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धमनियों में रुकावट (एथेरोस्क्लेरोसिस) के लक्षण, कारण और इलाज

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Dr. Aman Priya Khanna
Atherosclerosis Meaning In Hindi

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Atherosclerosis Meaning In Hindi
Medically Reviewed by Dr. Aman Priya Khanna Written by Sparshi Srivastava

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बहुत से लोगो के जहन में एक बड़ा आम सा सवाल होता है कि एथेरोसिलेरोसिस का हिन्दी में क्या अर्थ होता है? (atherosclerosis meaning in hindi)। एथेरोसिलेरोसिस को हिन्दी में धमनीकलाकाठिन्य के रूप मे भी जाना जाता है, वैसे यह धमनीकाठिन्य (arteriosclerosis) का एक प्रकार होता है।

एथेरोस्क्लेरोसिस धमनियों को संकुचित और सख्त कर सकता है, जिससे रक्त प्रवाह कम हो जाता है और संभावित स्वास्थ्य जटिलताएं जैसे दिल का दौरा और स्ट्रोक हो सकता है। एथेरोस्क्लेरोसिस रोग , इसके लक्षण, प्रकार, कारण, निदान, रोकथाम, दवा, उपचार और अन्य महत्वपूर्ण विवरणों के बारे में जानें।

रोग का नाम एथेरोस्क्लेरोसिस
लक्षण सीने में दर्द, पसीना आना, चक्कर आना, अत्यधिक थकान, दिल की धड़कन तेज होना
कारण कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर, उच्च रक्तचाप, मधुमेह
निदान एंजियोग्राफी, रक्तचाप की तुलना, रक्तचाप की तुलना, इकोकार्डियोग्राम
इलाज कौन करता है कार्डियोलॉजिस्ट और कार्डियक सर्जन
उपचार के विकल्प एंजियोप्लास्टी, एथेरेक्टॉमी, स्टेंट लगाना, कोरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ्टिंग, परिधीय धमनी बाईपास

एथेरोसिलेरोसिस क्या है?

एथेरोस्क्लेरोसिस एक बहुत ही आम स्थिति है। इस स्थिति में धमनी के अंदर की तरफ एक चिपचिपा पदार्थ बनने लगता है जिसे पट्टिका (पलाक़/ एथेरो) कहते है।

एथेरोसिलेरोसिस धीरे-धीरे पट्टिका में विकसित होता है। धमनी में निम्नलिखित पद्राथ के जमा होने से पट्टिका का निर्माण होता है:

  1. कोलेस्ट्रॉल
  2. वसा /वसायुक्त पदार्थ 
  3. रक्त कोशिकाओं 
  4. सेलुलर अपशिष्ट उत्पाद
  5. अन्य पदार्थों जैसे कैल्शियम और फाइब्रिन (रक्त में थक्का बनाने वाली सामग्री) 

धमनियां शरीर में रक्त वाहिकाएं होती हैं जो ऑक्सीजन युक्त रक्त को पूरे शरीर के अंगों और ऊतकों तक ले जाती हैं। जब एथेरोस्क्लेरोसिस पट्टिका बढ़ती है, धमनी के अंदर की चौड़ाई (लुमेन) संकरी हो जाती है, जिससे रक्त के प्रवाह के लिए कम जगह बचती है। इससे शरीर में महत्वपूर्ण अंगों के ऊतकों को ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है।

एथेरोस्क्लेरोसिस के चरण

धमनी के अंदर पट्टिका का निर्माण होने में कई वर्ष लग जाते हैं, क्योंकि धीरे-धीरे एथेरोस्क्लेरोसिस कई निम्न चरणों से गुजरता है: 

  1. एनडोथीलियल सेल कि क्षति: एथेरोस्क्लेरोसिस कि शुरुआत, वाहिका की सबसे अंदर की परत की  कोशिकायो (एनडोथीलियल सेल) की क्षति से होती है। इस क्षति कि वजह से सूजन कि प्रक्रिया शुरू हो जाती है। 
  2. फैटी स्ट्रीक का गठन: "फैटी स्ट्रीक" एथेरोस्क्लेरोसिस का सबसे पहला संकेत होता है। 
    1. यह मृत फोम कोशिकाओं से बनी एक पीली लकीर या पैच होता है, जो ठीक उस जगह पर बनता है, जहां एंडोथेलियल क्षति होती है। 
    2. फोम कोशिकाएं मूल रूप से सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं जो आक्रमणकारियों जैसे कोलेस्ट्रॉल (खासकर् तब जब व्यक्ति में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ा हुआ होता है) से छुटकारा पाने की कोशिश करने के लिए उनका उपभोग करती हैं।
    3. कोलेस्ट्रॉल का सेवन करने के बाद ये कोशिकाये झागदार (फ़ोमी) दिखाई देती हैं। 
    4. लगातार फोम सेल कि गतिविधि एंडोथेलियम को और नुकसान पहुंचाती है।
  3. पट्टिका निर्माण और वृद्धि: मृत फोम कोशिकाएं कि गतिविधि बढ़ती रहती है और समय के साथ फैटी स्ट्रीक, पट्टिका के एक टुकड़े में बदल जाती है। पट्टिका के ऊपर एक रेशेदार टोपी जैसी बन जाती है जो इसे टूटने से रोकता है। जैसे-जैसे पट्टिका बढ़ती है, यह धीरे-धीरे धमनी के लुमेन को संकरा कर देती है जिसक वजह से रक्त के प्रवाह के लिए जगह कम हो जाती है।
  4. पट्टिका का टूटना: जब पट्टिका को ढकने वाली टोपी टूट जाती है या घिस जाती है, तो प्लाक फटने के कारण धमनी में खून का थक्का बन जाता है। थक्का रक्त प्रवाह को अवरुद्ध करता है और इसकी वजह से दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है। 

एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण

एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण इस बात पर निर्भर करते है कि शरीर के कौन से हिस्से की कौन सी धमनी प्रभावित है। जिस अंग में एथेरोस्क्लेरोसिस वाली धमनी का रक्त प्रवाह हो रहा है, उस अंग पर प्रभाव पड़ेगा और लक्षण भी उसी अंग के प्रभावित होने के आयेगें। 

एथेरोस्क्लेरोसिस शरीर की अधिकांश धमनियों को प्रभावित कर सकता है, जिसमें हृदय, मस्तिष्क, हाथ, पैर, श्रोणि (पेल्विस) और गुर्दे की धमनियां शामिल हैं। इससे होने वाली बीमारी के अलग-अलग नाम हैं जो इस बात पर निर्भर करते हैं की कौन सी धमनियां प्रभावित होती हैं जैसे:

रोग प्रभावित धमनी  प्रभावित अंग 
कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी)( coronary atherosclerosis in hindi) दिल की धमनियों में प्लाक बिल्डअप हृदय
पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) पैरों की धमनियों में प्लाक का निर्माण आम है, परंतु हाथ और श्रोणि में भी हो सकता है पैर, अथवा हाथ 
कैरोटिड धमनी रोग गर्दन की धमनियों में प्लाक बिल्डअप मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को कम करता है
रीनल आर्टरी स्टेनोसिस गुर्दे की धमनियों में प्लाक बिल्डअप गुर्दे में कम रक्त जाना
मेसेंटेरिक आर्टरी इस्किमिया आंतों को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनिया आंतों में रक्त की कमी

एथेरोस्क्लेरोसिस अक्सर लक्षण पैदा नहीं करता है जब तक कि धमनी बहुत ज्यादा संकीर्ण या अवरुद्ध न हो। यदि धमनी 70% से अधिक अवरुद्ध है तो लक्षण दिखाई दे सकते हैं अन्यथा तो लोगों को पता ही नहीं चलता कि उन्हे एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या है।

एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण पहली बार तब प्रकट हो सकते हैं जब शारीरिक या भावनात्मक तनाव होते हैं यानि कि उस समय पर जब शरीर को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।

वैसे भी, एथेरोस्क्लेरोसिस की वजह से ऑक्सीजन की सही मात्रा में रक्त आपूर्ति नहीं होती है, इसकी वजह से प्रभावित धमनी के आधार पर निम्नलिखित लक्षण होते हैं।

  1. कोरोनरी हृदय रोग/ दिल का दौरा: सीने में दर्द (एनजाइना), पसीना आना, चक्कर आना, अत्यधिक थकान, दिल की धड़कन तेज होना, पीठ, कंधे, गर्दन, हाथ या पेट में दर्द, सांस की तकलीफ, मतली और कमजोरी महसूस करना। 
  2. परिधीय धमनी रोग: 
    1. चलने या सीढ़ियां चढ़ने पर दर्द, भारीपन या पैरों में ऐंठन। 
    2. त्वचा के रंग में परिवर्तन (जैसे लालिमा), पैरों की त्वचा का ठंडा होना।
    3. बार-बार त्वचा और ऊतक का संक्रमण होना (अक्सर पैरों में)
    4. पैरों या पैर की उंगलियों पर घाव जो ठीक नहीं होते हैं।
  3. रीनल आर्टरी स्टेनोसिस: 
    1. काफी बढ़ा हुआ रक्तचाप जो कई दवाओं से काबू में नहीं आता है 
    2. पेशाब जाने में बदलाव (जैसे कितनी बार जान पड़ता हैं)
    3. शरीर में सूजन (एडिमा)
    4. अत्यधिक थकान महसूस करना 
    5. रूखी/खुजलीदार त्वचा या सुन्न सा महसूस करना
    6. सिरदर्द
    7. अस्पष्टीकृत वजन घटना 
    8. जी मिचलाना, उल्टी या भूख न लगना
  4. वर्टेब्रल आर्टरी डिजीज
    1. शुरुआती लक्षण में सोचने और याददाश्त में समस्या, शरीर या चेहरे के एक तरफ कमजोरी या सुन्नता, और दृष्टि की परेशानी 
    2. गंभीर लक्षणों में ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (TIA), जिसे आमतौर पर मिनी-स्ट्रोक कहा जाता है
  5. कैरोटिड धमनी रोग/ ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक:
    1. चक्कर आना, सरदर्द
    2. चेहरे के एक तरफ लटक जाना
    3. सुन्नपन महसूस करना, मांसपेशियों की शक्ति में कमी या शरीर के एक तरफ के हिस्से में कमजोरी
    4. अस्पष्ट भाषा या शब्द बनाने में कठिनाई होना 
    5. एक आँख की दृष्टि खत्म होना 
  6. मेसेन्टेरिक आर्टरी इस्किमिया: भोजन के बाद तेज दर्द, वजन कम होना और दस्त

अगर अवरुद्ध धमनी दिल या मस्तिष्क की आपूर्ति करती है, तो दिल का दौरा या स्ट्रोक होता है। यदि पैरों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली धमनी अवरुद्ध हो जाती है, तो गैंग्रीन या ऊतक मृत्यु हो सकती है।

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एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण

एथेरोस्क्लेरोसिस एक धीमी, प्रगतिशील बीमारी है जो कभी-कभी बचपन में ही शुरू हो सकती है। हालांकि, यह तेजी से बढ़ भी सकती है।

यह बहुत अच्छे से स्पष्ट नहीं है कि एथेरोस्क्लेरोसिस का मुख्य कारण क्या होता है और इसकी शुरुआत कैसे होती है? परंतु, कई वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि पट्टिका तब शुरू होती है जब धमनी की आंतरिक परत (जिसे एंडोथेलियम कहा जाता है) क्षतिग्रस्त हो जाती है।

सूजन के कारण धीरे-धीरे पट्टिका का निर्माण या मोटा होना धमनी की दीवारों के अंदर होता है। इससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों और हाथ-पैरों में रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है।

एथेरोस्क्लेरोसिस के जोखिम कारक

एथेरोस्क्लेरोसिस के लिए कई जोखिम कारक हैं जो ज्यादातर महिलाओ के मुकाबले पुरुषों को कम उम्र मे अधिक प्रभावित करते हैं और  एथेरोस्क्लेरोसिस होने की संभावना को बढ़ा देते हैं, क्योंकि इन की वजह से धमनी की आंतरिक परत को क्षति पहुचती है।

इन में से कुछ कारकों को जीवन शैली मे बदलाव लाकर बदला जा सकता है जिन्हे मोडीफियेबल जोखिम कारक कहते हैं, और कुछ कारको को नहीं बदला जा सकता है, उनहे नॉन-मोडीफियेबल जोखिम कारक कहा जाता है। इसी आधार पर कारकों को वर्गीकृत किया गया है:

मोडीफियेबल जोखिम कारक

जीवन शैली मे बदलाव लाकर काफी हद तक इन कारकों पर काबू पाकर इन्हे बदला जा सकता है, जिनमे शामिल हैं:

  1. कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का उच्च स्तर: ज्यादा मात्रा में कोलेस्टराल, पट्टिका के निर्माण में बढ़ावा देता है। 
  2. उच्च रक्तचाप कि वजह से धमनी की दीवारों का मोटा होने का खतरा बढ़ जाता है, साथ ही रक्तचाप बढ़ने से एथेरोस्क्लेरोटिक पलाक़ का विकास होता है, और उनके फटने की भेद्यता का कारण बन यकता है। 
  3. मधुमेह: हाइपरग्लेसेमिया (उच्च रक्त शर्कर) के लंबे समय तक संपर्क की वजह से एथेरोस्क्लेरोटिक प्रक्रिया में तेजी आ सकती है। 
  4. मोटापा या व्यायाम ना करना: मोटापे कि वजह से रक्तचाप और कोलेस्टराल बढ़ने का खतरा होता है। 
  5. उच्च संतृप्त वसा वाले आहार का सेवन करने से मोटापा बढ़ सकता है और रक्तचाप पर प्रभाव पड़ सकता है। 
  6. धूम्रपान के विषाक्त पदार्थ एन्डोथेलियाल कोशिकायो को क्षति पहुचते हैं। 

महाधमनी (शरीर की मुख्य धमनी जिसे ऐऑर्टा भी कहते हैं), कोरोनरी धमनियों और पैरों में धमनियों में एथेरोस्क्लेरोसिस की प्रगति में धूम्रपान एक बड़ी भूमिका निभाता है। धूम्रपान से वसायुक्त जमाव बनने की संभावना अधिक हो जाती है, और यह पट्टिका के विकास को तेज करता है।

नॉन-मोडीफियेबल जोखिम कारक

नॉन-मोडीफियेबल कारको को नहीं बदला जा सकता है जैसे:

  1. बढ़ती उम्र: 45 वर्ष की आयु के बाद पुरुषों में और 55 वर्ष की आयु के बाद महिलायो को अधिक जोखिम का सामना करन पड़ता हैं।
  2. पारिवारिक इतिहास: अगर समय से पहले हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास होता है तो एथेरोस्क्लेरोसिस कि संभावना बढ़ जाती है।

एथेरोस्क्लेरोसिस के लिए रोकथाम

वैसे तो एथेरोस्क्लेरोसिस की रोकथाम करना बहुत कठिन होता है, परंतु, जोखिम कारको को कम करके एथेरोस्क्लेरोसिस को रोक सकते हैं या उसके द्वारा पैदा होने वाली समस्याओं को कुछ हद तक टाल सकते हैं। एथेरोस्क्लेरोसिस को रोकने के लिए एक व्यक्ति अपनी जीवन शैली में निम्नलिखित परिवर्तन कर सकता है:

  1. एक स्वस्थ आहार ले जिसमे शामिल है:
    1. फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन मीट, त्वचा-रहित चिकन, समुद्री भोजन और वसा रहित या कम वसा वाले डेयरी उत्पाद। 
    2. जितना हो सके अत्यधिक सोडियम (नमक) और अत्यधिक चीनी का उपयोग ना करें। इसके अलावा कम संतृप्त वसा, ट्रांस वसा, और कम कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करें। 
  2. नियमित रूप से व्यायाम करें और एक स्वस्थ वजन बनाए रखें।
    1. धीरे-धीरे छोटी सैर से शुरू करें और सप्ताह के अधिकांश दिनों में प्रतिदिन 30 मिनट तक चलें।
  3. किसी भी स्वास्थ्य स्थिति जिसके कारण एथेरोस्क्लेरोसिस का खतरा है, 
    1. विशेष रूप से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और पारिवारिक इतिहास है, तो यह महत्वपूर्ण है कि स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा निर्देशित दवाएं लें और इन स्तिथियों को प्रबंधित करें। 
  4. तम्बाकू उत्पादों का प्रयोग न करें /धूम्रपान ना करें। 

नियमित रूप से डॉक्टर से मिले और वार्षिक जांच करवाएं और एथेरोस्क्लेरोसिस के जोखिम कारकों को कम करके स्वस्थ जीवन जिए।

एथेरोस्क्लेरोसिस का निदान

एथेरोस्क्लेरोसिस के निदान के लिए चिकित्सक सम्पूर्ण मेडिकल इतिहास लेंगे और एथेरोस्क्लेरोसिस होने के जोखिम की गड़ना करने के लिए निम्नलिखित कदम उठायेंगे:

  1. चिकित्सक व्यापक रूप से परीक्षण करेंगे और स्टेथस्कोप से सुन के जांच करेंगे की रक्त प्रवाह में कोई बदलाव तो नहीं हैं। इसके अलावा वे परिवार के इतिहास, और जीवनशैली के बारे में विस्तार  से  पूछेंगे, विशेष रूप से धूम्रपान के बारे मे जानकारी महत्वपूर्ण होती है।
  2. एथेरोस्क्लेरोसिस की स्तिथि जानने के लिए वे रक्त परीक्षण का आदेश दे सकते हैं जैसे कार्डिएक रक्त परीक्षण जिससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर और हृदय फ़ंक्शन के बारे में कई विवरण पता चल सकते हैं।
  3. इसके अलावा एथेरोस्क्लेरोसिस के निदान के लिए निम्नलिखित परीक्षण किए जाते हैं, जिनमे शामिल हैं:
    1. एंजियोग्राफी: यह परीक्षण धमनी में रुकावटों का पता लगाने और मापने के लिए विशेष एक्स-रे का उपयोग करता है। इसके लिए एक कंट्रास्ट डाई धमनी में इंजेक्ट करके एक्स-रे पर रुकावटों को देखा जाता है। 
    2. रक्तचाप की तुलना: टखनों (एडी) और बाहों में रक्तचाप के माप की तुलना की जाती है, ऐसा करने से रक्त प्रवाह में किसी भी प्रकार की कमी को निर्धारित करने में मदद मिलती है। महत्वपूर्ण अंतर का मतलब हो सकता है कि एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण रक्त वाहिकाएं संकुचित हो चुकी हैं। 
    3. छाती का एक्स–रे: छाती का एक्स-रे सीने के अंदर की तस्वीरें लेता है और हृदय, फेफड़े और रक्त वाहिकाएं कि स्तिथि कि जानकारी देता है। इसके अलावा छाती का एक्स-रे हृदय की विफलता के संकेत भी प्रकट कर सकता है। 
    4. सीटी स्कैन: यह स्कैन शरीर के अंदर की तस्वीरें लेता है और बड़ी धमनियों के सख्त और संकुचित होने को दिखा सकता है। यह कोरोनरी कैल्सीफिकेशन (coronary atherosclerosis in hindi) को दिखा देता है, जो भविष्य में हृदय की समस्या का कारण बन सकता है।
    5. इकोकार्डियोग्राम: एक प्रतिध्वनि हृदय के वाल्वों और कक्षों की तस्वीरें लेती है और मापती है कि हृदय कितनी अच्छी तरह पंप कर रहा है।
    6. इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईकेजी): ईकेजी के माध्यम से दिल की विद्युत गतिविधि (इलेक्ट्रिकल ऐक्टिविटी), दर और लय को मापता है।
    7. व्यायाम तनाव (स्ट्रेस) परीक्षण: जब शारीरिक रूप से सक्रिय होते हैं तो हृदय ज्यादा काम करता है, इसलिए यह परीक्षण हृदय के कार्य को मापता है। 
    8. कैरोटिड अल्ट्रासाउंड: यह परीक्षण गर्दन (कैरोटीड धमनियों) में धमनियों की अल्ट्रासाउंड तस्वीरें लेता है। यह इन धमनियों के सख्त या संकुचित होने का पता लगा सकता है जैसे-जैसे मस्तिष्क में रक्त प्रवाहित होता है। 
    9. पेट का अल्ट्रासाउंड: यह अल्ट्रासाउंड उदर महाधमनी की तस्वीरें लेता है। यह एओर्टा में बैलूनिंग (एब्डॉमिनल एओर्टिक एन्यूरिज्म) या प्लाक बिल्डअप की जांच करता है। 

डॉक्टर के परामर्श की तैयारी कैसे करें?

डॉक्टर से परामर्श करने से पहले, अच्छी तरह से तैयार होना और कई महत्वपूर्ण कारकों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। मरीजों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. मरीजों को आराम से बैठना चाहिए और विस्तार से अपनी समस्याओं (आहार और जीवन शैली) की सूची बनानी चाहिए।
  2. डॉक्टर से कुछ छुपाना नहीं है और उन्हें पूरी जानकारी देनी है।
  3. परिवार के किसी सदस्य या मित्र को डॉक्टर के पास ले जाएं ताकि यदि जल्दी निर्णय लेने की आवश्यकता हो तो उसकी मदद की जा सके।

डॉक्टर से क्या उम्मीद करें?

चिकित्सक मेडिकल इतिहास, पारिवारिक इतिहास, और जीवन शैली के बारे मे रोगी को पूछेंगे। तत्पश्चात वे एथेरोस्क्लेरोसिस का निदान करने और उपचार की योजना बनाने के लिए ऊपर बताए गए परीक्षणों का आदेश दे सकते है।

आपको डॉक्टर से कौन से सवाल पूछने चाहिए?

डॉक्टर से जीवन शैली के बदलाव के प्रभावों के बारे में, दवाई कैसे लेनी है इसके बारे में और क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए, विस्तार से पूछना चाहिए । रोगी डॉक्टर से निम्नलिखित प्रश्न पूछ सकता है:

  1. एथेरोस्क्लेरोसिस क्या है?
  2. एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण क्या हैं?
  3. एथेरोस्क्लेरोसिस का क्या कारण है?
  4. एथेरोस्क्लेरोसिस का निदान कैसे किया जाता है?
  5. इस स्थिति का निदान करने के लिए कौन से परीक्षण किए जाएंगे?
  6. एथेरोस्क्लेरोसिस का इलाज क्या है?
  7. एथेरोस्क्लेरोसिस की जटिलताएं क्या हैं?
  8. एथेरोस्क्लेरोसिस को कैसे रोकें?
  9. एथेरोस्क्लेरोसिस को रोकने के लिए क्या खाना चाहिए?

एथेरोस्क्लेरोसिस के उपचार

एथेरोस्क्लेरोसिस के उपचार में निम्न में से एक या अधिक शामिल होते हैं, यह डॉक्टर निर्धारित करेंगे कि किस योजना से सबसे परिणाम मिलेंगे:

  1. जीवन शैली में परिवर्तन
  2. दवाएं
  3. प्रक्रियाएं या सर्जरी 

उपचार का लक्ष्य:

  1. रक्त के थक्कों के बनने के जोखिम को कम करना।
  2. दिल का दौरा या स्ट्रोक जैसी जटिलताओं को रोकना।
  3. लक्षणो का इलाज करके तकलीफ से आराम देना।
  4. एक स्वस्थ आहार की सलाह देना जो हृदय और रक्त प्रवाह बढ़ाने के लिय उत्तम हो।
  5. धमनियों में पट्टिका निर्माण को धीमा करना या रोकना।
  6. धमनियों को चौड़ा करके या रुकावटों को हटाकर रक्त प्रवाह में सुधार करना।

जीवन शैली

जीवन शैली में परिवर्तन जटिलताओं के खतरे को कम करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। जैसे कि ऊपर रोकथाम करने के टिप्स बताए गए हैं, उन्ही को दवाओ और सर्जिकल प्रक्रिया के साथ अपनाने की सलाह दि जाती है, ताकि मरीज को बेहतर परिणाम मिले। इसमे धूम्रपान से बचना, स्वस्थ आहार का सेवन, नियमित व्यायाम करना शामिल है।

आयुर्वेदिक उपचार

साक्ष्य के अनुसार आयुर्वेदिक प्रणाली के पांच औषधीय पौधों के जलीय अंश से युक्त पॉलीहर्बल सूत्रीकरण (भुक्स) में सूजन को रोकने वाले महत्वपूर्ण गुण होते हैं जो एथेरोस्क्लेरोसिस के खिलाफ एक प्रभावी सूत्रीकरण के रूप में कार्य करता है।

ये पाँच पौधे है: कमिफोरा मुकुल, टर्मिनेलिया अर्जुन, बोसवेलिया सर्राटा रॉक्सबी, सेमेकार्पस एनाकार्डियम लिन और स्ट्रीक्नोस नक्स वोमिका लिन। इन सब को एक विशेष अनुपात में लिया जाता है, और गैस्ट्रिक जलन को कम करने के लिए तैयार उत्पाद में CaCO3 (शंख भस्म) मिलाया जाता है।  

दवाएं

एथेरोस्क्लेरोसिस मे दवाएं प्लाक बिल्डअप के जोखिम कारकों को लक्षित करते हुए एथेरोस्क्लेरोसिस की प्रगति को धीमा करने में मदद कर सकती हैं और इनमे निम्नलिखित शामिल हैं जो :

  1. रक्तचाप की दवाएं: रक्तचाप को कम करके नियंत्रित करने के लिए ऐस इनहिबिटर्स और बीटा ब्लॉकर्स का इस्तेमाल किया जाता है। 
  2. कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं: कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए स्टैटिन और अन्य कोलेस्ट्रॉल दवाएं दी जाती है। 
  3. एंटी-डैबिटिक दवाओ द्वारा रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित किया जाता है।  
  4. एंटीप्लेटलेट दवाएं: रक्त के थक्कों को बनने से रोकने के लिए और रक्त को पतला करने के लिए एस्पिरिन का इस्तेमाल किया जाता है । 

प्रक्रियाएं या सर्जरी

विभिन्न न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रियाएं और सर्जरी उन मरीजों में इस्तेमाल की जाती है, जिनमे या तो बहुत ज्यादा गंभीर रुकावट है या जटिलताओं का बहुत खतरा है। इन एथेरोस्क्लेरोसिस के सर्जिकल उपचार विकल्पों में शामिल हैं:

  1. एंजियोप्लास्टी एक प्रक्रिया है जिसका उपयोग एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण हुए धमनी रोग कि वजह से अवरुद्ध धमनियों को खोलने के लिए किया जाता है। यह मुख्यत दो प्रकार से किया जाता है: 
    1. बलून एंजियोप्लास्टी में अवरुद्ध क्षेत्र को खोलने के लिए अवरुद्ध धमनी के अंदर एक छोटा गुब्बारा फुलाया जाता है। 
    2. लेजर एंजियोप्लास्टी में धमनी में रुकावट को वाष्पीकृत (वेपोराइस) करने के लिए एक लेज़र का उपयोग किया जाता है।
  2. एथेरेक्टॉमी: कैथेटर के अंत में एक छोटे उपकरण द्वारा धमनी के अंदर अवरुद्ध क्षेत्र को हटा दिया जाता है। 
  3. स्टेंट लगाना: अवरुद्ध क्षेत्र को खोलने के लिए अवरुद्ध धमनी के अंदर एक छोटे से तार के जाल (स्टेंट) फुलया जाता है और धमनी को खुला रखने के लिए स्टेंट को उसी जगह में छोड़ दिया जाता है। 
  4. कोरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ्टिंग: शरीर में कहीं और से एक स्वस्थ नस के एक टुकड़े को ग्राफ्ट करके और इसे कोरोनरी धमनी के अवरुद्ध क्षेत्र के ऊपर और नीचे जोड़कर बाईपास बनाया जाता है। इससे रुकावट के चारों ओर रक्त प्रवाहित हो जाता है। 
  5. परिधीय धमनी बाईपास: एक परिधीय धमनी बाईपास सर्जरी पैर में अवरुद्ध धमनी के चारों ओर रक्त के प्रवाह के लिए एक और रास्ता बनाती है। 

उपचार का दृष्टिकोण और प्रक्रियाओं का चयन रोगी की स्वास्थ्य स्थिति और इलाज करने वाले डॉक्टर की राय पर निर्भर करता है।

एथेरोस्क्लेरोसिस की जटिलताए

एथेरोस्क्लेरोसिस की जटिलता बिना किसी चेतावनी संकेत के अचानक से हो सकती है। कुछ स्थितियाँ, जैसे दिल का दौरा और स्ट्रोक, विकलांगता या मृत्यु का भी कारण बन सकती हैं।

जैसे-जैसे धमनियों में प्लाक का बढ़ना जारी रहता है, वैसे-वैसे जानलेवा जटिलताओं का खतरा भी बढ़ता जाता है। एथेरोस्क्लेरोसिस से जुड़ी कुछ जटिलताएँ हैं: 

मस्तिष्क की स्थिति: मस्तिष्क को ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में प्लाक का निर्माण स्ट्रोक का कारण बन सकता है। पट्टिका टूट सकती है या रक्त के थक्के का कारण बन सकती है जो मस्तिष्क तक जाती है, जिससे स्ट्रोक भी हो सकता है। 

हृदय की समस्याएं: कोरोनरी हृदय रोग, अतालता (अनियमित दिल की धड़कन), कार्डियक अरेस्ट, दिल की विफलता या दिल का दौरा पड़ सकता है।

अंग क्षति: प्लाक बिल्डअप अंगों में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है, जिससे क्रोनिक किडनी रोग जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं। आंतों में रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों के सिकुड़ने (मेसेंटेरिक आर्टरी) के कारण आंतों के ऊतक मर जाते हैं या गंभीर संक्रमण हो जाता है। अंग क्षति घातक हो सकती है और मृत्यु का कारण भी बन सकती है। 

अंगों के साथ समस्याएं: परिधीय धमनी रोग (पीएडी) हाथों या पैरों में लंबे समय तक खराब रक्त प्रवाह का कारण बन सकता है। संकेतों में रक्त प्रवाह की कमी के कारण घाव, संक्रमण और ऊतक की मृत्यु (गैंग्रीन) शामिल हैं। 

डॉक्टर को कब देखना है?

यदि लक्षण पहले से बिगड़ जाए या नए लक्षणो का सामना करना पड़ रहा है विशेष रूप से तब जब उच्च रक्तचाप या रक्त शर्करा की समस्या है, तो रोगी को डॉक्टर से मिलना चाहिए और बिल्कुल देरी नहीं करनी चाहिए। इसके सिवा डॉक्टर बताना चाहिए अगर रोगी को उपचार योजना के किसी भी हिस्से की वजह से समस्या हो रही है। 

समय पर इलाज नहीं किया तो जोखिम?

एथेरोस्क्लेरोसिस का प्रारंभिक निदान और उपचार एथेरोस्क्लेरोसिस वाले लोगों को स्वस्थ, सक्रिय जीवन जीने में मदद कर सकता है। यह बीमारी चिकित्सकीय आपात स्थिति पैदा कर सकती है और यहां तक ​​कि घातक भी हो सकती है। इसीलिए जोखिमों को जानना और उन्हें कम करने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के साथ संपर्क मे रहिए और उनके दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए। 

एथेरोस्क्लेरोसिस के लिए आहार

हृदय-स्वस्थ आहार कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके एथेरोस्क्लेरोसिस को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है। निम्नलिखित आहार दिशानिर्देश सहायक हो सकते हैं:

क्या खाना चाइए

  1. फलों, सब्जियों और साबुत अनाज (गेहूं, जई) से भरपूर आहार लें, इससे शरीर का मेटाबलिज़म ठीक रहता है और वजन नियंत्रण में रहता है।
  2. मक्खन जैसे संतृप्त वसा के बजाय कनोला तेल जैसे असंतृप्त वनस्पति तेल चुनें।
  3. सोडियम या नामक का सेवन कम करें ताकि रक्तचाप नियंत्रण में रहे। 
  4. लीन मीट, सीफूड (मछली) और स्किनलेस चिकन जैसे लीन प्रोटीन स्रोत चुनें।

क्या नहीं खाना चाहिए 

  1. संतृप्त वसा, लाल मांस और पूर्ण वसा वाले डेयरी उत्पादों का सेवन सीमित करें क्योंकि इससे मोटापे का खतरा बढ़ जाता है और कलेस्टरल का स्तर प्रभावित हो सकता है।
  2. अतिरिक्त शक्कर और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को सीमित करें, ताकि शरीर में डाईबिटिस से सुरक्षा मिलती रहे।
  3. नमक और उच्च सोडियम प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को सीमित करके रक्तचाप को नियंत्रण में रखें।  

विशिष्ट आवश्यकताओं और चिकित्सा इतिहास के अनुरूप व्यक्तिगत योजना के लिए डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

एथेरोस्क्लेरोसिस एक गंभीर स्थिति है जो जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकती है। हालांकि यह एक पुरानी बीमारी है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है, इसे जीवनशैली में बदलाव, दवा और चिकित्सा प्रक्रियाओं के संयोजन के माध्यम से प्रबंधित किया जा सकता है। एथेरोस्क्लेरोसिस के जोखिम कारकों और लक्षणों को समझना शुरुआती पहचान और प्रभावी प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है।

यदि आपको अभी एथेरोस्क्लेरोसिस, कोरोनरी एथेरोस्क्लेरोसिस, या किसी अन्य संबंधित जानकारी से संबंधित कोई संदेह है, तो HexaHealth में हमारी व्यक्तिगत देखभाल टीम से बेझिझक संपर्क करें। हमें हमेशा मदद करके खुशी होती हैं! यदि आप एथेरोस्क्लेरोसिस के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट HexaHealth पर भी जा सकते हैं।

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अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

एथेरोस्क्लेरोसिस धमनियों का मोटा होना या सख्त होना होता है । यह धमनी की अंदरूनी परत में पट्टिका के निर्माण के कारण होता है।n पट्टिका वसायुक्त पदार्थों, कोलेस्ट्रॉल, सेलुलर अपशिष्ट उत्पादों, कैल्शियम और फाइब्रिन के जमाव से बनी होती है। जैसे-जैसे यह धमनियों में बनता है, धमनी की दीवारें मोटी और कड़ी हो जाती हैं।
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धमनीकाठिन्य धमनियों के सख्त होने को संदर्भित करता है, जिसका अर्थ है कि धमनियां मोटी हो जाती हैं और अपना लचीलापन खो देती हैं। धमनीकाठिन्य के कई अलग-अलग प्रकार होते है, एथेरोस्क्लेरोसिस, जो फैटी प्लाक बिल्डअप से विकसित होता है, धमनीकाठिन्य का एक सामान्य प्रकार है।
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एथेरोस्क्लेरोसिस की स्तिथि जानने के लिए वे रक्त परीक्षण जैसे कार्डिएक रक्त परीक्षण जिससे आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर और आपके हृदय फ़ंक्शन के बारे में पता लगाया जाता है। इसके अलावा एक्स रे, एंनजिओग्राफी, और अल्ट्रसाउन्ड जैसे टेस्ट किए जाते हैं
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यह बहुत अच्छे से स्पष्ट नहीं है कि एथेरोस्क्लेरोसिस का मुख्य कारण क्या होता है परंतु, कई वैज्ञानिकों का मानना है कि पट्टिका तब शुरू होती है जब धमनी की आंतरिक परत धूम्रपान, कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर, और मधुमेह जैसी सतीथीयों से क्षतिग्रस्त हो जाती है।
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प्रभावित धमनी के आधार पर एथेरोसिलेरोसिस और धमनीकाठिन्य के लक्षण भी भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, जब एक प्रमुख धमनी अवरुद्ध हो जाती है, तो संकेत और लक्षण गंभीर हो सकते हैं, जैसे कि दिल का दौरा, स्ट्रोक या रक्त का थक्का।
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एथेरोस्क्लेरोसिस और धमनीकाठिन्य के उपचार में निम्न में से एक या अधिक शामिल होते हैं, जैसे: 

  1. जीवन शैली में परिवर्तन
  2. दवाएं
  3. प्रक्रियाएं या सर्जरी 
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एक स्वस्थ आहार, वजन कम करना, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना और धूम्रपान न करना आपके एथेरोस्क्लेरोसिस के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। यदि आपको पारिवारिक इतिहास, या उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण एथेरोस्क्लेरोसिस का खतरा है, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने डॉक्टर द्वारा निर्देशित दवाएं लें।
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एक स्वस्थ आहार जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन मीट, त्वचा रहित चिकन, समुद्री भोजन और वसा रहित या कम वसा वाले डेयरी उत्पाद शामिल होते हैं और आहार में कम मात्रा में नमक, कम चीनी और ठोस वसा को सीमित करना जैसे बदलाव एथेरोसिलेरोसिस और धमनीकाठिन्य को रोक सकते हैं।
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एक स्वस्थ आहार, वजन कम करना, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना और धूम्रपान न करना आपके एथेरोस्क्लेरोसिस और धमनीकाठिन्य से जुड़ी जटिलताओ को कम करने में मदद कर सकता है।
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साक्ष्य के अनुसार आयुर्वेदिक प्रणाली के पांच औषधीय पौधों के जलीय अंश से युक्त पॉलीहर्बल सूत्रीकरण (भुक्स) में महत्वपूर्ण सूजन को रोकने वाले गुण होते हैं और एथेरोस्क्लेरोसिस के खिलाफ एक प्रभावी सूत्रीकरण के रूप में कार्य करता है।
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नियमित एरोबिक व्यायाम आपके रक्त में वसा की मात्रा को कम करके, आपके रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को कम करके और आपके वजन को नियंत्रित करके एथेरोस्क्लेरोसिस से लड़ने में मदद कर सकता है। आप ब्रिस्क वॉकिंग, साइकिलिंग और स्विमिंग जैसे व्यायाम कर सकते हैं।
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सन्दर्भ

हेक्साहेल्थ पर सभी लेख सत्यापित चिकित्सकीय रूप से मान्यता प्राप्त स्रोतों द्वारा समर्थित हैं जैसे; विशेषज्ञ समीक्षित शैक्षिक शोध पत्र, अनुसंधान संस्थान और चिकित्सा पत्रिकाएँ। हमारे चिकित्सा समीक्षक सटीकता और प्रासंगिकता को प्राथमिकता देने के लिए लेखों के संदर्भों की भी जाँच करते हैं। अधिक जानकारी के लिए हमारी विस्तृत संपादकीय नीति देखें।


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Last Updated on: 27 May 2023

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Aman Priya Khanna

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES

12 Years Experience

Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More

लेखक

Sparshi Srivastava

Sparshi Srivastava

B.Tech Biotechnology (Bansal Institute of Engineering and Technology, Lucknow)

2 Years Experience

An ardent reader, graduated in B.Tech Biotechnology. She was previously associated with medical sciences secondary research and writing. With a keen interest and curiosity-driven approach, she has been able to cont...View More

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