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मूत्राशय की पथरी के लक्षण, कारण व इलाज - Bladder Stones in Hindi

Medically Reviewed by
Dr. Aman Priya Khanna
Bladder Stones in Hindi

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Bladder Stones in Hindi
Medically Reviewed by Dr. Aman Priya Khanna Written by Charu Shrivastava

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जब मूत्र में बड़ी मात्रा में खनिज जमा हो जाते हैं, तो वे एक कठोर द्रव्यमान बनाते हैं, जिसे आमतौर पर मूत्राशय की पथरी के रूप में जाना जाता है। ये पथरी आमतौर पर तब बनती है जब मूत्राशय ठीक से खाली नहीं होता है, और पेशाब करने के बाद पेशाब की कुछ मात्रा मूत्राशय में रह जाती है।

मूत्राशय की पथरी को किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि कभी-कभी वे अपने आप निकल जाते हैं। लेकिन ज्यादातर, पेशब की नाली में पथरी को हटाने के लिए दवा या न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है। यदि स्टोन बहुत बड़ा है तब ओपन सर्जरी को सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। पथरी को अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो इसके कारण यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और अन्य स्वास्थ्य संबधि जोखिम पैदा हो सकते हैं। 

रोग का नाम

मूत्राशय की पथरी

वैकल्पिक नाम पेशब की नाली में पथरी
लक्षण

पेशाब के दौरान दर्द, बार-बार पेशाब आना, पेट के निचले हिस्से में दर्द

कारण

बढ़ा हुआ प्रोस्टेट, निर्जलीकरण, न्यूरोजेनिक मूत्राशय, सिस्टोसिल

निदान

शारीरिक परीक्षा, सीटी स्कैन, एक्स-रे, सिस्टोस्कोपी

द्वारा इलाज 

उरोलोजिस्त

उपचार का विकल्प

सिस्टोलिथोपेक्सी, ओपन सिस्टोलिथोटॉमी

मूत्राशय की पथरी क्या होती हैं?

चिकित्सकीय भाषा में, मूत्राशय की पथरी को "वसिकल कलकुली " या “सिस्टोलिथ” के रूप में भी जाना जाता है। 

कभी कभी पेशाब करने के बाद भी मूत्राशय में अवशिष्ट मूत्र रह जाता है और वही पथरी होने का कारण बनता हैं। कुछ स्वास्थ्य से संबंधित स्थिति,जैसे प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना, मूत्राशय को पूरी तरह से मूत्र को बाहर निकलने से रोकता है। जब पेशाब करने के बाद मूत्राशय में मूत्र की कुछ मात्रा रह जाती है, तब उसमें मौजूद यूरिक एसिड और अन्य खनिज जमा होकर क्रिस्टलीकृत हो जाते हैं, जिससे मूत्राशय या पेशाब की नाली में पथरी बन जाती है।

मूत्राशय में पथरी के लक्षण शरीर के अंदर दबी रह सकती है। ये पथरी आमतौर पर अन्य बीमारियों का निदान करते समय पाई जाती है, विशेष रूप से एक्सरे जैसी इमेजिंग प्रक्रियाओं के दौरान।

मूत्राशय की पथरी के लक्षण

मूत्राशय की पथरी वाले रोगी में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होते हैं। लेकिन अगर मूत्राशय की दीवारों में जलन हो या मूत्र प्रवाह अवरुद्ध हो, तब व्यक्ति को दर्द और परेशानी का अनुभव हो सकता है। मूत्राशय की पथरी के अन्य लक्षणों में शामिल हो सकते हैं: 

  1. पेशाब करते वक्त दर्द होना 
  2. बारबार पेशाब आना 
  3. पेट के निचले हिस्से में दर्द 
  4. पेशाब में थोड़ी मात्रा में खून का आना 
  5. गहरा या अजीब तरह के गहरे रंग का मूत्र 
  6. लिंग में दर्द और बेचैनी होना 
  7. पेशाब शुरू करने में देरी 
  8. मूत्र मार्ग का संक्रमण होना 

मूत्राशय मे पथरी होने के कारण

मूत्राशय की पथरी तब बनती है जब पेशाब पूरी तरह से शरीर से बाहर नहीं निकलता है। मूत्राशय का पूरी तरह से खाली न हो पाना कुछ चिकित्सीय परीस्थितियों के कारण भी हो सकता है। नीचे दी गई परीस्थितिया हो सकती हैं :

  1.  प्रोस्टेट का बढ़ना:
    उम्र के साथ पुरुषों में प्रोस्टेट बड़ा हो सकता है। बढ़े हुए प्रोस्टेट के कारण मूत्रमार्ग (शरीर से मूत्र को बाहर निकालने वाली नली) पर दबाव डाल सकता हैं, इस प्रकार मूत्र प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो सकती है। पेशाब करने के बाद मूत्राशय के अंदर पेशाब जमा हो जाता हैं ।
  2. ऑग्मेंटेशन सिस्टोप्लास्टी: 
    आम तौर पर, जिन लोगों को मूत्र बहुत अधिक मात्रा मे होता हों (मूत्र के लिए एक अनियंत्रित आग्रह होना, कभी-कभी मूत्र का रिसाव होना) वह इस प्रक्रिया से गुजरते हैं। यस उपचार मूत्राशय के आकार को बड़ा करने के लिए किया जाता है, जिसमे मूत्राशय की क्षमता बढ़ाई जाती हे। इस प्रक्रिया में, सर्जन मूत्राशय के आकार को बड़ा करने के लिए आंत्र से ऊतक ले सकता है ताकि वह अधिक मूत्र को धारण कर सके। लेकिन इससे पेशाब भी लंबे समय तक मूत्राशय में बना रह सकता है, जिससे खनिजों की सांद्रता बढ़ सकती  है।
  3. निर्जलीकरण:
    पर्याप्त मात्रा मे पानी पीने से मूत्र में मौजूद खनिजों को पतला करने में मदद मिलती है ताकि वे आसानी से शरीर से बाहर निकल सकें। लेकिन निर्जलीकरण के कारण, ये खनिज मूत्र में क्रिस्टलीकृत हो सकते हैं और उनसे मूत्राशय में पथरी बनने का खतरा रहता है।
  4. तंत्रिकाजन्य मूत्राशय (न्यूरोजेनिक ब्लैडर):
    रीढ़ की हड्डी में चोट लगने या जन्मजात बीमारियों के कारण तंत्रिका क्षति के मामले में, मूत्राशय की सामान्य कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है। ऐसे लोगों को मूत्राशय से मूत्र निकालने के लिए कैथेटर की आवश्यकता होती है। लेकिन कभी-कभी ये कैथेटर मूत्राशय को पूरी तरह से खाली नहीं कर पाते हैं और इस वजह से  मूत्राशय की पथरी हो सकती है।
  5. सिस्टोसिल:
    सिस्टोसिल केवल महिलाओं में होता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें मूत्राशय की दीवारें समय के साथ कमजोर हो जाती हैं, जिससे मूत्र का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है।
  6. चिकित्सा उपकरण:
    यदि रोगी के पास मूत्राशय के अंदर चिकित्सा उपकरण उपस्थित  हो, जैसे कि कैथेटर(कैथिटर), तब खनिजों के क्रिस्टल उस उपकरण की  सतह पर जमा हो सकते हैं। यह तब हो सकता है जब उपकरण मूत्राशय के अंदर जरूरी समय से अधिक समय तक रहे। ये क्रिस्टलीकृत खनिज समय के साथ मूत्राशय की पथरी में विकसित हो सकते हैं।
  7. मूत्राशय का डायवर्टीकुला:
    यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें मूत्राशय के अंदर जो पाउच या पॉकेट होते हैं, जो मूत्र को संग्रहीत रखते हे वे मूत्र प्रवाह में बाधा डालते हैं। इससे पेशाब लंबे समय तक मूत्राशय के अंदर जमा हो सकता है।

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मूत्राशय की पथरी के खतरे

यूरिनरी ब्लैडर स्टोन महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक आम है, ५० वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को यह खतरा ज्यादा होता है। निम्नलिखित स्थितियां भी मूत्राशय की पथरी का कारण बन सकती हैं:

  1. स्ट्रोक के कारण होने वाली तंत्रिका क्षति, रीढ़ की हड्डी की चोट, मधुमेह, पार्किंसंस रोग और जन्मजात असामान्यताएं मूत्राशय के काम करने के तरीके को प्रभावित कर सकती हैं।
  2. मूत्रमार्ग (वह नली जिससे मूत्र शरीर से बाहर निकलता है) में रुकावट या किस प्रकार का अवरोध मूत्राशय की पथरी का कारण बन सकता है।

मूत्राशय की पथरी से बचाव

मूत्राशय की पथरी को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करने से जोखिम निश्चित रूप से कम हो सकता है। निम्नलिखित तरीके मूत्राशय की पथरी के जोखिम को कम करते हैं:

  1. पर्याप्त मात्रा मे पानी पिएं : 
    मूत्र में खनिजों की एकाग्रता को रोकने के लिए पर्याप्त मात्रा मे पनि पीते रहना आवश्यक है। पानी इन खनिजों को पतला करने में मदद करता है जिससे शरीर उन्हें आसानी से बाहर निकाल सकता है। हालांकि, रोगी को दैनिक कितनी मात्रा मे पानी पीना चाहिए यह डॉक्टर से जरूर पता करना चाहिए। यह विभिन्न कारणों पर निर्भर करता है, जैसे के व्यक्ति की आयु, स्वास्थ्य और शारीरिक गतिविधि का स्तर। 
  2. अंतर्निहित कारणों के लिए उपचार प्राप्त करें: 
    मूत्र संबंधी असामान्यताओं के मामले में, शीघ्र निदान और उपचार के लिए तुरंत चिकित्सक की सहायता लेनी चाहिए। अंतर्निहित कारणों का इलाज करने से मूत्राशय की पथरी का खतरा काफी कम हो जाएगा। विशेष रूप से ५० वर्ष से अधिक की आयु वाले लोगों को अगर एक बढ़ा हुआ प्रोस्टेट हो तो मूत्राशय को पूरी तरह से खाली करने के तरीके खोजने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

मूत्राशय की पथरी का निदान कैसे किया जाता है?

यदि किसी को मूत्राशय की पथरी होने का संदेह है, तो डॉक्टर से मूत्र संबंधी लक्षणों के बारे में प्रश्न पूछना चाहिए। डाक्टर अंतर्निहित कारणों का निदान करने के लिए विशिष्ट प्रकार के परीक्षण करने की सलाह देते हैं।

इन परीक्षणों में निम्नलिखित विधियाँ शामिल हो सकते हैं: 

  1. शारीरिक परीक्षा: डॉक्टर मरीज के पेट के निचले हिस्से को महसूस करता है और यह पता लगाने की कोशिश करता हे की कही मूत्राशय अपने आकार से बड़ा तो नहीं हो गया। मूत्राशय की वृद्धि के संदेह को रद्द करने के लिए डॉक्टर एक रेक्टल परीक्षा भी कर सकते हैं।
  2. सीटी स्कैन: यह मूत्राशय की स्पष्ट छवियां प्रदान करके छोटे से छोटे पथरी की उपस्थिति का पता लगाने में मदद करता है।
  3. एक्स रे : गुर्दे, मूत्रवाहिनी और मूत्राशय का एक्स रे यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि गुर्दे, मूत्राशय या मूत्रवाहिनी में पथरी है या नहीं। हालांकि कभी-कभी केवल एक्स रे मूत्राशय की पथरी का पता लगाने में विफल हो सकता है।
  4. अल्ट्रासाउंड: इस परीक्षण के दौरान मूत्राशय की पथरी  के स्थान का पता लगाने के लिए ध्वनि तरंगें शरीर के अंदर के अंगों मे भेजी जाती है, वह तरंगे शरीर मे मोजूद आवरोध का पता लगाने मे मदद करती है।
  5. मूत्र परीक्षण: इस परीक्षण में, रक्त, बैक्टीरिया और क्रिस्टलीकृत खनिजों की थोड़ी मात्रा का निदान करने के लिए रोगी के मूत्र की जांच की जाती है। परीक्षण यह निर्धारित करने में भी मदद करता है कि रोगी को मूत्र मार्ग का संक्रमण है या नहीं। 
  6. मूत्राशयदर्शन (सिस्टोस्कोपी):मूत्राशय की पथरी का पता लगाने के लिए मूत्राशय का पूर्ण और स्पष्ट दृश्य प्राप्त करने के लिए यह प्रक्रिया की जाती है। डॉक्टर मूत्रमार्ग के माध्यम से मूत्राशय के अंदर एक छोटी पतली ट्यूब जिसके ऊपरी सिरे पर केमरा होता हे उसको प्रवेश करता है। उस नली से जुड़े कैमरे के साथ ब्लैडर के अंदर का अच्छी तरह से निरीक्षण करने के लिए एक तरल पदार्थ भरकर मूत्राशय की जाच की जाती  है।

डॉक्टर के परामर्श की तैयारी कैसे करें? 

यदि रोगी को मूत्राशय की पथरी के लक्षण हैं, तो उसे समस्या का निदान करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। डॉक्टर के परामर्श की तैयारी के लिए, रोगी को निम्नलिखित बातों पर विचार करना चाहिए:

  1. उसके द्वारा ली जाने वाली सभी दवाओं, विटामिनों और सप्लीमेंट्स की एक सूची बनाएं।
  2. सभी लक्षण को बताए जो मूत्राशय की पथरी की स्थिति से संबंधित लग भी सकते हैं और नहीं भी।
  3. जीवन में कोई भी महत्वपूर्ण परिवर्तन, तनाव या चिंता का कारण बना हो। 
  4. वह सारे सवाल जो वह डॉक्टर से पूछना चाहता है।

मूत्राशय की पथरी के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सामान्य प्रश्न निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. क्या शरीर बिना किसी उपचार के मूत्राशय की पथरी को प्राकृतिक रूप से बाहर निकाल सकता है?
  2. यदि पथरी को प्राकृतिक रूप से बाहर नहीं निकाला जा सकता है तो रोगी के लिए सबसे उपयुक्त उपचार तरीका क्या हो सकता है?
  3. क्या किसी भी प्रकार की दवाएं मूत्राशय की पथरी को घोलकर शरीर से निकालने में मदद कर सकती हैं?
  4. उपचार में शामिल जोखिम और जटिलताएं क्या हो सकती हैं?
  5. अगर शरीर में पथरी रह जाए तो क्या हो सकता है?
  6. क्या पथरी वापस आ सकती हैं?
  7. मूत्राशय की पथरी को वापस आने से कैसे रोका जा सकता है?
  8. यदि उसे मूत्राशय की पथरी के साथ अन्य चिकित्सीय समस्याए हैं तो उसका उचित प्रबंधन के लिए क्या किया जा सकता है ?
  9. क्या कोई आहार मे प्रतिबंध आवश्यक हैं?
  10. मूत्राशय की पथरी के बारे में और कैसे जानें?

ऊपर उल्लिखित प्रश्न संदर्भ उद्देश्यों के लिए हैं। खुद को इन सवालों तक सीमित नहीं रखना चाहिए। किसी भी स्थिति पर पूर्ण स्पष्टता प्राप्त करने के लिए मूत्राशय की पथरी के बारे में सभी संदेह और प्रश्न पूछना आवश्यक है।

मूत्राशय की पथरी का इलाज

मूत्राशय की पथरी को हटाने का तरीका कई परिस्थितिओं पर निर्भर करता है, जैसे कि पथरी का प्रकार, आकार और स्थान। कुछ मामलों में, बहुत सारा पानी पीने से पथरी को घोलने और शरीर से बाहर निकलने में मदद मिल सकती है। हालांकि, पथरी को अक्सर एंडोस्कोपिक प्रक्रिया या ओपन सर्जरी का उपयोग करके छोटे टुकड़ों में तोड़कर हटा दिया जाता है।

बिना सर्जरी के यूरिनरी ब्लैडर स्टोन का इलाज 

मूत्राशय की पथरी को रोकने के लिए आयुर्वेद ने आहार में निम्नलिखित चीजों को शामिल करने को कहा है:

  1. शहद के साथ नींबू का रस 
  2. नारियल पानी 
  3. भिंडी
  4. चने की दाल
  5. तुलसी - चाय या शरबत में मिलाकर 

सर्जरी के द्वारा  मूत्राशय की पथरी का इलाज 

मूत्राशय की पथरी के इलाज में विभिन्न प्रकार की शल्य चिकित्सा पद्धतियां उपलब्ध हैं। मूत्राशय या मूत्रवाहिनी की पथरी के उपचार की प्रक्रिया निम्नलिखित हैं:

  1. सिस्टोलिथोपैक्सी: यह प्रक्रिया मूत्राशय की पथरी को तोड़ कर शरीर से बाहर निकाल देता है। इस प्रक्रिया में सामान्य संज्ञाहरण के तहत बेहोश किया जाता है ताकि प्रक्रिया के दौरान रोगी को कोई दर्द महसूस न हो। एक बार जब रोगी बेहोश हो जाने पर मूत्रमार्ग के माध्यम से मूत्राशय में सिस्टोस्कोप नामक एक उपकरण डाला जाता है। सिस्टोस्कोप एक छोटी पतली ट्यूब होती है जिसके सिरे पर एक कैमरा होता है, जो सर्जन को मूत्राशय के अंदर एक स्पष्ट दृश्य प्राप्त करने में मदद करता है। पथरी का पता चलने के बाद, एक लेजर और अल्ट्रासाउंड उपकरण से पथरी को तोड़ा जाता है, अंत में इसे शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
  2. सर्जरी: कभी-कभी जब पथरी बहुत बड़ी होती है या उसे तोड़ना मुश्किल होता है, तो उसे हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। मूत्राशय की पथरी के इलाज के लिए कई सर्जिकल विकल्प उपलब्ध हैं, जो समस्या की गंभीरता और रोगी की स्वास्थ्य स्थिति पर चुना जाता  है।
  3. ओपन सिस्टोलिथोटॉमी: एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे पथरी हटाने के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। हालांकि इसका उपयोग केवल तभी किया जाता है जब न्यूनतम इनवेसिव एंडोस्कोपिक प्रक्रिया का उपयोग करके पथरी का इलाज नहीं किया जा सकता हों ।

मूत्राशय की पथरी के खतरे और जटिलताएं

समय पर इलाज न कराने पर मूत्राशय की पथरी का आकार  बढ़ता रहता है। तब पथरी निम्नलिखित खतरा और जटिलताओं का कारण बन सकते हैं: 

  1. मूत्र पथ के संक्रमण 
  2. मूत्र प्रवाह में रुकावट 
  3. दर्दनाक या बार-बार पेशाब आना 

यदि रोगी को ऊपर वर्णित किसी भी स्थिति का अनुभव होता है, तो उसे तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।

मूत्राशय की पथरी होने पर क्या आहार लेना चाहिए

आहार में छोटे छोटे बदलाव करके और दैनिक दिनचर्या में स्वस्थ आदतों को शामिल करके, जैसे कि शारीरिक गतिविधि और उचित मात्रा मे पनि पीना, मूत्राशय की पथरी के जोखिम को काफी कम कर सकता है। मूत्राशय की पथरी को रोकने के लिए सरल आहार युक्तियाँ निम्नलिखित हैं।

पर्याप्त पानी और तरल पदार्थ पिएं: 

  1. पानी पीते रहने से मूत्र में खनिजों और नमक की गाढ़ापन को रोका जा सकता है।
  2. पानी मूत्र लवण को घोलने में मदद करता है ताकि वे आसानी से शरीर से बाहर निकल सकें यदि शरीर में पर्याप्त पानी नहीं है तो ये लवण समय के साथ केंद्रित और क्रिस्टलीकृत हो सकता हैं।
  3. उनके पेशाब के रंग को देखकर पता लगाया जा सकता है कि शरीर को अधिक तरल पदार्थ की आवश्यकता है या नहीं।
  4. पेशाब का हल्का रंग इस बात का संकेत देता है कि शरीर ठीक से जलीय है। यदि पेशाब का रंग गहरा है तो यह दर्शाता है कि शरीर को अधिक पानी की आवश्यकता है।
  5. नींबू पानी और संतरे का रस जैसे साइट्रिक (खट्टे ) द्रव पीने से भी पथरी के विकास को रोकने में मदद मिल सकती है।

आहार में अधिक कैल्शियम शामिल करें: 

  1. गुर्दे या मूत्राशय की पथरी में पाया जाने वाला सबसे आम घटक कैल्शियम है।
  2. यही कारण है कि अक्सर यह माना जाता है कि कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ खाने से मूत्राशय में पथरी हो सकती है, पर ये स्थिति नहीं है। कम कैल्शियम वाले आहार से मूत्राशय की पथरी का खतरा बढ़ जाता है और यहां तक ​​कि हड्डियों के कमजोर होने का भी कारण बनता है।
  3. हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कैल्शियम की खुराक लेने से मूत्राशय की पथरी का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए इन्हें भोजन के साथ लेना चाहिए। इस तरह, वे शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।

आहार में सोडियम कम करें: 

अधिक नमक खाने से शरीर में कैल्शियम के अवलोकन को रोका जा सकता है। जब शरीर कैल्शियम को अवशोषित नहीं करता है तो यह गुर्दे द्वारा अपशिष्ट उत्पाद के रूप में साफ हो जाता है, जिससे मूत्र में उच्च मात्रा में कैल्शियम निकलते है। धीरे-धीरे मूत्र में कैल्शियम की एक उच्च मात्रा जमा हो सकती है और पथरी में विकसित हो सकती है। संतुलित सोडियम का सेवन मूत्र में मौजूद कैल्शियम की मात्रा को कम करता है, इस प्रकार मूत्राशय की पथरी के जोखिम को कम करता है। 

भोजन जिसमें अतिरिक्त नमक शामिल हैं:

  1. डिब्बाबंद सब्जियां और सूप 
  2. चिप्स और अन्य नमकीन स्नैक्स
  3. पिज़्ज़ा
  4. ब्रेड रोल 
  5. मुर्गी 
  6. पनीर 

निम्नलिखित सामग्री वाले भोजन में भी अधिक नमक होता है: 

  1. मोनोसोडियम ग्लूटामेट 
  2. सोडियम नाइट्राइट 
  3. सोडियम बाईकारबोनेट 

विटामिन सी की अधिक खुराक से बचें: 

विटामिन सी से भरपूर भोजन पथरी के विकास को रोकता है, लेकिन विटामिन सी की अधिक खुराक लेने से मूत्राशय की पथरी का खतरा दोगुना हो जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि जो पुरुष विटामिन सी की अधिक खुराक लेते हैं, उन्हे मूत्राशय की पथरी के जोखिम के प्रति अधिक संवेदनशील होना चाहिए ।

ऑक्सालेट युक्त भोजन का कम सेवन: 

ऑक्सालेट एक अन्य यौगिक है जो मूत्र में कैल्शियम के साथ मिलकर गुर्दे और मूत्राशय की पथरी बनाता है। यह आमतौर पर भोजन में पाया जाता है इसलिए ऑक्सालेट युक्त आहार को कम करने से मूत्राशय की पथरी का खतरा भी कम हो सकता है। ऑक्सालेट युक्त भोजन के उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  1. चॉकलेट
  2. शक्करयुक्त शीतल पेय
  3. पालक 
  4. कॉफी 
  5. बीट 
  6. मूंगफली 
  7. रूबर्ब 
  8. सोया उत्पाद 
  9. गेहूं का चोकर

आहार में पशु प्रोटीन को कम करना चाहिए :

अधिक मात्रा में पशु प्रोटीन का सेवन करने से यूरिक एसिड बढ़ सकता है, जिससे कैल्शियम ऑक्सालेट पथरी हो सकती  हैं। पशु आधारित प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:

  1. बीफ 
  2. पोल्ट्री 
  3. फिश
  4. पोर्क 

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

  1. मिथक: मूत्राशय की पथरी मे  बड़े आकार की पथरी मे  छोटे आकार की पथरी  की तुलना में अधिक दर्द होता है।
    तथ्य: छोटे आकार की पथरी की  तुलना में बड़े आकार की पथरी  में दर्द होने की संभावना अधिक होती है। लेकिन आकार ही एकमात्र कारण नहीं है जो यह तय करता है। छोटी पथरी का गलत स्थान पर होने से  बड़े आकार की पथरी से भी अधिक कष्टदायी दर्द पैदा कर सकती हैं। इसलिए स्थान एक अन्य कारण है जो तय करता है कि पथरी कितनी  दर्दनाक हो सकती है। यदि किसी भी आकार की पथरी  रुकावट का कारण बनती  है, तो यह अत्यधिक असुविधा और दर्द का कारण बन सकता है, जिसमे आपातकालीन अस्पताल की भी आवश्यकता पड़ सकती है। 
  2. मिथक: महिलाओं को ब्लैडर स्टोन होने का खतरा नहीं होता है, जैसा कि आमतौर पर पुरुषों में होता है।
    तथ्य: खाने की आदतों में बदलाव के साथ-साथ महिलाओं में मूत्राशय की पथरी का खतरा भी बढ़ रहा है। इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हैं जैसे अम्लीय खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन और मोटापा और मधुमेह की बढ़ती दर। इसलिए यह सोचना गलत होगा कि केवल पुरुषों को ही मूत्राशय के पत्थर की चिंता करनी चाहिए। महिलाओं को भी इनसे बचाव के लिए जीवनशैली में जरूरी बदलाव करने चाहिए।
  3. मिथक: अगर पथरी ने दर्द देना बंद कर दिया है तो इसका मतलब है कि पथरी शरीर से निकल गया है।
    तथ्य: अगर पथरी ने दर्द करना बंद कर दिया है तो उसे निकालने की जरूरत नहीं है। दर्द का स्तर आमतौर पर इस बात पर निर्भर करता है कि पथरी कितनी बड़ी हो गई है और यह शरीर के अंदर किश स्थान पर है।
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यदि मूत्राशय की पथरी छोटी है तो वे पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकल जाती हैं। लेकिन अक्सर मूत्राशय की पथरी के उपचार के लिए न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रियाओं या ओपन सर्जरी की आवश्यकता होती है। इसलिए उपचार का प्रकार पथरी के आकार और स्थान पर निर्भर करता है।

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सिस्टोलिथोपैक्सी के रूप में जानी जाने वाली एक एंडोस्कोपिक प्रक्रिया का उपयोग पथरी  को छोटे टुकड़ों में तोड़ने के लिए किया जाता है ताकि इसे आसानी से हटाया जा सके। यदि पथरी बड़ी और कठोर है जिसे सिस्टोलिथोपैक्सि और अन्य न्यूनतम आक्रमणकारी प्रक्रियाओं के साथ इलाज नहीं किया जा सकता है, तो पथरी को हटाने के लिए सिस्टोलिथोटोमी नामक एक सर्जरी की जाती है।
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अनुपचारित मूत्राशय की पथरी समय के साथ आकार में बढ़ती जाती है। यदि पथरी इतनी बड़ी हो जाए कि यह मूत्र के मार्ग को अवरुद्ध कर दे, तो पेशाब करते समय दर्द और परेशानी हो सकती है। अंततः यह बार-बार मूत्र पथ के संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों को जन्म दे सकता है।

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मूत्राशय की छोटी पथरी के इलाज में दवा मदद कर सकती है। यदि पथरी यूरिक एसिड से बनी है तो दवा मूत्र को क्षारीय करके इसे भंग कर सकती है। यदि मूत्र का पीएच स्तर ६.५ या उससे अधिक तक बढ़ाया जा सकता है, तो यह पथरी को प्रभावी ढंग से भंग करने में मदद कर सकता है।
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५ एम एम से छोटी पथरी बिना किसी चिकित्सकीय या शल्य चिकित्सा के हस्तक्षेप के बिना आसानी से शरीर से बाहर निकाली जा  सकती है। ६ से ७ एम एम की पथरी  को भी बहुत बड़ा नहीं माना जाता है और ५० प्रतिशत संभावना है कि वे शरीर से स्वाभाविक रूप से बाहर निकाली जा सकती हैं। हालांकि अगर ये पथरी बाहर नहीं निकलती है तो उपचार के विकल्पों में न्यूनतम इनवेसिव एंडोस्कोपिक प्रक्रिया और ओपन सर्जरी शामिल हो सकते हैं।

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मूत्राशय की पथरी  में लंबे समय तक कोई लक्षण हो भी सकता है और नहीं भी। हालाँकि, यदि ये पथरी मूत्राशय की दीवार में जलन पैदा करने लगे, तो वे निम्नलिखित लक्षण पैदा कर सकते हैं: 

  1. पेशाब करते समय दर्द और जलन होना 
  2. गहरा रंग का मूत्र आना  
  3. बार-बार पेशाब करने की जरूरत होना 
  4. पेशाब करते समय दर्द होना 
  5. बाधित मूत्र प्रवाह 
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छोटी और विकासशील पथरी शरीर से बाहर निकल सकती है यदि दैनिक दिनचर्या में सरल जीवन शैली में परिवर्तन को शामिल किया जाए, जैसे बहुत सारे तरल पदार्थ पीना नमक का सेवन कम करना और एंडोस्कोपिक और न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल प्रक्रिया सहित।

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९५ प्रतिशत मामलों में शरीर उन्हें ४ से ६ सप्ताह के भीतर बाहर निकाल देता है। लेकिन अगर वे अपने आप बाहर नहीं निकलते हैं तो उन्हें दवा या शल्य चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग करके हटा दिया जाता है।

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सिस्टोसिल एक चिकित्सा स्थिति है जिसमें मूत्राशय की दीवारें कमजोर हो जाती हैं और मूत्र प्रवाह के मार्ग में योनि में आजाती हैं। यह स्थिति केवल महिलाओं में होती है और मूत्राशय में पथरी का कारण बन सकती है। अस्वास्थ्यकर भोजन की आदतें और मधुमेह सामान्य जोखिम कारक हैं जो महिलाओं में मूत्राशय की पथरी का कारण बन सकते हैं।

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कैल्शियम से भरपूर आहार खाने और तरल पी का सेवन करते  रहने से एवं भोजन में नमक कम करना मूत्राशय की पथरी को रोकने के कुछ तरीके हैं।
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मूत्राशय की पथरी से पेट के क्षेत्र में तेज दर्द हो सकता है।दर्द लहरों की तरह आ सकता है और पेट से लेकर कमर तक जा सकता है।
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मूत्राशय श्रोणि क्षेत्र के केंद्र में स्थित है। यदि रोगी को पेट के बाएं या दाएं हिस्से में दर्द का अनुभव होता है तो यह गुर्दे की पथरी के कारण हो सकता है।

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मूत्राशय मे दर्द (बीपीएस) या इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस (आईसी) मूत्राशय की पुरानी स्थिति है जो मूत्राशय क्षेत्र में दबाव की भावना के साथ हल्के से लेकर गंभीर दर्द का कारण बनती है।

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एक स्त्री रोग विशेषज्ञ मूत्र पथ के संक्रमण ( यूटीआई ) का इलाज कर सकता है, और कुछ अन्य मूत्र संबंधी स्थितियो का भी। लेकिन अगर रोगी बार-बार होने वाले (यूटीआई ) या उस मूत्र पथ को प्रभावित करने वाली अन्य समस्याओं से पीड़ित है, तो वह बीमारी  का निदान करने के लिए मूत्र मार्ग विशेषज्ञ (उरोलोजिस्त) के पास जाने की सिफारिश कर सकता है। 

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Last Updated on: 26 April 2023

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Aman Priya Khanna

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES

12 Years Experience

Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More

लेखक

Charu Shrivastava

Charu Shrivastava

BSc. Biotechnology I MDU and MSc in Medical Biochemistry (HIMSR, Jamia Hamdard)

2 Years Experience

Skilled in SEO and passionate about creating informative and engaging medical content. Her proofreading and content writing for medical websites is impressive. She creates informative and engaging content that educ...View More

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