Test Duration
5 Minutes
------ To ------10 Minutes
Test Cost
₹ 199
------ To ------₹ 500
हमारे शरीर में हृदय बहुत अहम अंग है। बदलती जीवनशैली के कारण हृदय संबंधित समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। अचानक से हृदय गति का बढ़ जाना, छाती में दर्द आदि समस्याएं गंभीर बीमारी की ओर इशारा कर सकती हैं। समय पर यदि जांच कराई जाए है तो भविष्य में कई गंभीर समस्याओं से बचने में मदद मिलती है।
जब हृदय में किसी प्रकार की समस्या या बीमारी होती है तो हृदय की विद्युत गतिविधि बदलने लगती है। इसकी जांच के लिए ईसीजी टेस्ट किया जाता है। आइए समझते हैं की ईसीजी टेस्टक्या है और यह ह्रदय की बीमारियों का पता कैसे लगाता है।
वैकल्पिक नाम | ईकेजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) |
आवश्यक शर्तें |
|
परिक्षण किया जाता है | कार्डियोलॉजिस्ट या प्रशिक्षित डॉक्टर द्वारा |
उद्देश्य |
|
रिपोर्ट समय | उसी दिन |
Download our App today to plan your surgery seamlessly and stress-free!
जब हृदय ठीक तरह से कार्य नहीं करता है तो उसकी विद्युत गतिविधि में दिक्कत शुरू हो जाती है। गड़बड़ी का पता लगाने के लिए छाती और शरीर के कुछ अंगों पर अस्थायी इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल किया जाता है। इसे ही ईसीजी टेस्ट कहते हैं।
हृदय से गुजरने वाली विद्युत तरंगों की जांच ईसीजी मशीन की मदद से की जाती है। टेस्ट के दौरान एक तरंग की कम्प्यूटर के माध्यम से व्याख्या की जाती है। इसे एक कागज में दर्शाया जाता है जिसे ईसीजी स्ट्रिप कहते हैं। कुछ ही समय में हो जाने वाले इस टेस्ट से किसी भी प्रकार का दर्द या दिक्कत नहीं होती है। ईसीजी टेस्ट के माध्यम से हृदय के अच्छे या बुरे स्वास्थ्य के बारे में पता चलता है।
ह्रदय की बीमारियों के कारण व्यक्ति को असहजता महसूस होने लगती है। ईसीजी टेस्ट की मदद से कुछ बीमारियों के बारे में जानकारी मिल सकती है। निम्नलिखित ह्रदय संबंधित समस्याएं ईसीजी टेस्ट की मदद से पता चल जाती हैं:
एरिथमिया या अतालता - जब हृदय की लय ठीक प्रकार से काम नहीं करती है तो अतालता की बीमारी हो जाती है। हृदय की धड़कन अनियमित हो सकती है। ईसीजी के माध्यम से इस बारे में जानकारी मिल जाती है।
हृदय धमनी रोग - हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है। इसे हृदय की धमनी का रोग हो जाता है। कोलेस्ट्रॉल के कारण हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियां संकीर्ण हो जाती हैं।
हृदय की विफलता या खराबी - रक्त की पम्पिंग न हो पाने पर हृदय विफल हो जाता है। ईसीजी टेस्ट की मदद से इस बारे में जानकारी मिलती है।
हृदय कक्ष का बढ़ना - अधिक रक्तचाप, दिल की धमनी का रोग आदि के कारण हृदय कक्ष बढ़ जाते हैं। ईसीजी की मदद से इसकी जानकारी मिलती है।
हृदय का दौरा - हृदय की विद्युत गतिविधि में असामान्यताओं की जांच और पिछले दिल के दौरे का जानकारी ईसीजी टेस्ट की मदद से मिल जाती है।
पेसमेकर की जानकारी - हृदय में कृत्रिम उपकरण या पेसमेकर इसके कार्यों को बेहतर ढंग से करने में मदद करता है। ईसीजी की मदद से उसके सही से कार्य करने की जानकारी मिलती है।
हृदय से संबंधित एक नहीं बल्कि बहुत सी बीमारियों का पता ईसीजी टेस्ट से चल जाता है। इसके निम्नलिखित फायदे होते हैं:
एरिथमिया का निदान - जब हृदय की धड़कन अनियमित हो जाती है तो व्यक्ति को घबराहट महसूस होती है। ईसीजी टेस्ट की मदद से एरिथमिया का कारण क्या है, इसकी जानकारी मिलती है।
छाती में दर्द - छाती में दर्द के कई कारण हो सकते हैं। दर्दहृदय की समस्या से जुड़ा है या फिर नहीं, ईसीजी टेस्ट की मदद से स्पष्ट हो जाता है।
सर्जरी के बाद देखरेख - हृदय की सर्जरी होने के बाद वह ठीक तरह से काम कर रहा है या नहीं, ईसीजी टेस्ट की मदद से पता चल जाता है।
कम समय में जांच - जांच के लिए व्यक्ति को लंबा इंजतार नहीं करना पड़ता है। इस परिक्षण को करने में पांच से दस मिनट का समय लगता है।
आसान प्रक्रिया - ईजीसी टेस्ट एक आसान परिक्षण है। इसे करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर की जरूरत नहीं होती है। इसे नर्स भी कर सकती हैं।
सस्ता परिक्षण - हृदय की जांच करने वाला ये परिक्षण सस्ता है। इस टेस्ट का न्यूनतम मूल्य ₹ १९९ से शुरू है।
नॉन-इनवैसिव परिक्षण - इस परिक्षण के दौरान किसी भी प्रकार के चीरे या कट की जरूरत नहीं होती है। केवल छाती में इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं।
आसानी से उपलब्धता - ईजीसी टेस्ट अधिकांश क्लीनिक, सभी छोटे नर्सिंग होम, अस्पताल आदि में आसानी से हो जाता है। ये पोर्टेबल ईसीजी के रूप में भी उपलब्ध है।
हृदय संबंधित समस्या होने पर व्यक्ति को किसी भी समय दिल की धड़कन बढ़ने या असहज महसूस हो सकता है। डॉक्टर व्यक्ति के लक्षण जानने के बाद विभिन्न प्रकार के ईसीजी टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।
जब व्यक्ति को बिना किसी व्यायाम या फिर गतिविधि के ही असहज महसूस होता है, तो रेस्टिंग ईसीजी कराने की सलाह दी जाती है। टेस्ट से हृदय की लय और विद्युत गतिविधि पता चलती है।
जब व्यक्ति तेजी से कोई कार्य कर रहा होता है तो शरीर में रक्त का बहाव बढ़ जाता है। तभी डॉक्टर हृदय की गतिविधी जांचते हैं। स्ट्रेस टेस्ट की मदद से भविष्य में होने वाले दिल का दौरा और हृदय में रुकावट या ब्लॉकेज की जानकारी मिलती है।
पोर्टेबल रिकॉर्डिंग डिवाइस की मदद से एंबुलेटरी ईसीजी की जाती है। टेस्ट के वक्त निम्न प्रक्रिया को अपनाया जाता है:
जिन लोगों को हृदय का दौरा पड़ चुका है उन्हें एंबुलेटरी ईसीजी टेस्ट कराने की सलाह दी जा सकती है|
ये एक कम समय में होने वाला सामान्य परिक्षण है। ईसीजी टेस्ट कराने से पहले किसी खास प्रकार की तैयारी की जरूरत नहीं होती है।
आपको जिस दिन भी ईसीजी टेस्ट कराना है, उस दिन उपवास रखने की जरूरत नहीं है।
बेहतर होगा कि कैफीन युक्त चीजें ना खाएं।
छाती में इलेक्ट्रोड लगाने के लिए साफ और सूखी त्वचा की जरूरत पड़ती है। तेल का इस्तेमाल ना करें।
अस्पताल में ढीला शर्ट या टीशर्ट पहना जा सकता है। इन्हें उतारने में आसानी रहती है।
शरीर में किसी भी प्रकार का जेल या फिर कंडीशनर क्रीम आदि का उपयोग ना करें।
अगर आप पहले से कोई दवा का सेवन कर रहे हैं तो डॉक्टर को जानकारी जरूर दें।
ईसीजी टेस्ट की प्रक्रिया कुछ ही समय में पूरी हो जाती है। इसे करने में १० से ३० मिनट का समय लग सकता है। परिक्षण की प्रक्रिया में:
डॉक्टर सबसे पहले मरीज से उसकी तबीयत के बारे में जानकारी लेते हैं।
इसके बाद छाती में इलेक्ट्रोड लगाने के लिए ऊपर के कपड़े हटाने को कहा जाता है।
डॉक्टर जरूरत पड़ने पर छाती के बालों को हटा सकते हैं। इसके बाद इलेक्ट्रोड को छाती में चिपकाया जाता है।
महिला के ब्रा में यदि अंडरवायर है तो ईसीजी की रेटिंग में समस्या पैदा हो सकती है। ऐसे में इसे भी हटाने की सलाह दी जा सकती है।
डॉक्टर छाती, बाहों और पैरों की त्वचा पर चिपकने वाले पैड की मदद से 12 इलेक्ट्रोड लगाएंगे।
स्ट्रेस टेस्ट के दौरान ट्रेडमिल में कुछ मिनट तक चलाया जाता है।
रिकॉर्डिंग कुछ समय बाद हो जाती है।
कंप्यूटर हृदय से गुजरने वाले विद्युत आवेगों को ग्राफ के रूप में पेपर में दर्शाता है।
ईसीजी टेस्ट के सरल देखभाल के चरणों को समझने से आपको आराम से ठीक होने में मदद मिल सकती है। देखभाल में शामिल हैं:
आराम - ईसीजी परीक्षण के बाद, आराम करने और आराम करने के लिए कुछ समय निकालें। ज़ोरदार गतिविधियों से बचें.
साइट की निगरानी करें - जलन या लालिमा के किसी भी लक्षण के लिए ईसीजी इलेक्ट्रोड साइट पर नज़र रखें।
हाइड्रेटेड रहें - हाइड्रेटेड रहने के लिए पानी पिएं, जो इलेक्ट्रोड की चालकता में मदद कर सकता है।
दवाएँ फिर से शुरू करें - जब तक आपके स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा अन्यथा सलाह न दी जाए, तब तक अपनी निर्धारित दवाएँ लेना जारी रखें।
शराब और कैफीन से बचें - परीक्षण के बाद कुछ घंटों तक शराब और कैफीन को सीमित करें या उससे बचें, क्योंकि वे हृदय गति को प्रभावित कर सकते हैं।
टेस्ट की रिपोर्ट कुछ ही समय बाद आ जाती है। डॉक्टर टेस्ट रिपोर्ट की व्याख्या कर परिणाम के बारे में जानकारी देते हैं।
ईसीजी रिपोर्ट यदि सामान्य है तो यह हृदय की सामान्य विद्युत गतिविधि को दर्शाती है। इसका अर्थ ये है कि हृदय ठीक तरीके से काम कर रहा है।
व्यक्ति में सामान्य विश्राम हृदय गति ६० से १०० बीट प्रति मिनट होती है।
जबईसीजी के परिणाम असामान्य होते हैं तो इसके कई संबंधित कारण हो सकते हैं। ईसीजी टेस्ट के नतीजों का ठीक ना आना हृदय की कई समस्याओं से जुड़ा हो सकता हैं:
हृदय की लय की अनियमिता बहुत तेज या बहुत धीमी हो सकती है।
व्यक्ति को पहले कभी हृदय का दौरा पड़ चुका है।
हृदय की दीवारें मोटी हो रही हैं।
हृदय को पर्याप्त रक्त नहीं पहुंच पा रहा है।
हृदय की विफलता के बारे में जानकारी मिलती है।
अगर ईसीजी का टेस्ट आज सामान्य नहीं आया है तो डॉक्टर अन्य टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। यदि हृदय में ब्लॉकेज की समस्या है तो निदान के लिए एंजीयोग्राफी की सलाह दी जा सकती है। ईसीजी परीक्षण के बाद, निम्नलिखित उपचार शामिल हो सकते हैं:
जीवनशैली में बदलाव - जीवनशैली में बदलाव करें जैसे दिल के लिए स्वस्थ आहार अपनाना, नियमित व्यायाम करना, धूम्रपान छोड़ना और तनाव कम करना।
दवा समायोजन - यदि आवश्यक हो, तो आपका डॉक्टर किसी भी पहचानी गई हृदय समस्या के प्रबंधन के लिए आपकी दवाओं को समायोजित कर सकता है।
नियमित निगरानी - अपनी स्वास्थ्य देखभाल टीम की सलाह के अनुसार अनुवर्ती नियुक्तियों में भाग लेकर और समय-समय पर ईसीजी परीक्षण कराकर अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।
ईसीजी टेस्ट पूरी तरह से सुरक्षित होता है। इस टेस्ट के दुष्प्रभाव न के बराबर होते हैं। कुछ व्यक्तियों को निम्नलिखित दुष्रभाव हो सकते हैं:
एलर्जी - इलेक्ट्रोड लगाए जाने के दौरान इस्तेमाल होने वाले चिपचिपे पदार्थ से कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है। इस कारण से त्वचा में लालिमा आ सकती है।
जलन - जब इलेक्ट्रोड चिप को हटाया जाता है तो उस स्थान पर थोड़ी जलन महसूस हो सकती है। यह जलन कुछ देर बाद ठीक भी हो जाती है।
ईसीजी टेस्ट की कीमत ₹ १९९ से ₹ ५०० तक हो सकती है। ये टेस्ट कार्डियोलॉजिस्ट की मदद से आसानी से कराया जा सकता है। टेस्ट की कीमत अस्पताल और स्थान पर काफी हद तक निर्भर करती है। कुछ कारक ईसीजी टेस्ट की कीमत में अंतर ला सकते हैं:
अस्पताल का चयन - अस्पताल द्वारा दी जा रही विभिन्न सेवाओं और उसके निजीकरण के कारण टेस्ट की कीमत बढ़ जाती है। यदि सरकारी अस्पताल का चयन किया जाता है तो कीमत थोड़ी कम हो जाती है।
रोगी का बीमा कवरेज - बीमारियों और परिक्षणों के अधिक खर्चें से बचने के लिए लोग सालाना बीमा कवरेज लेते हैं। कुछ कवरेज में टेस्ट या परिक्षण भी शामिल होते हैं। ऐसे मेंईसीजी टेस्ट की कीमत में अंतर आ सकता है।
बेहतर रखरखाव - जब लैब के उपकरणों का बेहतर रखरखाव किया जाता है तो ऐसे में लैब कीमतों में कुछ बढ़ोत्तरी करती है।लैब के शोधकार्ताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था भी टेस्ट की कीमत में इजाफा कर सकती है।
टेस्ट | कीमत |
ईसीजी टेस्ट | ₹ १९९ से ₹ ५०० |
ईसीजी टेस्ट की मदद से हृदय की बीमारियों के संबंध में जानकारी मिलती है। ये टेस्ट हृदय की सभी बीमारियों का निदान नहीं करता है। यह टेस्ट बिना किसी दर्द के कुछ ही समय में हो जाता है। डॉक्टर ईसीजी टेस्ट को नियमित जांच के रूप में भी कराने की सलाह देते हैं।
यदि टेस्ट का परिणाम असामान्य है तो जरूरी नहीं है कि व्यक्ति को कोई गंभीर बीमारी ही हो। डॉक्टर से इस बारे में जानकारी जरूर लेनी चाहिए। अक्सर लोग ईसीजी टेस्ट कराने से पहले घबरा जाते हैं। उन्हें लगता है कि किसी गंभीर बीमारी की जानकारी के लिए डॉक्टर ने उन्हें यह टेस्ट कराने की सलाह दी है।ऐसा बिल्कुल नहीं है|
अगर आपके मन में इस टेस्ट को लेकर शंकाएं हैं तो आप HexaHealth के एक्सपर्ट से संपर्क कर सकते हैं। हम आपको ईसीजी टेस्ट के संबंध में सभी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करेंगे।
Download our App today to plan your surgery seamlessly and stress-free!
Click here for Android and Click here for iPhone
MPV Blood Test in Hindi |
HCT Blood Test in Hindi |
CBC Test in Hindi |
CA 125 Test in Hindi |
जब हृदय में किसी प्रकार की समस्या होती है तो विद्युत गतिविधि में परिवर्तन होता है। ईसीजी टेस्टकी मदद से निम्नलिखित जानकारी मिलती है:
हृदय की विद्युत गतिविधि निगरानी की जाती है।
यदि हृदय की धड़कन असामान्य (तेज या धीमे) है तो ईसीजी टेस्ट से जानकारी मिल जाती है।
हृदय संबंधित विभिन्न प्रकार की स्थितियों के बारे में भी ईसीजी टेस्ट से पता चल जाता है।
ईकेजी टेस्ट या ईसीजी टेस्ट का पूर्ण रूप इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम होता है। इस टेस्ट की मदद से हृदय की विद्युत गतिविधि की जानकारी मिलती है। साथ ही वर्तमान या भविष्य में हृदय से संबंधित बीमारियों के बारे में पता चलता है।
हृदय की विभिन्न प्रकार की समस्याओं की जानकारी इस टेस्ट की मदद से मिलती है। इस टेस्ट से
अनियमित धड़कन का पता चलता है।
छाती में दर्द की समस्या का कारण स्पष्ट होता है।
हृदय का दौरा या फिर हृदय के विफल होने की जानकारी ईसीजी टेस्ट के माध्यम से आसानी से मिल जाती है।
व्यक्ति का हृदय ठीक तरह से काम कर रहा है या नहीं, इसकी जांच के लिए ईसीजी टेस्ट की जरूरत पड़ती है। हृदय की बीमारी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर इसे कराने की सलाह दे सकते हैं।
नहीं, ईसीजी टेस्ट की मदद से अवरुद्ध धमनियों के लक्षणों की पहचान हो सकती है। हार्ट ब्लॉकेज की जानकारी के लिए डॉक्टर अन्य परिक्षण जैसे कि सीटी एंजियोग्राफी कराने की सलाह देते हैं।
जब डॉक्टर को व्यक्ति में हृदय से संबंधित कुछ समस्याओं के लक्षण दिखते हैं तो वो ईसीजी टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं, जैसे की :
छाती में दर्द की शिकायत
हृदय की धड़कन का अचानक से बढ़ना
चक्कर आना
थकान
सांस लेने में समस्या
व्यक्ति की जांच के बाद डॉक्टर तय करते हैं कि किस प्रकार का ईसीजी करने की जरूरत है। ये टेस्ट मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं:
रेस्टिंग ईसीजी - मरीज को सीधा लिटाने के बाद उसकी छाती में इलेक्ट्रोड लगाएं जाते हैं। फिर हृदय की विद्धुत तरंगों की माप की जाती है।
स्ट्रेस टेस्ट - स्ट्रेस टेस्ट के दौरान व्यक्ति को ट्रेडमिल पर चलाया जाता है। साथ ही देखा जाता है कि उसका हृदय ठीक से काम कर रहा है या नहीं।
एंबुलेटरी ईसीजी - पोर्टेबल रिकॉर्डिंग डिवाइस की मदद से एंबुलेटरी ईसीजी टेस्ट किया जाता है।
इस टेस्ट की प्रक्रिया बहुत आसान होती है और कुछ ही समय में यह पूरा हो जाता है। टेस्ट के दौरान निम्नलिखित प्रक्रिया की जाती है:
सबसे पहले छाती के बालों को हटाया जाता है।
डॉक्टर मरीज को लेटने के लिए कहते हैं। फिर इलेक्ट्रोड को छाती में चिपकाया जाता है।
हृदय की विद्युत तरंगों को कंप्यूटर की मदद से रिकॉर्ड किया जाता है।
अगर व्यक्ति को स्ट्रेस टेस्ट कराने की सलाह दी गई है तो १० से १५ मिनट तक उसे ट्रेडमील में चलाया जाता है। फिर विद्युत तरंगों की माप की जाती है।
ईसीजी टेस्ट कॉर्डियोलॉजिस्ट या प्रशिक्षित डॉक्टर की मदद से किया जाता है।
यह टेस्ट इलेक्ट्रोड की सहायता से होता है।
इलेक्ट्रोड हृदय के विद्युत तरंगों को मापने का काम करते हैं और यह जानकारी देते हैं कि हृदय ठीक तरह से काम कर रहा है या फिर नहीं।
करीब १० मिनट में टेस्ट की प्रक्रिया हो जाती है और परिणाम भी कुछ देर में आ जाता है।
यह टेस्ट बिना किसी खास तैयारी के करवाया जा सकता है। टेस्ट कराने पहले खानपान के साथ ही पहने जाने वालों कपड़ों से संबंधित निम्न तैयारी पर ध्यान देना चाहिए:
टेस्ट से पहले किसी भी प्रकार की कैफीन न लेने की सलाह नहीं दी जाती है।
ईसीजी टेस्ट से पहले खाली पेट रहने की आवश्यकता नहीं होती है। व्यक्ति भोजन कर सकता है।
टेस्ट से पहले किसी भी प्रकार के तेल, कंडीशनर या जैल का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है।
यदि व्यक्ति की छाती में अधिक बाल होते हैं तो उसे हटाया जाता है। ऐसा करने से इलेक्ट्रोड ठीक तरह से चिपक सकते हैं।
महिलाओं के ब्रा में अंडरवायर यदि है तो ऐसे में उसे हटाने की जरूरत पड़ती है।
टेस्ट के दौरान ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जिन्हें छाती से आसानी से हटाया जा सके।
इस टेस्ट के नजीते आधे से एक घंटे बाद मिल जाते हैं। परिणाम में एक दिन का समय भी लग सकता है। डॉक्टर मरीज को परिणाम के बारे में जानकारी देते हैं।
जब तरंग को हृदय के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक जाने में सामान्य समय लगता है तो इसे नॉर्मल रिपोर्ट कहा जाता है।
व्यक्ति में सामान्य विश्राम हृदय गति ६० से १०० बीट प्रति मिनट होती है।
यदि हृदय गति ६० से १०० बीट प्रति मिनट नहीं है तो इसे सामान्य नतीजा नहीं कहा जाएगा।
जब ईसीजी टेस्ट किया जाता है तो विशेष तत्व के रूप में क्यूआरएस तरंगें, टी तरंग, पी तरंग की पहचान की जाती है।
क्यूआरएस तरंगें - हृदय के निचले कक्ष में विद्युत गतिविधि के बारे में क्यूआरएस तरंगों की मदद से जानकारी मिलती है।
टी तरंग - ये तरंगे हृदय संकुचन के बाद निलय की विद्युत पुनर्प्प्राप्ति को ईसीजी टेस्ट परिणाम में दिखाती हैं।
पी तरंग - हृदय के शीर्ष कक्ष में विद्युत गतिविधि की जानकारी पी तरंग से मिलती है। इसमें असामान्यता अलिंद में रुकावट के संबंध में जानकारी देती है।
मुख्य रूप से इनके आकार, नियमितता के साथ ही गति की भी जांच की जाती है।
जब ईसीजी टेस्ट किया जाता है तो हाथ, पैर और छाती पर कई छोटे सेंसर का इस्तेमाल किया जाता है जिन्हें इलेक्ट्रोड कहा जाता है।
छाती में चिपकाए गए इलेक्ट्रोड तारों की मदद से ईसीजी मशीन से जुड़े होते हैं।
मशीन की मदद से हृदय गति और लय के बारे में जानकारी मिलती है।
व्यक्ति में सामान्य विश्राम हृदय गति या सामान्य रेंज ६० से १०० बीट प्रति मिनट होती है। टेस्ट की मदद से विद्युत तरंग की जांच की जाती है। विद्युत तरंग मांसपेशियों को सिकुड़ने और हृदय से रक्त पंप करने के कारण बनती हैं।
अगर व्यक्ति की ईसीजी रिपोर्ट असामान्य है तो ये कई बीमारियों की ओर इशारा कर सकती है।
कार्डियोमायोपैथी - इस स्थिति मेंहृदय की मांसपेशियां प्रभावित होती हैं। इस कारण से ये मोटी हो सकती हैं। साथ ही शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त की पंपिंग बाधित होती है।
दिल का दौरा - हृदय में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध होने पर दिल का दौरा पड़ता है।पहले हो चुके हार्ट अटैक या फिर भविष्य में होने वाले हार्ट अटैक के संकेत ईसीजी टेस्ट से मिल सकते हैं।
एट्रियल फिब्रिलेशन - हृदय गति की अनियमितता के कारण हृदय ब्लड पंप क्षमतानुसार नहीं कर पाता है।इस समस्या की जानकारी ईसीजी टेस्ट से मिलती है।
दिल की विफलता - यह एक जटिल स्थिति है जिसमें हृदय कार्य नहीं कर पाता है।रिपोर्ट अगर सामान्य नहीं है तो ये दिल की विफलता के बारे में भी बता सकती है।
ब्लॉकेज - जब हृदय के ऊपरी चैम्बर से विद्युत संकेत निचले चैम्बर तकनहीं पहुंच पाते तो ब्लॉ़केज की स्थिति पैदा होती है।हृदय में ब्लॉकेज है या फिर नहीं, ईसीजी टेस्ट इस संबंध में कुछ हद तक मदद कर सकता है। बीमारी का निदान अन्य टेस्ट की मदद से किया जाता है।
हृदय की बीमारियों की जांच के लिए कराया जाने वाले ईसीजी टेस्ट की कीमत ₹ १९९ ₹ से ५०० तक हो सकती है। टेस्ट की कीमत में अस्पताल और जगह के अनुसार परिवर्तन भी हो सकता है।
नहीं, इस टेस्ट से किसी भी प्रकार की समस्या या दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। डॉक्टर छाती में परिक्षण के दौरान इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल करते हैं।
इलेक्ट्रोड चिप के रूप में होती हैं। इन्हे छाती में चिपकाया जाता है।
जब इन्हें निकाला जाता है तो थोड़ी सी जलन महसूस हो सकती है।
हेक्साहेल्थ पर सभी लेख सत्यापित चिकित्सकीय रूप से मान्यता प्राप्त स्रोतों द्वारा समर्थित हैं जैसे; विशेषज्ञ समीक्षित शैक्षिक शोध पत्र, अनुसंधान संस्थान और चिकित्सा पत्रिकाएँ। हमारे चिकित्सा समीक्षक सटीकता और प्रासंगिकता को प्राथमिकता देने के लिए लेखों के संदर्भों की भी जाँच करते हैं। अधिक जानकारी के लिए हमारी विस्तृत संपादकीय नीति देखें।
She has extensive experience in content and regulatory writing with reputed organisations like Sun Pharmaceuticals and Innodata. Skilled in SEO and passionate about creating informative and engaging medical conten...View More