ओस्सिकुलोप्लास्टी क्या है? - उद्देश्य, प्रक्रिया, लागत, जटिलताएं और देखभाल

Ossiculoplasty in Hindi

Treatment Duration

clock

1 Hours

------ To ------

2 Hours

Treatment Cost

rupee

70,000

------ To ------

1,30,000

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ओस्सिकुलोप्लास्टी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अगर कान के बीच की हड्डियां क्षतिग्रस्त हो जाएं या किन्हीं कारणों से ठीक से काम न कर पाएं तो उन्हें सर्जरी की मदद से दोबारा बनाया जाता है। इस सर्जरी में कुछ इंटरपोजिशन उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है जो कान की मध्य-हड्डियों को वापस से ठीक करने में मदद करती हैं। इन हड्डियों को फिर से बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोस्थेटिक्स बढ़िया, सुरक्षित और आसानी से उपलब्ध होने चाहिए।
ओस्सिकुलोप्लास्टी की प्रक्रिया में मरीज की उम्र और उसकी हालत की गंभीरता के हिसाब से १ से २ घंटे का समय लगता है। इस प्रक्रिया में सफलता का दर काफी ज्यादा है और यह मरीज के सुनने की क्षमता को काफी सुधार देता है।

सर्जरी का नाम ओस्सिकुलोप्लास्टी
रोग का इलाज बहरापन, कोलेस्टीटोमा, ओटोस्क्लेरोसिस
सर्जरी के फाएदे
ऊंची सफलता दर, सुनने की क्षमता में सुधार, चक्कर का आना कम होना, बातचीत में सुधार
किसके द्वारा उपचार ऑटोलरिंजोलॉजिस्ट (कान, नाक और गले का डॉक्टर)

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ओस्सिकुलोप्लास्टी क्या है?

ओस्सिकुलोप्लास्टी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जो क्षतिग्रस्त या खराब हो गई कान की मध्य-हड्डियों को फिर से बनाने के लिए की जाती है। यह प्रक्रिया कान के मध्य भाग में ध्वनि के संचार को फिर से ठीक करने में मददगार होती है।

कान की आतंरिक संरचना और कार्य

मानव के कान उसके शरीर का वह हिस्सा है जो ध्वनि तरंगों को पहचानकर उन्हें इलेक्ट्रिक इम्पल्स में बदल कर उन्हें सुनने में मदद करता है। कान के तीन अलग-अलग हिस्से होते हैं: बाह्य (बाहरी), मध्य (बीच का) और आतंरिक (भीतर का)। 

  1. बाह्य कान: यह ओरिकल या पिन्ना कहा जाने वाला कान का बाहरी हिस्सा है जो नज़र आता है और वह बाहरी ऑडीट्री केनाल जो कान की झिल्ली/परदे (ईयरड्रम) से बंद होती है।
  2. मध्य कान: यह एक संकरी, हवा से भरा एक छिद्र है और इसमें तीन छोटी छोटी हड्डियां होती हैं जिनके नाम हैं मैलियस, इनकस और स्टेपीज़। इन्हें सुनने वाली हड्डियों के रूप में जाना जाता है। ये हड्डियां कान के परदे को अंडाकार छिद्र से जोड़ती हैं। मध्य कान का काम बाह्य कान से मिली हुई ध्वनियों को बढ़ा कर आतंरिक कान तक पहुंचाना होता है। मध्य कान के द्वारा अंडाकार खिड़की तक पहुंचाई गई ध्वनि का दबाव कान के परदे पर पड़ने से करीब २० गुणा ज्यादा होता है। 
  3. आतंरिक कान: इसमें वेस्टिब्यूल और अर्ध-वृताकार कैनाल होते हैं जो हमारे शरीर के संतुलन के लिए जिम्मेवार होते हैं और कोक्लीअ हमारी सुनने की क्षमता के लिए जिम्मेवार होती है। आंतरिक कान में आठ कपाल तंत्रिकाएं ( क्रेनियल नर्व) भी होती हैं, जिन्हें वेस्टिबुलोकोक्लियर नर्व्स भी कहते हैं।

कान दो अति-महत्वपूर्ण काम के लिए जिम्मेदार होते हैं – सुनने और शरीर के संतुलन को बनाए रखने के लिए और सर और आंखों की गति में समन्वय बनाने के लिए।

ओस्सिकुलोप्लास्टी के द्वारा इन रोगों का इलाज संभव है

ओस्सिकुलोप्लास्टी सामान्यतः व्यक्ति के सुनने की क्षमता को पुनः स्थापित करने के लिए की जाती है। इसके अलावा यह निम्नलिखित रोगों/ परिस्थितियों के भी इलाज में काम आता है:

  1. कोलेस्टीटोमा
  2. ओटोस्क्लेरोसिस
  3. मायरिंगोस्टैपेडिओपेक्सी

ओस्सिकुलोप्लास्टी की जरुरत किसे है?

ओस्सिकुलोप्लास्टी आमतौर पर ऐसे लोगों पर किया जाता है जिनके कान की मध्य-हड्डियों में किसी प्रकार की परेशानी के कारण सुनने की क्षमता में कमी आ जाती है। इस प्रक्रिया के बाद मरीज के सुनने, वर्तालाप करने और समाज में जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार होती है।

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ओस्सिकुलोप्लास्टी कैसे की जाती है?

मरीज की उम्र और उसकी हालत की गंभीरता के आधार पर ओस्सिकुलोप्लास्टी की प्रक्रिया में १ से २ घंटे का समय लगता है। इस प्रक्रिया के लिए मरीज को बेहोश करने के लिए लोकल या जनरल एनेसथेसिया दिया जा सकता है जिसका चुनाव इस पर निर्भर करेगा कि क्या साथ में अन्य प्रक्रियाएँ भी की जानी है। ओस्सिकुलोप्लास्टी सर्जरी के दौरान निम्नलिखित प्रक्रियाएं की जाती हैं:

  1. जनरल एनेसथेसिया देने के बाद चेहरे की नसों पर ध्यान रखा जाता है ताकि उनको किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे।
  2. यदि जनरल एनेसथेसिया दिया गया है तो स्वांस की गति को आसन करने के लिए एक स्वांस नली भी लगाई जाएगी।
  3. पूरी प्रक्रिया के दौरान हृदय गति, रक्तचाप और सांस लेने की दर जैसी सभी महत्वपूर्ण चीजों पर भी नजर रखा जाएगा।
  4. प्रक्रिया के बाद कानों को अच्छे से ऐसे ढक दिया जाएगा ताकि कानों को बाहरी संक्रमण से बचाया जा सके।
  5.  सर्जन मध्य कान तक निम्न तरीके से पहुंचेगा: 
    1. ट्रांसकैनल तरीका: ८ मिलीमीटर के लगभग दो चीरा लगाकर टाइम्पेनोमेट्री फ्लैप को थोड़ा ऊंचा किया जाता है। इन दोनों चीरों के बीच एक और चीरा लगा कर एक “U” आकर का फ्लैप बनाया जाएगा। इस “U” आकर के फ्लैप के द्वारा ही सर्जरी के औजार मध्य कान की हड्डियों तक पहुंचेंगे।
    2. पोस्टौरिकुलर तरीका: इस तरीके में सर्जन कान के पीछे छेद करके मध्य कान तक पहुंच सकते हैं। 
      1. मध्य कान तक पहुंचते ही सर्जन किसी प्रकार की खराबी का पता लगाएंगे।
      2. मरीज की स्थिति के आधार पर वे यह निर्णय लेंगे कि ऑटोलॉगस या कृत्रिम पुनर्निर्माण करना सही है।
      3. सर्जन टोटल ऑसिकुलर रिप्लेसमेंट प्रोस्थेसिस (टीओआरपी), आंशिक ऑसिकुलर रिप्लेसमेंट प्रोस्थेसिस (पीओआरपी), और इनकस इंटरपोजिशन या इनकस रिप्लेसमेंट प्रोस्थेसिस में से किन्ही प्रक्रियाओं का उपयोग कर सकते हैं।
      4. यदि ऑटोलॉगस ग्राफ्ट का उपयोग किया जाता है, तो इसे औरिकुलर कार्टिलेज से काट कर लिया जाएगा।
  6. बनाए गए प्रोस्थेसिस यानी कृत्रिम अंग को फिर उस लम्बाई तक काटा जाएगा जितनी कार्टिलेज शील्ड या कृत्रिम अंग पर लगे कैप की मोटाई हो।
  7. इसके बाद सर्जन जेलातीं में डुबोया हुआ एक स्पंज नए बनाये कृत्रिम अंग के चारों तरफ लगा कर उसे और स्थिरता देंगे।
  8. प्रक्रिया के पूरा हो जाने पर सर्जन उसे वाटरप्रूफ पट्टी से ढंक देंगे और फिर मरीज को रिकवरी रूम ले जाया जाएगा।

ओस्सिकुलोप्लास्टी के पहले और ओस्सिकुलोप्लास्टी वाले दिन क्या उम्मीद कर सकते हैं?

ओस्सिकुलोप्लास्टी के पहले डॉक्टर/सर्जन मरीज से बात करके उन्हें इस प्रक्रिया के लिए तैयार करेंगे। इसमें अक्सर निम्नलिखित चरण शामिल हैं:

ओस्सिकुलोप्लास्टी के पहले

  1. डॉक्टर मरीज को एक हिअरिंग टेस्ट कराने के लिए कहेंगे।
  2. डॉक्टर कुछ इमेजिंग टेस्ट और खून की जांच के लिए भी कह सकते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मरीज की सर्जरी की जा सकती है और उसे कोई अन्य रोग नहीं है।
  3. डॉक्टर मरीज से उसके पुराने रोगों के विषय में भी जानकारी मांग सकते हैं। इससे डॉक्टर को पूर्व में हुए किसी भी संक्रमण या अन्य जटिलताओं के बारे में समझने में आसानी होगी।
  4. किसी भी तरह की दवाइयों की सलाह लेते वक़्त मरीजों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्होंने डॉक्टर को अपनी पूरी मेडिकल हिस्ट्री बताई है साथ ही उन दवाइयों की भी जानकारी दी है जो वह ले रहा है। इसमें हर दवाई शामिल होनी चाहिए चाहे वह किसी डॉक्टर के कहने पर ली गई हो या यूं ही दवा दुकान से ले ली गई हो।
  5. डॉक्टर सर्जरी वाले दिन मरीज को आधी रात के बाद कुछ भी खाने से मना कर सकते हैं।    
  6. हालांकि मरीज बताई गई दवाई थोड़े से पानी के साथ सर्जरी वाले दिन भी ले सकता है।
  7. ऑपरेशन कक्ष में जाने से पहले नर्स मरीज को IV लगाएगी।

ओस्सिकुलोप्लास्टी वाले दिन

  1. मरीज को सर्जरी के लिए दिए गए वक़्त से पहले ही अस्पताल पहुंच जाना चाहिए।
  2. मरीज को उस दिन भर्ती और सर्जरी के पहले सहमति पत्र और अन्य कागजी कार्यवाई करने को कहा जाएगा।
  3. रोगी को अपने सारे कीमती सामन घर पर ही छोड़ कर आना चाहिए।
  4. मरीज को हस्पताल में ढीले-ढाले आरामदायक कपड़े पहन कर आना चाहिए।
  5. सर्जरी के पहले मरीज की कलाई पर अस्पताल का इनफार्मेशन बैंड पहनाया जाएगा। इस बैंड पर मरीज के विषय में जानकारियां होंगी जैसे कि उनका नाम, जन्म तिथि और होने वाली सर्जरी का नाम।
  6. सर्जरी के लिए भीतर जाने से पहले नर्स इन जानकारियों को दोबारा से पूछ सकती है। यह गलत सर्जरी हो जाने के खतरे को टालने के लिए किया जाता है।
  7. वाईटल्स पर नजर रखी जाएगी।
  8. इसके बाद मरीज को सर्जरी के लिए भेज दिया जाएगा।

ओस्सिकुलोप्लास्टी के बाद क्या उम्मीद कर सकते हैं?

जिस मरीज की ओस्सिकुलोप्लास्टी हुई हो वह उसके बाद यह उम्मीद कर सकता है:

अस्पताल के भीतर ठीक होने की प्रक्रिया

  1. सर्जरी के बाद मरीज को हस्पताल के वार्ड में भेज दिया जाएगा जहां वह रिकवर कर सके।
  2. सर्जरी के बाद मरीज को कान में हल्के धड़कते हुए से दर्द का एहसास हो सकता है। इस दर्द से निजात पाने के लिए डॉक्टर दर्द की दवाई भी लिख सकते हैं।
  3. मरीज को कान में कुछ अलग सी आवाजों का एहसास हो सकता है खासकर कुछ चबाते समय या जम्हाई लेते समय।
  4. सर्जरी के कुछ दिन बाद तक कान से पानी भी बह सकता है।
  5. कभी-कभार मरीज को कान से खून की कुछ बूंदें भी निकलती हुई नज़र आ सकती हैं।
  6. सर्जरी के पूरा होने के कुछ घंटो बाद तक ही हस्पताल में रहना पड़ सकता है। हालांकि कुछ मरीजों को एक रात के लिए रुकना भी पड़ सकता है।
  7. मरीज की स्थिति स्थिर होते ही डॉक्टर उन्हें दवाइयों के साथ घर जाने की इजाजत दे देंगे और घर पर ख्याल रखने के तरीकों के बारे में भी बताएंगे।

अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद ठीक होने की प्रक्रिया /उम्मीद

  1. अस्पताल से छुट्टी के बाद डॉक्टर मरीज को घर पर ही रहने की सलाह देंगे।
  2. छुट्टी के वक्त डॉक्टर दवाइयों के साथ कान में डालने के लिए कुछ ड्रॉप्स के नाम भी बताएंगे। 
  3. डॉक्टर द्वारा बताए गए ड्रॉप्स के अलावा मरीज को कान में कोई भी दूसरी चीज नहीं डालनी चाहिए।
  4. सर्जरी के कुछ हफ़्तों बाद तक मुंह बंद करके छींकना या नाक झाड़ना सही नहीं होगा।
  5. नहाते वक्त भी कान को सूखा रखा जाना चाहिए।
  6. मरीज को काम या पढाई से १०-१२ दिन की छुट्टी ले लेनी चाहिए।
  7. हवाई यात्रा १३-१५ दिन तक नहीं की जानी चाहिए।

पहला फॉलो-अप अपॉइंटमेंट

  1. डॉक्टर पहले फॉलो-अप के लिए मरीज को सर्जरी के ८-१० दिन बाद बुलाएंगे।
  2. इस वक्त डॉक्टर मरीज के कान से ड्रेसिंग को हटा देंगे।
  3. ड्रेसिंग के हटने के बाद मरीज को घर जाने की अनुमति होगी।
  4. इसके बाद मरीज को हर साल ऑडियोमेट्री जांच के लिए आने की जरुरत होगी। यह इस बात को सुनिश्चित करेगा कि कान के मध्य-हड्डियों पर लगाए गए इम्प्लान्ट्स स्थिर रहें।
  5. मरीज की स्थिति के अनुसार डॉक्टर दवाइयां बदल भी सकते हैं या पुरानी दवाइयों को कुछ और समय लेने की सलाह भी दे सकते हैं।

ओस्सिकुलोप्लास्टी के फायदे

ओस्सिकुलोप्लास्टी एक सुरक्षित प्रक्रिया है और इसके कई फाएदे हैं जो मरीज के जीवन के स्तर को सुधार सकते हैं। ओस्सिकुलोप्लास्टी के निम्नलिखित फाएदे हैं:
  1. ऊंची सफलता दर वाली विधि
  2. सुनने की क्षमता में सुधार
  3. चक्कर आने में कमी
  4. आत्मविश्वास और सामजिक जुडाव में बढ़ोतरी
  5. बच्चों में नींद, संचार और व्यवहार में सुधार

ओस्सिकुलोप्लास्टी से जुड़े जोखिम और जटिलताएं

ओस्सिकुलोप्लास्टी के बाद अक्सर मरीज जल्दी ही ठीक हो जाते हैं और शायद ही इस प्रक्रिया में कभी कोई खतरा या जटिलताएं होती हों। लेकिन, कुछ मरीज निम्नलिखित चीजें अनुभव कर सकते हैं:

  1. सुनने की क्षमता में कोई सुधार नहीं
  2. लगाए गए कृत्रिम अंग का बाहर निकल आना
  3. लगाए गए ग्राफ्ट का गल जाना
  4. स्टेपीज़ का विस्थापन
  5. ऐनुलर लिगामेंट में गड़बड़ी
  6. सुनने की क्षमता का खो जाना (पूरी तरह या गंभीर रूप से)

डॉक्टर से सलाह लेने की जरुरत कब होती है?

मरीज अगर निम्नलिखित में से किसी भी तरीके से कोई असुविधा महसूस करता है तो डॉक्टर से सलाह ले सकता है:

  1. सुनने की क्षमता में कमी (यह अनुचित ग्राफ्टिंग के कारण हो सकता है)
  2. टिनीटस (कान में शोर गूंजना)
  3. जिस कान में सर्जरी हुई उसमें संक्रमण
  4. बुखार
  5. स्वाद में गड़बड़ी
  6. चक्कर आना
  7. चेहरे की नसों में पैरालिसिस (यह दुर्लभ स्थिति में ही होता है)

ओस्सिकुलोप्लास्टी में देरी होने से जुड़े खतरे

ओस्सिकुलोप्लास्टी में देर करने से दर्द बढ़ने और सुनने की क्षमता खोने का डर रहता है। निम्नलिखित ओस्सिकुलोप्लास्टी में देरी होने से होने वाले सामान्य खतरे हैं:

  1. सर्जरी के पूरा होने के बाद भी सुनने की क्षमता का वापस न आ पाना
  2. ग्राफ्टिंग या मध्य-हड्डियों का गल जाना
  3. स्टेपिज़ का जगह परिवर्तित हो जाना
  4. चक्कर आना

ओस्सिकुलोप्लास्टी का खर्च

ओस्सिकुलोप्लास्टी का खर्च ७०,००० से १,१३,००० तक हो सकता है। यह खर्च निम्न कारणों से घट या बढ़ सकता है:

  1. मरीज की उम्र
  2. की जाने वाली प्रक्रिया का प्रकार
  3. इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक और औजार
  4. मरीज की चिकित्सकीय हालत
  5. हस्पताल की सुविधा का प्रकार – व्यक्तिगत कमरा या दूसरों के साथ साझा किया गया कमरा
प्रक्रिया का नाम प्रक्रिया का खर्च
ओस्सिकुलोप्लास्टी ७०,००० से १,१३,०००

Frequently Asked Questions (FAQ)

  1. मिथक: ओस्सिकुलोप्लास्टी में बहरेपन और चेहरे की पैरालिसिस का बहुत खतरा होता है।
    तथ्य: यह सच नहीं है। ऐसा बहुत कम ही होता है कि ओस्सिकुलोप्लास्टी के बाद मरीज में बहरापन आ जाए। ठीक इसी तरह चेहरे की पैरालिसिस भी बहुत ही कम मरीजों में देखने को मिलती है।
  2. मिथक: ओस्सिकुलोप्लास्टी से हमेशा ही सुनने की क्षमता बढ़ जाती है।
    तथ्य: ज्यादातर मामलो में ओस्सिकुलोप्लास्टी के बाद मरीजों के सुनने की क्षमता में काफी सुधार हो जाता है। लेकिन कुछ मामलो में ऐसा भी हो सकता है कि मरीज के सुनने की क्षमता में कोई सुधार ना हो जबकि हियरिंग टेस्ट सकारात्मक नतीजा दिखाए।
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ओस्सिकुलोप्लास्टी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जो क्षतिग्रस्त या ख़राब हो गई कान की मध्य-हड्डियों के पुनः निर्माण के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया कान के मध्य भाग में ध्वनि के संचार को फिर से ठीक करने में मददगार होती है।
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मरीज की उम्र, उसकी हालत की गंभीरता और केस की जटिलता के हिसाब से इस प्रक्रिया में १ से २ घंटे तक का वक़्त लग सकता है।
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ओस्सिकुलोप्लास्टी के बाद मरीज को ठीक होने में ४ से ६ सप्ताह का समय लग सकता है। मरीज जैसे ही ठीक महसूस करे, वह अपने रोजना के काम पहले की तरह ही कर सकता है।
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ओस्सिकुलोप्लास्टी सर्जरी कान, नाक और गले के विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ कर्मचारियों की मदद से करते हैं।
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ओस्सिकुलोप्लास्टी की सफलता ‘एयर-बोन-गैप’ (abg) से मापा जाता है जो २० डेसिबल या उससे बेहतर हो। सफलता का दर ५५% से ७५% तक होता है।
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ओस्सिकुलोप्लास्टी के बाद मरीज प्रायः जल्दी ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन, किसी भी अन्य सर्जरी की तरह ओस्सिकुलोप्लास्टी में भी कुछ खतरे हो सकते हैं। इसमें सुनने की क्षमता का बिगड़ जाना, कान में झनझनाहट सा शोर, संक्रमण, बुखार, स्वाद में गड़बड़ी और चक्कर आदि शामिल है।
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ओस्सिकुलोप्लास्टी एक सुरक्षित प्रक्रिया है और इसके कई फाएदे हैं जो मरीज के जीवन के स्तर को सुधार सकते हैं। ओस्सिकुलोप्लास्टी से जुड़े कुछ फाएदे हैं – सुनने की क्षमता का ठीक हो जाना, चक्कर का कम हो जाना, आत्मविश्वास और सामाजिक जुडाव में वृद्धि आदि।
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ओस्सिकुलोप्लास्टी की जरुरत तब पड़ती है जब कान के भीतर की हड्डियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिसके कारण आवाजें कान के भीतर कम जाती हैं और व्यक्ति की सुनने की क्षमता कम हो जाती है। ओस्सिकुलोप्लास्टी में एक या एक से अधिक हड्डियों को ठीक करके सुनने की क्षमता को ठीक किया जाता है।
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मरीज सर्जरी के बाद हल्के दर्द की शिकायत करते हैं और सुनने की क्षमता के ठीक हो जाने में ६ से ८ हफ्ते का वक्त लग सकता है।
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हां, करीब एक हफ्ते तक कान से मोटा, चिपचिपा या खून मिले हुए तरल पदार्थ का बाहर आना सामान्य बात है। डॉक्टर इसे सावधानी से साफ करने की सलाह देंगे।
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सर्जरी के बाद कम से कम एक महीने तक मरीज को कान में ईयरफोन या ईयरबड्स डालने से बचना चाहिए। इससे कान में दर्द या संक्रमण हो सकता है।
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ओस्सिकुलोप्लास्टी सर्जरी के बाद मरीज को कान में हल्के धड़कते हुए से दर्द का एहसास हो सकता है। इस दर्द से निजात पाने के लिए डॉक्टर दर्द की दवाई भी लिख सकते हैं। मरीज को कान में कुछ अलग सी आवाजों का एहसास हो सकता है खासकर कुछ चबाते समय या जम्हाई लेते समय।
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ओस्सिकुलोप्लास्टी का खर्च ७०,००० से १,१३,००० तक हो सकता है।
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ओस्सिकुलोप्लास्टी का खर्च मरीज के उम्र, प्रक्रिया के प्रकार, इस्तेमाल की गई तकनीक और औजार, मरीज द्वारा चुनी गई हस्पताल की सुविधा आदि कारणों से अलग हो सकता है।
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हां, सारे स्वास्थ्य बीमा ओस्सिकुलोप्ला स्टी का खर्च उठाते हैं। सारी कागजी कार्यवाही आपकी जगह हमारी टीम करती है ताकि आसानी से बिना पैसे दिए आपका काम हो जाए। बिना झंझट के कैशलेस इलाज के लिए हेक्साहेल्थ से संपर्क करें।
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