बोन मैरो कैंसर के लक्षण - जानें कारण, घरेलु उपाय और इलाज

क्या आप जानते है के हर साल एक लाख लोगों में से लगभग ५ लोगों को बोन मैरो कैंसर होता है। कैंसर चाहे किसी भी अंग में हो, चिंता का विषय है।अगरयह बोन मैरो कैंसर है तो वह खून बनानेवाली प्रक्रिया को प्रभावित करता है।

इस कैंसर में आपकी हड्डियों के मधवर्ती भाग से असामान्य रक्त कोशिकाए बनने लगती है जो आम कोशिकाओं की तरह काम नहीं करती। सही समय पर इलाज न होने पर जान के लिए जोखिम बन सकता है। इस लेख में हम विस्तार रूप से बोन मैरो कैंसर के लक्षण, कारण, और इलाज के बारे में जानेंगे।

बोन मैरो कैंसर क्या है?

अस्थि मज्जा एक नरम, स्पंजी ऊतक है जो अधिकांश हड्डियों के केंद्र में होता है। इसमें स्टेम कोशिकाएँ होती हैं जो विभिन्न प्रकार की रक्त कोशिकाओं में विकसित होती हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. लाल रक्त कोशिकाएं, जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड ले जाती हैं

  2. श्वेत रक्त कोशिकाएं, जो संक्रमण से लड़ती हैं

  3. प्लेटलेट्स जो रक्त का थक्का जमाने में मदद करते हैं

शरीर आमतौर पर इन रक्त कोशिकाओं का उत्पादन तब करता है जब उसे इनकी आवश्यकता होती है, जैसे कि जब पुरानी रक्त कोशिकाएं मर जाती हैं। अस्थि मज्जा कैंसर तब विकसित होता है जब ये कोशिकाएं बहुत तेजी से प्रतिकृति बनाती हैं।

अस्थि मज्जा में कई प्रकार के कैंसर विकसित हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. मल्टीपल मायलोमा

  2. ल्यूकेमिया

  3. लिंफोमा.

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बोन मैरो कैंसर के लक्षण

बोन मैरो कैंसर के लक्षण, उसके प्रकार के हिसाब से थोड़े अलग होते है। किसी व्यक्ति द्वारा अनुभव किए जाने वाले लक्षण विभिन्न कारकों पर निर्भर करेंगे, जिनमें कैंसर का प्रकार, यह कितना आक्रामक है और शरीर में इसका स्थान शामिल है। विभिन्न अस्थि मज्जा कैंसर के लक्षण हैं:

1. मल्टीपल मायलोमा

ल्टीपल मायलोमायह एक दुर्लभ रक्त कैंसर है जो प्लाज्मा कोशिकाओं को ग्रसित करता है। प्लाज्मा कोशिकाएं यह एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं। इस वजह से मल्टीपल मायलोमा में प्रतिरक्षा प्रणाली के  कार्यक्षमता बदल जाती है।

मल्टीपल मायलोमा के शुरूआती लक्षण है:

  1. कमजोरी

    मल्टीपल मायलोमा का शुरुआत कमजोरी के लक्षणों से हो सकता है। अक्सर थोड़ा सा भी काम करने पर भी हाथों और पैरों में कमज़ोरी महसूस होती है। यह कमजोरी इस कदर बढ़ जाती है, के इंसान अपने रोज के काम भी नहींं कर पाता है।
  1. थकान

    कमज़ोरी के अलावा मल्टीपल मायलोमा के मरीजों को अक्सर थकान महसूस होती है।  आम तौर पर थकान आराम करने पर कम हो जाती है, पर इस स्थिति में थकान आराम करने पर भी काम नहींं होती है।
  1. हड्डी का दर्द 

    मल्टीपल मायलोमा हड्डियों को ग्रसित करता है। इस वजह से अक्सर हड्डियों में, जोड़ों में दर्द बना रहता है। यह दर्द खास कर रीड की हड्डियों में होता है और वक्त से साथ दर्द बढ़ता जाता है।
  1. मतली और उल्टी

    मतली महसूस होना , उल्टियां होना भी मल्टीपल मायलोमा के शुरुआत में हो सकता है। इसका मुख्य कारण कैल्शियम की मात्रा रक्त में बढ़ना है।
  1. भूख न लगना 

    मल्टीपल मायलोमा का एक और मुख्य लक्षण है भूख में बदलाव। अक्सर कैल्शियम की मात्रा के रक्त में बढ़ने की वजह से इंसान की भूख और खुराक काम हो जाती है। प्यास सामान्य से अधिक हो जाती है।

मल्टीपल मायलोमा के बढ़ने पर दिखने वाले लक्षण

  1. हाथ और पैर सुन्न पड़ना
    जैसे जैसे मल्टीपल मायलोमा बढ़ने लगता है, हाथों और पैरों में सुन्नापन महसूस होता है। इसका मुख्य कारण है, कैंसर  की वजह से रीड की हड्डीयां ढह जाती है और मेरुदंड और उससे निकलनेवाली नसों पर दबाव डालते है।

  2. बुखार

    अस्पष्टीकृत और बार बार आनेवाला बुखार मल्टीपल मायलोमा के लक्षणों में एक है। इस बीमारी में बुखार बढ़ते रहता है, या बार बार आता है जिसका कारण अक्सर बैक्टीरिया का संक्रमण होता है।
  1. खून बहना

    मल्टीपल मायलोमा में असामान्य प्लाज्मा कोशिकाओ के वजह से पर्याप्त प्लेटलेट्स का उत्पादन नहींं होता है हैं। प्लेटलेट्स का कार्य रक्त को जमने में मदद करना होता हैं। इस वजह से मल्टीपल मायलोमा में, हलके से चोट से भी ज्यादा खून बहता है। हलका सा काम से भी गहरे चोट आति है।

2. ल्यूकेमिया

ल्यूकेमिया श्वेत रक्त कोशिकाओं का कैंसर है। कभी-कभी, इस प्रकार के कैंसर अन्य प्रकार की रक्त कोशिकाओं में शुरू होते हैं और फिर अस्थि मज्जा में फैल जाते हैं, या मेटास्टेसिस हो जाते हैं।

ल्यूकेमिया केशुरूआती लक्षण हैं:

  1. थकान

    ल्यूकेमिया में सामान्य लाल, श्वेत रक्त कोशिकाए और प्लेटलेट्स संख्या कम हो जाती है। इस वजह से शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता है। यही कारण है की आसानी से थक जाना यह ल्यूकेमिया का शुरुआती लक्षण हो सकता है।
  1. बुखार

    ल्यूकेमिया में अक्सर बैक्टीरिया के संक्रमण की वजह से अक्सर रात में तेज बुखार और पसीना आता है। पसीना इतना ज्यादा होता है, की कपड़े भी भीग जाते है।
  1. पीली त्वचा

    खून में हो रहे बदलाव कारण, ल्यूकेमिया में त्वचा का रंग पीला पड़ने लगता है। धीरे धीरे त्वचा में छोटे लाल धब्बे भी बनते है।
  1. वजन का घटना

    ल्यूकेमिया में असमान्य ल्यूकेमिया कोशिकाए बढ़ जाती है। इनकी वजह से प्लीहा में सूजन आती है। सूझी हुई प्लीहा पेट पर दबाव डालती है और भूख कम हो जाती है। इसी कारण से वजन घटना भी ल्यूकेमिया का लक्षण हो सकता है।
  1. दर्द

    हड्डी, जोड़ों का दर्द और पसलियों के नीचे दर्द यह सब ल्यूकेमिया शुरुआती लक्षण हो सकते है। यह दर्द आम दर्द जैसे कुछ दिन में, या आराम करने से कम नहींं होते है, बल्कि दिन ब दिन बढ़ते जाते है।

    ल्यूकेमिया के बढ़ने पर दिखने वाले लक्षण यह होते हैं: 
  1. संक्रमण

     शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ल्यूकेमिया में  पर्याप्त सफेद रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नहींं करती है। इस वजह से हानिकारक वायरस, बैक्टीरिया या कवक को शरीर नष्ट करने में असमर्थ हो जाता हैं। इसीलिए ल्यूकेमिया में, श्वसन, पेट, मूत्राशय और त्वचा संबंधी संक्रमण बार बार होता है। 
  1. सांस लेने में दिक्कत 

    ल्यूकेमिया के बढ़ने पर अक्सर श्वसन संबंधी दिक्कतें होने लगती है। जिसमे श्वसन विकार और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
  1. सूजन

    सफ़ेद कोशिकाए जब बढ़ जाती है तो वह लिम्फ नोड्स और प्लीहा में जम जाती है। इस वजह से गर्दन, अंडरआर्म, ग्रोइन या पेट के लिम्फ नोड्स में सूजन और बढ़ी हुई प्लीहा यह ल्यूकेमिया के लक्षण हो सकते है।

  2. खून का बहना

    पर्याप्त प्लेटलेट्स के न बनने की वजह से ल्यूकेमिया में नाक, से मसूड़ों से खून बहता है। हलकी चोट से बार बार खून निकलना भी ल्यूकेमिया के बढ़ने का लक्षण है।

3. लिम्फोमा

यह लसीका तंत्र के कैंसर के लिए  उपयोग किए जानेवाला सामान्य शब्द है। लसिकातंत्र यह ऊतकों, वाहिकाओं और अंगों का एक जटिल जाल है जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। इसके दो प्रकार है। 

  1. हॉजकिन लिंफोमा लिम्फोसाइटों में शुरू होता हैं।

  2. नान-हॉजकिन लिंफोमा लसीका तंत्र में शुरू होता है।

हॉजकिन लिंफोमा और नान-हॉजकिन लिंफोमाकेशुरूआती लक्षण है:

  1. थकान

    बिना किसी कारण के अक्सर थकान का महसूस होना और बने रहना यह लिंफोमा का शुरुवाती लक्षण है। यह थकान काफी हफ्तों तक रहती है।
  1. बुखार 

    बुखार जो १०३ F से  ऊपर बढ़ता हो और बार बार आता हो, यह हॉजकिन लिंफोमा और नान-हॉजकिन लिंफोमा में देखा जा सकता है। कैंसर कोशिकाओं से निकलनेवाले कुछ केमिकल बुखार का कारण होते है।
  1. रात को ज्यादा पसीना आना

    बुखार के साथ में पसीना आना भी 

    हॉजकिन लिंफोमा और नान-हॉजकिन लिंफोमा के शुरूआती लक्षणों में एक है। पसीना इतना तेज और ज्यादा होता है की अक्सर इंसान के कपड़े भीग जाते है और भीगने की वजह से वह नींद से जाग जाता है।

    लिंफोमा के बढ़ने पर दिखने वाले लक्षण
  1. सांस लेने में दिक्कत

    हॉजकिन लिंफोमा और नान-हॉजकिन लिंफोमा दोनो के बढ़ने पर शरीर के कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता है। इस वजह से लिंफोमा में सांस लेने में  दिक्कत होती है।
  1. सूजन 

    कैंसर रक्त कोशिकाए जब असामन्य संख्या में बढ़ जाती है, वह लासिकपर्व में जम जाती है। इसीलिए शरीर में एक या उससे ज्यादा लसीकापर्व में दर्द रहित सूजन का होना यह बढ़े हुए लिंफोमा का लक्षण हो सकता है।
  1. अकारण वजन घटते जाना

    बिना किसी डाइट या व्यायाम के ६ माह के अंदर १०% से ज्यादा शरीर का वजन घटना यह लिंफोमा का लक्षण है। इसका कारण भूख न लगना, और खाना ठीक अवशोषित न होना है।

बोन मैरो कैंसर का इलाज

बोन मैरो कैंसर के लक्षण, समझना इसीलिए महत्वपूर्ण है, ताकि इलाज जल्दी से शुरू किया जा सके। हर एक प्रकार के बोन मैरो कैंसर के लक्षण अलग है, इसी तरह इलाज भी थोड़े से भिन्न हो सकते है। 

  1. कीमोथेरेपी - यह एक चिकित्सा उपचार है जिसका उद्देश्य पूरे शरीर में कैंसर कोशिकाओं का पता लगाना और उन्हें खत्म करना है। डॉक्टर आपके कैंसर के प्रकार के अनुरूप विशिष्ट दवाएं लिखेंगे।

  1. विकिरण चिकित्सा - इसमें कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने, ट्यूमर को सिकोड़ने और दर्द को कम करने के लिए एक विशिष्ट क्षेत्र में शक्तिशाली ऊर्जा किरणों को निर्देशित करना शामिल है। आप जान सकते हैं कि विकिरण चिकित्सा कीमोथेरेपी से किस प्रकार भिन्न है।

  1. जैविक चिकित्सा - यह कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने और उन्हें खत्म करने के लिए आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग करती है।

  1. लक्षित थेरेपी दवाएं - ये कीमोथेरेपी के विपरीत, विशिष्ट कैंसर कोशिका प्रकारों को सटीक रूप से लक्षित और हमला करती हैं, स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान से बचाती हैं।

  1. काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर) टी-सेल थेरेपी - यह एक नए प्रकार की चिकित्सा पद्धति है जो आपके शरीर की संक्रमण से लड़ने वाली टी-कोशिकाओं (टी-सेल या टी-लिम्फोसाइट एक प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिका है) को ल्यूकेमिया कोशिकाओं से लड़ने के लिए तैयार करती है।

  1. अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण - यहां क्षतिग्रस्त मज्जा को दाता से प्राप्त स्वस्थ मज्जा से बदल दिया जाता है। इस प्रक्रिया में उच्च खुराक कीमोथेरेपी और विकिरण थेरेपी शामिल हो सकती है और इसे स्टेम सेल प्रत्यारोपण भी कहा जाता है।

चिकित्सक से कब मिलना चाहिए?

बोन मैरो कैंसर का इलाज वक्त पर होना आवश्यक है। यदि आपको निम्नलिखित महसूस हो तो अपने डॉक्टर से परामर्श लें:

  1. उपचार के दुष्प्रभाव 

  2. लक्षण बदतर हो रहे हैं 

  3. उपचार के दौरान जटिलता

निष्कर्ष

किसी भी प्रकार के कैंसर का निदान ज़रूरी है। सही समय पर निदान और इलाज से ७०% तक के बोन मैरो कैंसर ठीक हो सकते है। जरूरी है की लोग इसे लक्षणों को सही समय पर पहचाने और वक्त रहते इलाज शुरू करे। 

यदि इस लेख को पढ़ने के बाद भी आपके मन में बोन मैरो कैंसर लक्षण, कारण, निदान, और इलाज से  जुड़ा कोई सवाल है तो HexaHealth सम्पर्क करे। हेक्साहेल्थ की परिणित समूह आपके हर सवाल का जवाब देने और आपको सही सलाह देने के लिए बद्ध है।

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

बोन मैरो कैंसर क्या है?

बोन मैरो कैंसर आपकी हड्डियों के केंद्र में स्थित नरम स्पंज ऊतक का कैंसर है। बोन मैरो जो आम तौर पर रक्त कोशिकाएं बनाता है, वह कैंसर होने पर अनियंत्रित कोशिकाओं का उत्पादन करता है।

बोन मैरो कैंसर के लक्षण क्या होते हैं?

आम तौर पर बोन मैरो कैंसर के लक्षण है, ल्यूकेमिया, मायलोमा, लिंफोमा आदि में देखे जाते है;

  1. आसानी से थक जाना

  2. बुखार या रात को पसीना आना

  3. हड्डी और जोड़ों का दर्द 

  4. पसलियों के नीचे दर्द 

  5. बढ़ी हुई प्लीहा 

  6. नाक, मसूड़ों से खून

  7. त्वचा में छोटे लाल धब्बे

  8. बार-बार होनेवाला संक्रमण 

  9. सांस लेने में दिक्कत

  10. त्वचाका पीला पड़ना

  11. अस्पष्टीकृत वजन कम होना

  12. आसानी से चोट लगना और खून बहना

  13. बाहों और पैरों में कमजोरी 

  14. हाथ और पैर सुन्न पड़ना

  15. मतली और उल्टी

  16. भूख न लगना 

  17. सामान्य से अधिक प्यास लगना

  18. शरीर में एक अधिक लसीकापर्व में दर्द रहित सूजन

बोन मैरो कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या है?

बोन मैरो कैंसर अक्सर हमारी प्रति रक्षा प्रणाली को अघात करता है। ख़ासकर सफेद रक्त कोशिकाए और बिंबाणु में आए बदलाव के कारण निम्न बोन मैरो कैंसर के लक्षण शुरुवात में देखे जा सकते है।

  1. थकान

  2. बुखार 

  3. पसीना जो पूरे कपड़े भिगादे 

  4. सांस लेने में परेशानी

  5. अस्पष्ट वजन घटाव

  6. हड्डीयों, जोड़ों और पसलियों का दर्द 

  7. पसलियों के नीचे दर्द 

  8. आसानी से चोट लगना और खून बहना

बोन मैरो कैंसर के 7 चेतावनी संकेत क्या है?

बोन मैरो कैंसर के ७ चेतावनी संकेत इस प्रकार से है:

  1. आसानी से थकान महसूस होना

  2. बुखार जो बार बार आता हो

  3. रात में आनेवाला पसीना जिससे कपड़े भीग जाते हो

  4. अचानक से वजन का घटना

  5. हड्डी, जोड़ों,और पसलियों में दर्द का बना रहना 

  6. त्वचा में छोटे लाल धब्बे निकलना

  7. बार-बार संक्रमण का होना

  8. मसूड़ों से खून बहना

बोन मैरो कैंसर का कारण क्या है?

बोन मैरो कैंसर के लक्षण और कारण अलग अलग होते है। जैसे:

  1. ल्यूकेमिया के कारण अस्थि मज्जा के कोशिकाओं का डीएनए उत्परिवर्तित हो जाना।

  2. मल्टीपल मायलोमा के कारण

    1. अनुवंशिक परिवर्त
    2. पर्यावरणीय कारक जैसे कीटनाशक, उर्वरक, विकिरण 
    3. हृदय रोग,  मधुमेह और संधिशोथ जैसे बीमारियां 
  3. लिम्फोमा का कारण लसीका तंत्र की श्वेत रक्त कोशिकाओ  का कैंसर कोशिकाओं में बदल जाना हैं।

जैसे 

  1. एचआईवी, एपस्टीन-बार और कपोसी सार्कोमा ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी विषाणु संक्रामण 

  2. स्व प्रतिरक्षि रोग

बोन मैरो कैंसर का सही निदान कैसे किया जाता है?

परिणित वैद्य बोन मैरो कैंसर के लक्षण के आधार पर निदान कर सकते है। पर सटीक निदान  निम्न नैदानिक परीक्षा से किया जा सकता हैं:

  1. शारीरिक परीक्षा जिसमे चिकित्सक लक्षणों के बारे में पूछते है और लसीकापर्व के सूजन और बढ़े हुए प्लीहा या यकृत का परीक्षण करते है
  2. पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी) जिसमे रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और बिंबाणु स्तर को मापा जाता है।
  3. अस्थि मज्जा जीवोति-जांच जिसमे में असामान्य कोशिकाओं का प्रतिशत निर्धारित किया जाता है।
  4. अगर बोन मैरो कैंसर के लक्षण से हड्डियां, अंग और ऊतक भी ग्रसित हुए है, तो एक्स-रे, सीटी स्कैन या चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग स्कैन रोग निदान में मदत करते है।

क्या बोन मैरो कैंसर का इलाज संभव है?

हां, बोन मैरो कैंसर का इलाज संभव है, अगर सही समय पर बोन मैरो कैंसर के लक्षण पकड़ में आए और सही निदान हो जाए। चाहे वो ल्यूकेमिया, माइलोमा या लिंफोमा हर बोन मैरो कैंसर का इलाज मुमकिन है।

बोन मैरो कैंसर के लिए उपलब्ध चिकित्सा सुविधाएं क्या हैं?

बोन मर कैंसर के लक्षण और प्रकार के आधार पर उपल्ब्ध चिकित्सा सुविधाएं कुछ इस प्रकार है।

  1. रसायन चिकित्सा (कीमोथेरेपी) मे दवाओं का उपयोग कर कैंसर का इलाज किया जाता है।

  2. जैविक चिकित्सा (इम्यूनोथेरेपी) में कैंसर से पीड़ित लोगों को उनके शरीर को बीमारी से लड़ने में मदद करने के लिए कुछ विशेष दवाएं दी जाती हैं। 

  3. लक्षित चिकित्सा (टार्गेटेड थेरेपी) में खराब कोशिकाओं पर हमला करने के लिए दवा दी जाती है।

  4. विकिरण चिकित्सा में कैंसर कोशिकाओं को मारने या बढ़ने से रोकने के लिए बहुत तेज किरणों का उपयोग किया जाता है ।

बोन मैरो कैंसर के इलाज में साधारणतया कितने समय तक का समय लगता है?

बोन मैरो कैंसर के लक्षण, प्रकार, और इलाज के चरण के आधार पर इलाज के लिए लगानेवाला समय भिन्न हो सकता है।

  1. इंडक्शन थेरेपी आमतौर पर चार से छह सप्ताह लेती है।

  2. समेकन आमतौर पर चार से छह महीनों तक चलता है।

  3. रखरखाव चिकित्सा लगभग दो साल तक चल सकता है।

क्या इसका इलाज विभिन्न चरणों में होता है?

बोन कैंसर में ल्यूकेमिया का इलाज विभिन्न चरणों में होता है। कैंसर के चरणबद्ध उपचार में तीन भाग  सम्मिलित हैं। हर एक चरण का एक विशिष्ट लक्ष्य होता है। जैसे

  1. इंडक्शन थेरेपी

    इस थेरपी का लक्ष रक्त और अस्थि मज्जा में ज्यादा से ज्यादा कैंसर ग्रसित कोशिकाओं को मारना है
  2. समेकन 

    इस थेरपी का लक्ष शेष अनिर्धारित ल्यूकेमिया कोशिकाओं को मारना है, ताकि कैंसर वापस न आ पाएं
  3.  रखरखाव चिकित्सा

    इसका लक्ष्य पहले दो उपचार चरणों में जीवित बचे हुए हर उस कैंसर कोशिकाओं को मारना है । जो पहले दो उपचार चरणों में जीवित रह सकते हैं और कैंसर को वापस लौटने से रोक सकते हैं। उपचार लगभग दो साल तक चलता है।

क्या बोन मैरो कैंसर के लिए रेडिएशन थेरेपी का उपयोग होता है?

हां, बोन मैरो कैंसर जैसे ल्यूकेमिया, लिंफोम के लिए रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। यह थेरेपी  केंसर ग्रसित कोशिकाओं को मजबूत ऊर्जा बीम या एक्स-रे के माध्यम से मारती या बढ़ने से रोकती है।  उपचार के दौरान, एक विशेष मशीन आपके शरीर में उन जगहों पर शक्तिशाली किरणें भेजती है जहां कैंसर पैदा करने वाली खराब कोशिकाएं होती हैं। कभी-कभी, विशेष कोशिका प्रत्यारोपण से पहले किरणें आपके पूरे शरीर में भी भेजी जाती हैं।

क्या इसके इलाज में केमोथेरेपी की जरूरत होती है?

कीमोथेरेपी की आवश्यकता कब और कितनी है, यह बोन मैरो कैंसर के लक्षण के आधार पर एक कैंसर विशेषज्ञ सटीक तौर पर बता सकते है।

पर अक्सर कीमोथेरेपी खराब कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने के लिए विशेष दवा का उपयोग करके कैंसर का इलाज करने का प्रचलित तरीका है। इस दवा को एक गोली के रूप में, या त्वचा में एक शॉट के रूप में, या फिर नसों के माध्यम से डाला जाता है।

बोन मैरो कैंसर के इलाज के दौरान कैसे संभाल कर रखने की आवश्यकता होती है?

यदि आपको बोन मैरो कैंसर लिंफोमा है, तो इसके साथ आप कैसे कैसे संभाल कर रहना है, इसकी योजना बनाना महत्वपूर्ण है।

  1. अपने चिकित्सक से जानें कि लिंफोमा का उपचार आपके दैनिक जीवन को कैसे बदल सकता है। इससे आपको यह तय करने में मदद मिलेगी कि आपको घर पर या इलाज के दौरान मदद की जरूरत है या नहींं। 

  2. जब आप इलाज करवा रहे हों तो मजबूत रहने के लिए पतला मांस, साबुत अनाज और दुग्ध के पदार्थ जैसे स्वस्थ खाद्य पदार्थ खाएं।

  3. यदि आपको सही से भूख नहींं लगती, तो पोषण विशेषज्ञ से बात करें ।

  4. अपने लिए समय निकालकर उन चीजों को करें जिनमें आपको आनंद मिलता है, जैसे लिखना, संगीत सुनना या बाहर रहना।

  5. कैंसर तनावपूर्ण होता है, लेकिन ध्यान करने या गहरी सांस लेने जैसी गतिविधियाँ आपको बेहतर महसूस करा सकती हैं। 

  6. व्यायाम आपके स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है और थकान और तनाव को कम करने में मदद करता है। 

  7. कभी-कभी कैंसर के बारे में अपने परिवार और दोस्तों से बात करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन ऐसे कार्यक्रम और सेवाएं हैं जो आपको अकेला महसूस न होने में मदद कर सकती हैं।

क्या इस रोग के पुनरावृत्ति के खतरे कितने होते हैं?

एक शोध के दौरान यह देखा गया के ल्यूकेमिया जो की बोन मैरो कैंसर का एक प्रकार है, इसकी पुनरावृत्ति इस प्रकार हो सकती है।

  1. पुनरावृत्ति का औसत समय २.६ वर्ष (श्रेणी ०.३-११.६ वर्ष)

  2. ७१.७ प्रतिशत मरीजों में पुनरावृत्ति ०.७ वर्ष (सीमा ०.०३-१४.३ वर्ष)

  3.  सभी ल्यूकेमिया के रोगियों में ५ साल के जीवित रहने की संभावना २४.२% +/- ४.२% (मानक त्रुटि) थी।

इस बीमारी के बाद स्वस्थ जीवन जीने के लिए कौन-कौन सी सलाहें दी जाती हैं?

बोन मैरो कैंसर जैसे लिंफोमा के बाद स्वस्थ जीवन के यह सलाह मददगार होती है।

  1.  हर दिन स्वस्थ भोजन खाना महत्वपूर्ण है। अगर आपको ज्यादा भूख नहींं लगती है तो आपको दिन भर में छोटे-छोटे भोजन खा सकते हैं। 

  2. यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो उसे रोकना सबसे अच्छा है। 

  3. पर्याप्त आराम करे

  4. खुद को संक्रामक बीमारियों से बचाएं

  5. उदास या चिंतित महसूस करना बोन कैंसर के लक्षण में आम है, लेकिन अगर ये भावनाएँ लंबे समय तक रहती हैं या आपके लिए उन चीज़ों को करना मुश्किल हो जाता है। इसीलिए अपने चिकित्सक से बात करें। 

  6. यदि आपका इलाज पूरा हो गया है और आप बेहतर महसूस कर रहे हैं, तब भी अपने चिकित्सक  से बात करना महत्वपूर्ण है कि आगे क्या हो सकता है।

क्या इस रोग के इलाज में आयुर्वेदिक या प्राकृतिक उपचारों का उपयोग होता है?

एक वैद्यकीय शोध के अनुसार प्रोमाइलोसाइटिक ल्यूकेमिया में दिए गाय आयुर्वेदिक उपचार से बिना प्रतिकूल प्रभाव के रोग सम्पूर्ण रूप से ठीक हुआ। आयुर्वेदिक दवाइयों में शामिल है:

  1. रजत भस्म

  2. जहरमोहरा

  3. निर्विषा

  4. चंदन

  5. गोजिह्वा 

  6. लता कस्तूरी

  7. त्रिनाकांत मणी चूर्ण

  8. मौक्तिक पिष्टी 

  9. प्रवल पिष्टी

  10. मुक्त सूक्ति पुष्टि

  11. कापर्दिक भस्म

  12. शंख भस्म

हालाकि, किसी भी आयुर्वेदिक दवा के उपयोग से पहले आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह लेना आवश्यक है।

बोन मैरो कैंसर के इलाज के दौरान दवाओं या रासायनिक तत्वों का उपयोग होता है?

बोन मैरो कैंसर के इलाज के दौरान कुछ दवाएं  उपयोग की जाती है, जो रक्त कोशिकाओं के बढ़ने और विभाजित होने पर उन्हें मार कर, उनकी उत्पत्ति को धीमा करती हैं। जैसे:

  1. रसायन चिकित्सा

  2. लक्षित कैंसर की दवाएं

  3. रोग-प्रतिरक्षाचिकित्सा

इन प्रक्रिया के दौरान श्वेत रक्त कोशिका की संख्या आमतौर पर पहले काम होती है, क्योंकि इन कोशिकाओं जीवन काल रक्त में सबसे कम होता है। हार्मोन चिकित्सा और बिसफ़ॉस्फ़ोनेट्स जैसी दवाएं रक्त कोशिकाओं को प्रभावित नहींं करती हैं।

बोन मैरो कैंसर के इलाज में सर्जिकल प्रक्रियाएँ कितनी सामान्य होती हैं?

बोन मैरो कैंसर के इलाज में  स्टेम सेल या बोन मैरो ट्रांसप्लांट प्रकार के सर्जिकल प्रक्रिया दुर्लभ है।  इस शल्य प्रक्रिया द्वारा मारे गए कैंसरयुक्त रक्त बनाने कोशिकाओं को नए, और स्वस्थ रक्त बनानेवाली कोशिकाओं से बदल दिया जाता हैं।

क्या इस रोग के इलाज में टारगेटेड थेरेपी या इम्यूनोथेरेपी का उपयोग किया जाता है?

हां,  इम्यूनोथेरेपी शरीर की रक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर उनसे लड़ने के लिए मदद करता है। टार्गेटेड थेरेपी कैंसर से ग्रसित कोशिकाओंं को मिल रहा रक्त प्रवाह काटता है या उन्हें मार देता है।

Updated on : Friday, 15 September 2023

References

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Reviewer

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES
12 years experience

Author

Sangeeta Sharma

BSc. Biochemistry I MSc. Biochemistry (Oxford College Bangalore)
6 years experience

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