विटमिन डी के 7 बड़े चौंकाने वाले फायदे, शरीर को रखे सेहतमंद

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Written by Hexahealth Care Team, last updated on 24 June 2023
विटमिन डी के 7 बड़े चौंकाने वाले फायदे, शरीर को रखे सेहतमंद

क्या आपकी हड्डियों में दर्द रहता हैं? क्या आप जल्दी से थक जाते हैं? यह सब विटामिन डी की कमी की निशानियां हैं । विटामिन डी को “सन्शाइन विटामिन” के नाम से भी जाना जाता है। यह सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है जो शरीर के सामान्य कामकाज को सही तरीके से पूरा करने के लिए आवश्यक है। 

सबसे अच्छी बात यह है कि शरीर इसका निर्माण स्वयं कर सकता है। विटामिन डी के सक्रिय रूप के निर्माण के लिये इसे कुछ चरणों से गुजरना पड़ता है, जिसमे त्वचा, लिवर और गुर्दे कि विशेष भूमिका होती है। इस लेख के माध्यम से विटामिन डी के फायदे (vitamin d ke fayde)और कमी के विषय में विस्तार से चर्चा करते हैं।

विटामिन डी क्या है?

विटामिन डी एक वसा में घुलनशील (फैट-सोलयूबल) विटामिन है, यानि कि यह विटामिन वसा में घुल सकता है। यह विशेष रूप से हड्डियों और मांसपेशियों के विकास, दांतों के स्वास्थ्य, सामान्य कोशिकाओ की वृद्धि में मदद करता है।

यह विटामिन शरीर में संग्रहित हो जाता है, यही वजह है कि बहुत अधिक विटामिन डी लेने से इसका स्तर शरीर में बहुत बढ़ सकता है। जहाँ एक तरफ विटामिन डी के फायदे हैं, वहीं, अगर इस विटामिन का स्तर, सामान्य स्तर से ज्यादा हो जाए, तो स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता हैं।

विटामिन डी के सामान्य स्तर

“25-हाइड्रॉक्सी विटामिन डी” की मात्रा से विटामिन डी के सामान्य स्तर का अनुमान  लगाया जाता है। 

विभिन्न आयु समूहों के लिए विटामिन डी के स्तर की सामान्य सीमा, एनजी/एमएल (नैनोग्राम प्रति मिली लीटर) के रूप में व्यक्त होता है।

  1. शिशु (0-12 महीने): शिशुओं के लिए विटामिन डी के स्तर की सामान्य सीमा 20-50 एनजी/एमएल है।

  2. बच्चे और किशोर (1-18 वर्ष): बच्चों और किशोरों के लिए विटामिन डी के स्तर की सामान्य सीमा 30-100 एनजी/एमएल है।

  3. वयस्क (19-70 वर्ष): वयस्कों के लिए विटामिन डी के स्तर की सामान्य सीमा 30-100 एनजी/एमएल है।

  4. वृद्ध वयस्क (70 वर्ष और अधिक): वृद्ध वयस्कों के लिए विटामिन डी के स्तर की सामान्य सीमा 30-100 एनजी/एमएल है।

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विटामिन डी के प्रकार

विटामिन डी के फायदे जानने से पहले ये जानते हैं, कि यह कितने प्रकार का होता है, और कैसे प्राप्त किया जाता है।

इस सन्शाइन विटामिन का निर्माण हमारा शरीर कोलेस्ट्रॉल की मदद से करता है, जब सूर्य की पराबैंगनी किरणे त्वचा के संपर्क में आती है।

मूल रूप से विटामिन डी को दो प्रमुख प्रकार मे विभाजित किया जाता है: 

  1. विटामिन डी2 : इसे एर्गोकैल्सिफेरॉल के नाम से भी जाना जाता है, यह ज्यादातर पौधों में पाया जाता है और मानव द्वारा कृत्रिम तरीके से निर्मित भी होता है। यह कॅल्शियम के साथ मिलकर हड्डियों के सवास्थ का ध्यान रखता है।  

  2. विटामिन डी3 : इसको कोलेकैल्सिफेरॉल भी कहते हैं। यह शरीर में सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने से, त्वचा में मौजूद एक योगिक (7-डीहाइड्रोकोलेस्ट्रोल) से बनता है। पशु-आधारित खाद्य पदार्थों के माध्यम से आहार में भी इसका सेवन किया जाता है, ताकि शरीर मे प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर सके।

विटामिन डी के स्रोत

शरीर में विटामिन डी की पूर्ति करने के कई तरीके होते हैं। विटामिन डी का भरपूर लाभ उठाने के लिए शरीर में इसकि पूर्ति निम्न तरीकों से हो जाती है:  

  1. त्वचा में सूरज कि किरणों के संपर्क में आने के बाद विटामिन डी का उत्पादन होता है। सूरज कि रोशनी, विटामिन डी का प्राथमिक प्राकृतिक स्रोत है।

  2. विटामिन डी कुछ खाद्य पदार्थों जैसे वसायुक्त मछली का मांस, मछली के जिगर का तेल (कोड लिवर ऑइल), अंडे की जर्दी, पनीर और बीफ लीवर, मशरूम और फॉर्टफाइड अनाज, डेयरी उत्पादों, एवं संतरे के रस में मौजूद होता है।

  3. पूरक के माध्यम से इसका सेवन किया जा सकता है।

विटामिन डी के फायदे और महत्व

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी के स्तर का सामान्य होना अत्याधिक महत्वपूर्ण है। विटामिन डी से शरीर को मिलने वाले लाभ (विटामिन डी के फायदे) निम्नलिखित हैं:

  1. हड्डियाँ और दाँत स्वस्थ रखता है। 

स्वस्थ हड्डियों के खनिजकरन के लिए कैल्शियम और फास्फोरस का पर्याप्त स्तर जरूरी है। आंतों से कैल्शियम और फास्फोरस के अवशोषण के लिए विटामिन डी महत्वपूर्ण है।

विटामिन डी का निम्न स्तर सीधे शरीर में कैल्शियम के स्तर को प्रभावित करता है, जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस और दांतों का गिरना जैसी समस्या उम्र से पहले हि उत्पन्न हो सकती है। 

विटामिन डी की कमी से बच्चों में रिकेट्स हो सकता है जो हड्डियों को प्रभावित करने वाली बीमारी है और वयस्कों में ओसटियोमलेसिया हो सकता है, जिसमे हड्डियों में दर्द की शिकायत होती है।

  1. मांसपेशीयो को मज़बूत करता है। 

शरीर में विटामिन डी का इष्टतम स्तर मांसपेशियों की ताकत में वृद्धि और रखरखाव के साथ जुड़ा हुआ है और विटामिन डी के फायदे में से एक है। 

विटामिन डी मांसपेशियों के तंतुओं (फाइबर्स) को संरक्षित करके मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने में मदद कर सकता है।  ज्यादातर लोगों में बढ़ती उम्र मे विटामिन डी की कमी कि वजह से मांसपेशिया कमजोर हो जाती हैं। इसी कारण वश बार-बार गिरने की समस्या हो जाती है।

  1. प्रतिरक्षा प्रणाली के स्वास्थ्य को बढ़ाता है। 

अध्ययन के साक्ष्य बताते हैं कि विटामिन डी की खुराक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनती है। विटामिन डी के सामान्य स्तर संक्रामक रोग, जैसे तपेदिक और मौसमी फ्लू से लड़ने के लिए शरीर की सुरक्षा करते है। 

जिन लोगों में विटामिन डी का पर्याप्त स्तर नहीं होता है, उनमें संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

  1. विटामिन डी मूड को बेहतर करते हुए अवसाद को कम कर सकता है। 

शोध से पता चला है कि विटामिन डी मूड को नियंत्रित करने और अवसाद के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यही वजह है की पूरक विटामिन डी-3 अवसाद के लक्षण कम करने में बेहद फायदेमंद है।

यह अभी तक अच्छे से पता नहीं चल पाया कि किस तरह विटामिन डी के कम स्तर बिगड़ी हुई मानसिक स्तिथि के साथ जुड़े हुए हैं

  1. संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली में सुधार करता है। 

इष्टतम मस्तिष्क कार्यप्रणाली भी विटामिन डी के फ़ायदों (विटामिन डी के फायदे) मे से एक है, जैसा कि अध्ययनों ने हाल ही में संकेत दिया है कि विटामिन डी की शरीर मे कमी संज्ञानात्मक गिरावट के जोखिम को बढ़ा सकती है। 

इसके अलावा एक अध्ययन ने साबित किया है कि जिन लोगों में विटामिन डी के सामान्य से कम स्तर थे उन्मे डिमेंशिया (भूलने कि बीमारी) की स्तिथि ज्यादा पाया गई।

  1. रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है और हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। 

रक्तचाप को नियंत्रित करने में विटामिन डी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और हृदय को उच्च रकतचाप के बुरे प्रभाव से बचाता है। 

विटामिन डी धमनियों के अंदर सूजन को कम करता है, जिसकी वजह से पट्टिका का निर्माण हो सकता है और धमनियां सख्त हो जाती हैं। इस प्रकार यह धमनियों को लचकदार बनाता है, और उन्हे सुकड़ने से बचाता है।

अध्ययन के मेटा-विश्लेषण में पाया गया है कि जिन लोगों में विटामिन डी के कम स्तर है, उन लोगों में सामान्य या उच्चतम स्तर वाले लोगों की तुलना में स्ट्रोक और किसी हृदय रोग की घटना का खतरा काफी बढ़ जाता है।

  1. वजन घटाने को बढ़ावा देता है ।

जहाँ विटामिन डी के फ़ायदों (विटामिन डी के फायदे) की बात की जा रही है, वहाँ यह बताना आवश्यक है कि विटामिन डी आपको अपना वजन सही रखने में मदद करता है।

 शोध से पता चलता है कि जो लोग विटामिन डी कि खुराक नियमित रूप से लेते हैं उनका वजन ज्यादा मात्रा मे कम हो जाता है। इसके सिवा यह भी पाया गया कि विटामिन डी भूख को दबाने वाला प्रभाव पैदा करता है, जो वजन कम करने मे सहायक साबित होता है। 

दूसरी ओर, विटामिन डी की कमी वाले लोगों के अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि विटामिन डी शरीर में वसा के स्‍तर को कम रखने और भूख कम करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

मोटापे कि स्तिथि को एक प्रकार कि सूजन कहा जाता है, जिसे मेटा-सूजन कहते है। विटामिन डी इसी सूजन को कम करते हुए मोटापे पर नियंत्रण रख सकता है।

विटामिन डी की दैनिक अनुशंसित मात्रा

दैनिक अनुशंसित मात्रा का मतलब है कि हर दिन विटामिन डी की कितनी मात्रा की आवश्यकता होती है, ताकि शरीर सही रूप से अपना काम करता रहे और विटामिन डी का लाभ पाहुचाये। यह मात्रा व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करती है।

औसत दैनिक अनुशंसित मात्रा माइक्रोग्राम (एमसीजी) और अंतर्राष्ट्रीय इकाइयों (आईयू) में नीचे दी गई तालिका में सूचीबद्ध की गई हैं:

जीवन स्तर 


अनुशंसित राशि

जन्म से 12 महीने तक

10 एमसीजी (400 आईयू)


1-13 साल के बच्चे

15 एमसीजी (600 आईयू)


किशोर 14–18 वर्ष

15 एमसीजी (600 आईयू)


वयस्क 19–70 वर्ष

15 एमसीजी (600 आईयू)


वयस्क 71 वर्ष और उससे अधिक

20 एमसीजी (800 आईयू)


गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं

15 एमसीजी (600 आईयू)

विटामिन डी की कमी

क्या आप जानते है कि दुनिया भर में लगभग 1 अरब लोगों में विटामिन डी की कमी है। जहां विटामिन डी के अनेक फायदे हैं, (विटामिन डी के फायदे) वहीं विटामिन डी की कमी के भी कुछ लक्षण होते हैं, जिनके बारे में विस्तार से  वर्णन किया है: 

वयस्कों में विटामिन डी कि कमी के लक्षण 

कभी-कभी, विटामिन डी की कमी के कोई भी लक्षण नहीं होते परंतु कुछ लोगों को थकान, हड्डी में दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी या दर्द या अवसाद जैसी समस्या हो सकती है। वयस्कों में विटामिन डी की कमी के कुछ लक्षण हैं:

  1. थकान : लगातार थकान या पर्याप्त आराम के बाद भी थकान महसूस होना विटामिन डी की कमी का लक्षण हो सकता है।

  2. हड्डी और मांसपेशियों में दर्द : स्वस्थ हड्डियों और मांसपेशियों को बनाए रखने में विटामिन डी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कमी से हड्डियों में सामान्य दर्द, जोड़ों में दर्द या मांसपेशियों में कमजोरी हो सकती है।

  3. मूड में बदलाव : विटामिन डी के निम्न स्तर को अवसाद, चिंता और मिजाज के लक्षणों से जोड़ा गया है।

  4. क्षीण घाव भरने : विटामिन डी की कमी शरीर की घावों और चोटों को कुशलतापूर्वक ठीक करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।

  5. बालों का झड़ना : कुछ मामलों में, बालों का झड़ना या बालों का पतला होना विटामिन डी की कमी से जुड़ा हो सकता है।

  6. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली : विटामिन डी प्रतिरक्षा समारोह का समर्थन करने के लिए जाना जाता है। अपर्याप्त स्तर से संक्रमण, बार-बार सर्दी या फ्लू, और धीमी गति से ठीक होने की संभावना बढ़ सकती है।

  7. संज्ञानात्मक कठिनाइयाँ : कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि कम विटामिन डी का स्तर संज्ञानात्मक हानि या मनोभ्रंश और अल्जाइमर रोग जैसी स्थितियों के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हो सकता है।


बच्चों में विटामिन डी की कमी के लक्षण

स्वस्थ हड्डियों के लिया कैल्शियम और विटामिन डी का सही स्तर होना बेहद जरूरी है। विटामिन डी की हल्की कमी वाले बच्चों में केवल कमजोर, या दर्दनाक मांसपेशियां की समस्या हो सकती हैं। 

पर अगर गंभीर रूप से विटामीन डी कि कमी कि वजह से रिकेट्स हो सकती है। लक्षणों में निम्न शामिल हैं:

  1. मुड़ी हुई हड्डियों के कारण विकास में समस्या 

  2. कमजोर मांसपेशिया 

  3. हड्डी में दर्द

  4. जोड़ों में विकृति कि समस्या

विटामिन डी की कमी का रोकथाम

विटामिन डी की कमी को रोकने का सबसे अच्छा तरीका सिर्फ यही है, कि यह सुनिश्चित किया जाए  कि विटामिन डी का स्तर शरीर में सामान्य रहे। उसके लिए विटामिन डी के स्तर निम्न कुछ बदलाव लाकर सामान्य किए जा सकते है: 

  1. जीवन शैली मे बदलाव लाकर
    सूर्य से जितना हो सके संपर्क बढ़ाए, यानि धूप मे समय व्यतीत करें, क्योंकि जो लोग ज्यादातर घर पर रहते है, बाहर नहीं जाते हैं, उनको विटामिन डी कि कमी होने का खतरा बढ़ जाता है।

  2. आहार से विटामिन डी प्राप्त करे
    विटामिन डी के फायदे पाने के लिए आहार में विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ का सेवन करें जैसे वसायुक्त मछली जैसे सैल्मन, टूना और मैकेरल, पनीर, मशरूम, अंडे की जर्दी, कोड लिवर तेल आदि।

    इसके अलावा कुछ खाद्य पदार्थ जिन्हे विटामिन डी से फॉर्टिफाइ किया जाता है, उसे भी इस्तेमाल कर सकते हैं दूध, अनाज, संतरे का रस, दही आदि। 

  3. विटामिन डी के अनुपूरक ले
    विटामिन डी कि कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टर द्वारा अनुपूरक दिए जाते हैं, जो दो प्रकार से उपलब्ध होते हैं: विटामिन डी2 और विटामिन डी3। डॉक्टर कि निगरानी में इनका सेवन किया जाता है।

निष्कर्ष

शरीर की सामान्य स्तिथि और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए विटामिन डी का महत्व स्पष्ट है। इसकी भूमिका स्वस्थ हड्डियों और दांतों को बनाए रखने से लेकर प्रतिरक्षा को बढ़ावा देना, हृदय के सवास्थ की देखरेख, और वजन प्रबंधन में सहायता करने तक, कई प्रकार से शरीर के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

आहार के द्वारा विटामिन डी के स्तर को ठीक करना एक प्रभावी तरीका है। इसके अलावा सप्लीमेंट भी चिकित्सक के आदेशानुसार विटामिन डी के फायदे देते हैं। 

यदि आप विटामिन डी से जुड़े किसी प्रश्न से चिंतित हैं, या कोई लक्षण महसूस कर रहें है, तो आज ही HexaHealth की पर्सनल केयर टीम से संपर्क करें और उचित मार्गदर्शन लें। हमारे विशेषज्ञ आपके सभी प्रश्नों को हल करेंगे।

विटामिन डी पर अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

विटमिन डी क्या होता है और इसके क्या-क्या फायदे हैं?

विटामिन डी एक वसा में घुलनशील विटामिन है जो विशेष रूप से निम्न कार्य मे मदद करता है: 

  1. हड्डियों का विकास करना 

  2. दांतों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना 

  3. सामान्य कोशिकाओ की वृद्धि 

  4. मांसपेशियों के विकास में भी मदद करता है 

  5. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना

  6. हृदय के सवास्थ की देखरेख करना 

  7. वजन प्रबंधन में सहायता करना

विटामिन डी फैट लॉस में कैसे मदद कर सकता है?

मोटापा एक तरह की सूजन की स्थिति होती है जिसे मेटा-सूजन कहा जाता है और शोध में यह देखा गया है कि  विटामिन डी उस सूजन को कम करता है, और इसी वजह से फैट लॉस मे मददगार साबित होता है, इसके अलावा विटामिन डी भूख को कम करते हुए वजन कम करने मे मदद करता है, जो कि विटामिन डी के अनेको फायदे (vitamin d ke fayde) मे से एक हैं।

विटामिन डी के सामान्य स्तर क्या हैं?

विटामिन डी की सामान्य सीमा को नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (ng/mL) के रूप में मापा जाता है। 20 एनजी/एमएल से 50 एनजी/एमएल की सीमा को सामान्य माना जाता है जिससे समग्र स्वास्थ्य बना रहता है।

इस स्तर को सामान्य रखने के लिए दैनिक अनुशंसित मात्रा का सेवन करना चाहिए: 

  1. एक साल तक के बच्चे तक के लिए: 400 इंटरनेशनल यूनिट(आई यू)

  2. 1 साल के बच्चे से 70 वर्ष के व्यसक के लिए: 600 आई यू 

  3. 71 वर्ष और उससे अधिक आयु वाले व्यक्ति के लिए: 800 आई यू

विटामिन डी के असामान्य स्तर क्या हैं?

विटामिन डी की सीमा को नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (ng/mL) के रूप में मापा जाता है। 12 एनजी/एमएल से नीच स्तर को बहुत कम स्तर माना जाता है, और 50 एनजी/एमएल से अधिक स्तर को बहुत अधिक या  विषाक्त माना जाता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है।

विटमिन डी के कम होने से कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?

विटमिन डी के कम होने से निम्न बीमारी हो सकती हैं:

  1. वयस्कों में ऑस्टियोमलेशिया और ऑस्टियोपोरोसिस होने का जोखिम बना रहता है, और इसकी वजह से हड्डी के फ्रैक्चर का खतरा बना रहता है।

  2. बच्चों में विटामिन डी की कमी से रीकिट्स हो सकता है, जो हड्डियों के विकास पर असर डाल सकता है।

विटमिन डी की कमी को कैसे दूर करें?

वितमन डी की कमी को पूरा करने के लिए निम्न उपाय करने चाइए: 

  1. आहार के द्वारा विटामिन डी के स्तर को ठीक किया जा सकता है

  2. उसके सिवा धूप में थोड़ा समय बिताना चाइए ताकि त्वचा से विटामिन डी का निर्माण हो सके। 

  3. इसके अलावा विटामिन डी सप्लीमेंट भी चिकित्सक के आदेशानुसार लाभ देते है, जिसमें विटामिन डी2 और विटामिन डी3 दोनों होते हैं।

क्या वाकई विटमिन डी कम होने से फैट घट सकता है?

नहीं, विटमिन डी के स्तर कम होने से फैट नहीं घट सकता है। बल्कि, विटामिन डी के सही स्तर की वजह से  फैट कम होता है, इसके अलावा शोध के अनुसार विटामिन डी के पर्याप्त स्तर, वजन सही रखने में मदद करते है। यही कारण है कि वजन को नियंत्रित रखने मे विटामिन डी की अहम भूमिका है और यह विटामिन डी के फायदे  (विटामिन डी के फायदे) मे से एक है।

कैल्शियम विटामिन डी संयुक्त के निश्चित लाभ क्या हैं?

कैल्शियम के पर्याप्त स्तर के लिए आंतों में इसका अवशोषण होना जरूरी है, जो सिर्फ विटामिन डी के माध्यम से ही हो सकता है। स्वस्थ हड्डियों के खनिजकरन के लिए यही कॅल्शियम काम आता है।

विटामिन डी के घटक क्या हैं?

विटामिन डी के मुख्य रूप से दो प्रकार है: 

  1. विटामिन डी-2 : यह पौधों में पाया जाता है जैसे कि मशरूम, फॉर्टफाइड अनाज। उसके बाद यह शरीर में फायदे पहुचाता है जैसे हड्डियों को मजबूत रखना आदि। 

  2. विटामिन डी-3 :  यह हमारे शरीर में सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने से बनता है, इसके अलावा पशु-आधारित खाद्य पदार्थों जैसे मछली, अंडे कि जरदी, आदि के माध्यम से भी इसका सेवन किया जाता है।

भारतीय जनसंख्या में विटामिन डी का निम्न स्तर क्यों आम है?

भारतीय जनसंख्या में विटामिन डी का निम्न स्तर इसलिए आम है क्योंकि:

  1. ज्यादातर भारतीय शाकाहारी होते हैं और आहार में उपयुक्त मात्रा में विटामिन डी का सेवन नहीं करते है। 

  2. जो लोग घर या दफ्तर के अंदर ही रहते है और धूप में ना जाने से भी इस विटामिन कि कमी हो सकती है। 

  3. त्वचा का गहरा रंग भी विटामिन डी का निर्माण करने में बाधा डाल सकता है।

विटामिन डी के प्राकृतिक स्रोत क्या हैं?

सूरज की युवी-बी किरने जब त्वचा के संपर्क में आती हैं, तो कोलेस्टेरोल से त्वचा में विटामिन डी का उत्पादन विटामिन डी का प्राथमिक प्राकृतिक स्रोत है।

इसके अलावा कुछ खाद्य पदार्थों में भी विटामिन डी मौजूद होता है, जिसके सेवन से विटामिन डी का स्तर ठीक रहता है।

कम विटामिन डी के जोखिम क्या हैं?

विटमिन डी के कम होने से वयस्कों में ऑस्टियोमलेशिया और ऑस्टियोपोरोसिस होने का जोखिम बना रहता है, और इसकी वजह से हड्डी के फ्रैक्चर का खतरा बना रहता है। बच्चों में विटामिन डी की कमी से रीकिट्स हो सकता है, जो हड्डियों के विकास पर असर डाल सकता है।

सन्दर्भ

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Updated on : 24 June 2023

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