षण के दौरान नतीजे प्रदान कर सकता है।
अन्य कुछ मामलों में, प्रशिक्षित चिकित्सक अल्टासाउंड छावियों विश्लेषण करे और फिर परिणाम भेजेगा।
सोनोग्राफी के नतीजे उसके प्रकार के आधार पर अलग अलग होते है। इसीलिए सोनोग्राफी के नतीजों को समझने अपने रिपोर्ट को चिकित्सक को दिखाए। सोनोग्राफी के नतीजों का सही मतलब आपको चिकित्सक समझा सकते है।
भिन्न प्रकार सोनोग्राफी की कीमत अलग अलग होती है। अल्ट्रासाउंड की कीमत ₹ ७०० से ₹ ४००० के बीच होती है।
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